ब्रिटेन द्वारा न्यूक्लियर प्लांट में चिनी निवेश को नकारने के संकेत

britian-chinese-investment-2लंडन/बीजिंग – साउथ चाइना सी, हॉंगकॉंग, उइगरवंशीय और हुवेई जैसे मुद्दों पर चीन को झटके देनेवाले ब्रिटेन ने, कम्युनिस्ट हुकूमत को एक और झटका देने के संकेत दिए हैं। ब्रिटेन के न्यूक्लियर प्लांट में चीन का संभाव्य निवेश नकारने की दिशा में, ब्रिटेन के राजनीतिक दायरे में गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। ब्रिटिश मूल्यों को ना माननेवाले देशों के हाथ में, ब्रिटेन की संवेदनशील ऊर्जा यंत्रणा का अहम हिस्सा देने का ख़तरा नहीं मोल सकते, ऐसी भूमिका ब्रिटेन के वरिष्ठ सांसदों ने रखी है।

ब्रिटेन और चीन के बीच सन २०१५ में न्यूक्लियर प्लांट्स के संदर्भ में समझौता हुआ था। उसके अनुसार, चीन ब्रिटेन के सफोल्क और इसेक्स स्थित न्यूक्लियर प्लांट्स में बड़ा निवेश करने वाला है। यह निवेश अरबों डॉलर्स का होने की बात बताई जाती है। इसेक्स स्थित प्रोजेक्ट चीन द्वारा ही विकसित किया जा रहा होकर, सफोल्क स्थित प्रोजेक्ट में चिनी कंपनी फ्रेंच कंपनी के साथ साझेदार है। फिलहाल इन दोनों प्रोजेक्ट्स में चिनी निवेश को ब्रिटिश यंत्रणाओं द्वारा मंजुरी नहीं दी गई है।

britian-chinese-investment-1इस मुद्दे पर पिछले महीने में चीन के विदेश विभाग द्वारा चेतावनी भी दी गई थी। ‘ब्रिटन ने चिनी कंपनियों को व्यापार के लिए खुला और मुक्त वातावरण प्रदान करना जरूरी है। एक-दूसरे के फायदे के लिए दोनों देशों ने उचित सहयोग बरकरार रखना हितकारी साबित होगा’, ऐसा विदेश विभाग के प्रवक्ता झाओ लिजिअन ने जताया था। जवाब में ब्रिटेन की सरकार ने, न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स के संदर्भ में राष्ट्रीय सुरक्षा और हितसंबंधों को मद्देनज़र रखकर फैसला किया जाएगा, ऐसा कहा था।

लेकिन वास्तव में ब्रिटेन ने दोनों न्यूक्लियर प्लांट्स में चिनी निवेश को नकारने की तैयारी शुरू की है। ब्रिटेन में निवेश करनेवाली ‘चायना जनरल न्यूक्लिअर’ इस कंपनी को अमरीका ने ‘ब्लैक लिस्ट’ कर दिया है। यह मुद्दा तथा अमरीका और ब्रिटेन के बीच चीन के मसले पर होनेवाले सहयोग पर अगर गौर फरमाया, तो ब्रिटिश सरकार चिनी निवेश का स्वीकार करने की संभावना कम है, ऐसा दावा ब्रिटिश सूत्रों ने किया है।

इससे पहले हुवेई के मुद्दे पर अमरीका ने अपनाई आग्रही भूमिका के बाद ब्रिटेन ने भी इस कंपनी के निवेश को नकारा था। उसी के साथ कोरोना की महामारी, हॉंगकॉंग, साऊथ चाइना सी और उइगरवंशियों के मुद्दे पर भी ब्रिटेन ने चीन के विरोध में आक्रामक कदम उठाए हैं। न्यूक्लियर प्लांट्स में निवेश, यह उसी का अगला चरण साबित होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

न्यूक्लियर प्लांट्स में चीन का निवेश नकारने के संकेत देनेवाला ब्रिटन यह पहला युरोपीय देश नहीं है। इससे पहले युरोप के अन्य देशों ने भी चिनी कंपनियों से इन्कार किया है। पिछले साल रोमानिया ने, अपने ‘सेर्नावोदा’ न्यूक्लियर प्लांट के संदर्भ में चीन के साथ किया समझौता तोड़ने का ऐलान किया था। रोमानिया के इस निर्णय के पीछे अमरीका का दबाव होने की बात सामने आई थी। उसी के साथ झेक प्रजासत्ताक इस यूरोपीय देश ने भी ‘ड्युकोव्हॅनी’ प्रोजेक्ट की निविदा प्रक्रिया में से चीन की ‘चायना जनरल न्यूक्लिअर’ को निकाल बाहर करने की घोषणा की थी। झेक सरकार ने इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा का कारण बताया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.