भारत और अमरीका के विदेशमंत्री के बीच ‘क्वाड’ पर हुई चर्चा

नई दिल्ली – चीन के साथ बना तनाव काफी हद तक बढ़ा है और ऐसे में अमरीका के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के ‘क्वॉड्रिलैटरल सिक्युरिटी डायलॉग’ (क्वाड) की बैठक जल्द ही होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर और अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ के बीच गुरुवार रात फोन पर चर्चा हुई। इसके बाद दोनों देशों के बीच अन्य आम मुद्दों पर चर्चा होने की जानकारी विदेशमंत्री जयशंकर ने साझा की। दोनों देशों की इस चर्चा में ‘क्वाड’ का ज़िक्र होना ध्यान आकर्षित कर रहा है। क्योंकि, यदि ‘क्वाड’ देश एक हुए तो चीन को आसानी से लगाम कसना संभव होगा, यह बात विश्‍लेषक कह रहे हैं।

‘क्वाड’

अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ और भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर के बीच लंबी और विस्तृत चर्चा हुई। कोरोना की महामारी से संबंधित सहयोग के साथ दक्षिण एशिया, अफ़गानिस्तान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चुनौतियां और सहयोग पर चर्चा होने की जानकारी विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने ट्विट करके साझा की। इसमें ‘क्वाड’ की भविष्य में होनेवाली बैठक पर भी चर्चा होने की जानकारी एस.जयशंकर ने प्रदान की। साथ ही अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने भारत और अमरीका के मज़बूत हो रहे द्विपक्षिय संबंध रेखांकित किए और यह भी कहा है कि, सभी देशों को संपन्न होने के लिए समान अवसर होनेवाले सुरक्षित और संप्रभुता के इंडो-पैसिफिक के लिए हम एक हुए हैं।

अमरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने भी इन दोनों नेताओं के बीच हुई इस चर्चा से संबंधित जानकारी घोषित की है। क्षेत्रिय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग करने के साथ ही ‘क्वाड’ और दोनों देशों में ‘टू प्लस टू’ चर्चा के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं की चर्चा होने की बात अमरिकी विदेश विभाग ने कही है। गलवान में चीन ने की हुई दगाबाज़ी के बाद अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ और भारत के विदेशमंत्री की लगातार फोन पर चर्चा हो रही है। 22 जुलाई के दिन भी अमरिकी विदेशमंत्री पोम्पिओ और भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर के बीच चर्चा हुई थी। इससे भारत और अमरीका का सहयोग अधिकाधिक व्यापक होने की बात स्पष्ट दिखाई दे रही है।

अमरीका ने फिलहाल चीन के विरोध में बड़ा मोर्चा बनाया है। एक के पीछे एक ऐसे आक्रामक निर्णय अमरीका ले रही है। चीन को रोकने के लिए अमरीका ने स्पष्ट संघर्ष करने की नीति अपनाई है। साउथ चायना सी क्षेत्र में अपने युद्धपोतों की तैनाती और गश्‍त बढ़ाकर अमरीका ने चीन पर दबाव बढ़ाया है। चीन का जिन देशों के साथ सीमा विवाद जारी है उन सभी देशों को खुलेआम सहयोग करने का ऐलान करके अमरीका ने चीन के विरोध में बिगुल बजाया है। गलावन के संघर्ष के बाद भारत भी चीन के विरोध में आक्रामक हुआ है और चीन को एक के पीछे एक आर्थिक झटके दे रहा है। साथ ही सीमा पर और हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती बढ़ाकर भारत ने चीन को उचित संदेशा दिया है। अब ‘क्वाड’ का ज़िक्र करके भारत ने चीन को और एक चेतावनी दी हुई दिख रही है।

चीन के विरोध में ‘क्वाड’ देशों को मोर्चा तैयार करना होगा। भारत ने इसमें अधिक सक्रिय भूमिका निभानी होगी, यह बात विश्‍लेषक कह रहे हैं। बीते महीने मे अमरिकी विदेश विभाग के पूर्व उपमंत्री एलिस वेल्स ने भी भारत से ऐसा ही निवेदन किया था। ‘क्वाड’ देशों के सहयोग को चीन का विरोध हो रहा है और भारत अपनी गुट निरपेक्षता की नीति ना छोड़े, यह बयान चीन ने किया था। क्योंकि, चीन को इस मोर्चे से बड़ा ड़र लग रहा है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। भारत ने इस मोर्चे का हिस्सा होने के बावजूद अब तक बड़ी सक्रियता नहीं दिखाई थी। चीन के विरोध में खुलेआम भूमिका अपनाने से भी भारत दूर ही रहा था। भारत-अमरीका और जापान के बीच हो रहे मलाबार युद्धाभ्यास में भी ऑस्ट्रेलिया को शामिल करके इस युद्धाभ्यास को ‘क्वाड’ का स्वरूप देने से भारत इसी वजह से बच रहा था, यह बात विश्‍लेषकों ने रखी थी।

लेकिन, अब भारत की इस भूमिका में बदलाव होता हुआ दिख रहा है। मलाबार में ऑस्ट्रेलिया को शामिल करना अब लगभग तय होने के समाचार प्राप्त हुए थे। भारत ने साउथ चायना सी क्षेत्र किसी एक का ना होने का बयान करके दिखाई हुई भूमिका, हिंद महासागर क्षेत्र में सीधे मलाक्का के करीब जापान और बाद में अमरीका के साथ किए युद्धाभ्यास से भारत चीन को संदेश दे रहा है। इस वजह से भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर और अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ के बीच ‘क्वाड’ की बैठक के मुद्दे पर हुई चर्चा बड़ी अहम और ‘क्वाड’ में भारत अधिक सक्रिय होने के संकेत देनेवाली साबित होती है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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