जागतिक अर्थव्यवस्था पर १८४ ट्रिलियन डॉलर्स का कर्ज – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की चेतावनी

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वॉशिंगटन – जागतिक अर्थव्यवस्था पर कर्ज का भार लगातार बढ रहा है| इस दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने चेतावनी देकर कहा है की, फिलहाल जागतिक अर्थव्यवस्था का कर्ज १८४ ट्रिलियन डॉलर्स (एक लाख करोड डॉलर्स) तक बढा है| कर्ज के इस बढते भार के लिए अमरिका, चीन और जापान जिम्मेदार है, यह भी मुद्राकोष ने कहा है| अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के ‘जीडीपी’ का विचार करे तो कर्ज का प्रमाण २२५ फिसदी है| इसके साथ ही विश्‍व के हर एक नागरिक पर लगभग ८६ हजार डॉलर्स कर्ज का भार है, यह जानकारी मुद्राकोष ने दी है|

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने गुरूवार के दिन एक रपट प्रसिद्ध किया| इस रपट में जागतिक अर्थव्यवस्था पर बढते कर्ज को लेकर गंभीर चेतावनी दी गई है| कर्ज का सबसे अधिक भार का सामना कर रहे देशों में चीन का शामिल होना बडी चिंता का विषय है, यह चेतावनी मुद्राकोष ने दी है| दो दशक पहले अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की तुलना में चीन पर मात्र ३ प्रतिशत कर्ज था| लेकिन अब यह मात्र १५ प्रतिशत तक बढी है| चीन में नीजि क्षेत्र के कर्ज का प्रमाण काफी बडा है और जागतिक मंदी के बाद चीन के नीजि कंपनीयों ने कर्ज लेने की मात्रा में ७५ प्रतिशत बढोतरही दिखाई दी है, यह चेतावनी मुद्राकोष ने दी है|

फिलहाल कर्ज की मात्रा दुसरे विश्‍वयुद्ध के बाद सबसे अधिक है, इसका एहसास मुद्राकोष ने दिलाया है| कर्ज के बढते भार के लिए प्रगत और विकासशील अर्थव्यवस्था ही कारण बने है, इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया है| मुद्राकोष की रपट में अमरिका और चीन इन दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के साथ जापान पर भी आलोचना की गई है|

अमरिका पर कर्ज का भार ‘जीडीपी’ के तुलना में १०८ प्रतिशत तक बढा है| इस देश की आर्थिक तूट और कर्ज की मात्रा कम करने के लिए कदम उठाये नही जा रहे है, यह नाराजगी भी मुद्राकोष ने पहले के रपट में जताई थी| साथ ही अगले पाच वर्षों में अमरिका के कर्ज का भार जीडीपी की तुलना में ११७ प्रतिशत तक बढने की संभावना है और यह भार अफ्रीकन अर्थव्यवस्था से भी अधिक रहेगा, यह कहा गया था|

विश्‍व की अधिकतम विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में कर्ज की मात्र ‘जीडीपी’ की तुलना में ७० फिसदी से भी अधिक है, इस बारे में भी मुद्राकोष ने नाराजगी जताई है| यह देश कर्ज का भार और तूट बढेगी, ऐसी आर्थिक नीति से दूर रहे, यह सलाह भी मुद्राकोष की रपट में दी गई है|

पिछले कुछ महीनों में अमरिका-चीन व्यापार युद्ध के कारण फिर एकबार आर्थिक मंदी का माहौल तैयार हो रहा है, यह चेतावनी लगातार दी जा रही है| इस पृष्ठभुमि पर कर्ज की बढती मात्रा चिंता का विषय है और इससे जागतिक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ सकती है, यह माना जा रहा है|

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