रक्षा खरीद की जानकारी रक्षा मंत्रालय की वेबसाईट पर साझा होगी

रक्षा सामान का देश में निर्माण करने के लिए गति प्रदान करने के साथ खरीद पारदर्शी करने के लिएईज ऑफ डुईंग बिज़नेसपर अहम निर्णय

नई दिल्ली- देश की रक्षा सामान एवं हथियारों की खरीद की जानकारी रक्षा मंत्रालय और रक्षा सेवा से संबंधित वेबसाईटस्‌ पर साझा करने के प्रस्ताव को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मंजूरी प्रदान की है। इस वजह से रक्षा खरीद का व्यवहार अधिक पारदर्शी होगा। ‘ईज ऑफ डुईंग बिज़नेस’ को गति प्राप्त होगी, यह दावा किया जा रहा है। यह प्रस्ताव पेश होने के बाद सिर्फ एक हफ्ते में अब रक्षा मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है।

बीते कुछ वर्षों में सरकार ने रक्षा खरीद अधिकाधिक पारदर्शी करने के लिए एवं खरीद की प्रक्रिया गतिमान करने के लिए कई कदम उठाए हैं। साथ ही रक्षा सामान के निर्माण क्षेत्र में भारत आयातक देश के तौर पर बनी अपनी प्रतिमा हटाकर निर्यातक देश होने की दिशा में कोशिश कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत नीति के तहत देश में ही रक्षा सामान के निर्माण को गति प्रदान की जा रही है। साथ ही रक्षा क्षेत्र में अधिक से अधिक कंपनियाँ निवेश करें, इसके लिए बढ़ावा दिया जा रहा है।

weapons-info-websiteरक्षा सामान की खरीद सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा होने से इससे संबंधित जानकारी या ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया जाता। लेकिन, अब संवेदनशील तकनीक की खरीद के अलावा रक्षा मंत्रालय ने रक्षा बलों के लिए प्रस्तावित खरीद की पूरी जानकारी वेबसाईट पर प्रसिद्ध की जाएगी। इसमें उत्पादन, अंदाज़न कीमत, आवश्‍यक मात्रा की जानकारी साझा की जाएगी। इसके अलावा ऑफसेट, परीक्षण, तकनीक के हस्तांतरण समेत अन्य जानकारी का भी समावेश होगा। यह जानकारी पहले ही घोषित होने से रक्षा क्षेत्र से संबंधित कंपनियाँ उपकरणों के मूल निर्माता से तकनीक से संबंधित समझौता करने की योजना तैयार कर सकेंगे। साथ ही रक्षाबलों की संभावित खरीद की जानकारी प्राप्त होने से इस सामान के उत्पादन के लिए आवश्‍यक क्षमता विकसित करने का अवसर भी प्राप्त हो सकेगा।

कुछ दिन पहले सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने सेना की खरीद प्रक्रिया निर्धारित समय से धीमी गति से जारी होने का बयान किया था। नियम और कानून की कुछ कमियों के साथ लालफीत के कारोबार पर उन्होंने ध्यान केंद्रीत किया था। इस वजह से वर्णित क्षेत्र में क्रांतीकारी बदलाव लाने होंगे और निर्णय भी करने होंगे, यह बात जनरल नरवणे ने रेखांकित की थी। इस पृष्ठभूमि पर इस निर्णय की अहमियत बनती है।

इससे पहले सरकार ने रक्षा बलों के आर्थिक अधिकारों में बढ़ोतरी की है। तीन सौ करोड़ तक का रक्षा सामान रक्षाबल अपने अधिकार में सीधे खरीद सकते हैं। इसके पीछे खरीद प्रक्रिया की अवधि कम करने की मंशा है। सीमा पर तनाव जारी होते हुए रक्षा बलों को अपनी ज़रूरतों के अनुसार शीघ्रता से खरीदना मुमकिन हो, खरीद के लिए मंत्रालय की मंजूरी की प्रतिक्षा करने की आवश्‍यकता ना हो, यही उद्देश्‍य इसके पीछे है। अब रक्षा सामान की संभावित खरीद से संबंधित जानकारी वेबसाईट पर प्रसिद्ध करने का निर्णय किया गया है। इसके ज़रिये भारत में इस क्षेत्र की कंपनियों के लिए आवश्‍यक रक्षा सामान का निर्माण करने के लिए बढ़ावा दिया गया हैं। साथ ही इससे उद्योगसुलभ माहौल बनेगा और निवेश बढ़ाने के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा, यह दावा किया जा रहा है।

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