पाकिस्तान के समर्थन में खडे चीन को भारत की कडी चेतावनी

नई दिल्ली – लद्दाख की पूर्व सीमा पर गश्त कर रहे भारतीय और चीन के सैनिकों की हाथापायी होने की खबर है| भारतीय सैनिक इस क्षेत्र की गश्त कर रहे थे तभी चीन के सैनिकों ने उन्हें रोकने की कोशिशी की| इसी बीच यह हाथापायी होने की जानकारी मिली है| इसी बीच दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की बातचीत होने पर यह विवाद खतम किया गया, यह दावा किया जा रहा है| फिर भी पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के बीच बने कडे मतभेदों की छाया इस विवाद में देखी गई है| जम्मू-कश्मीर संबंधी भारत ने किए निर्णय के बाद चीन ने जाहीर तौर पर भारत के विरोध में भूमिका अपनाई नही है, फिर भी पाकिस्तान को समर्थन देने का ऐलान किया है| साथ ही पीओके से ‘सीपीईसी’ परियोजना पूरी करने की नए से तैयारी करके चीन ने भारत को उकसाया है| इसके बाद भारत ने चीन को कडी चेतावनी देने के लिए कई निर्णय किए है|

कुछ दिन पहले चीन और पाकिस्तान ने भारत की सीमा के निकट संयुक्त युद्धाभ्यास किया| इस पर भारत ने गंभीरता से संज्ञान लिया है| अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना और वायुसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास आयोजित किया गया है और इसके लिए अमरिका से खरिदें ‘एम ७७७ अल्ट्रा लाईट होवित्जर’ तोंप और चिनूक हैलिकाप्टर्स वहां पर तैनात किए गए है| ‘हिमविजय’ नाम से हो रहे इस युद्धाभ्यास में नए से गठित की गई ‘१७ माउंटन स्ट्राईक कोअर’ हिस्सा ले रही है| इस सेना की टुकडी की युद्ध की तैयारी परखने के लिए इस युद्धाभ्यास का आयोजन होने की बात कही जा रही है|

इस युद्धाभ्यास से पहले भारत और चीन की सेना लद्दाख के पूर्वीय क्षेत्र में ‘पैगॉंग त्सो’ में एक दुसरे के सामने खडी हुई| वहां पर भारतीय सेना की गश्त पर चीन के सैनिकों ने आपत्ति जताई| लेकिन, भारतीय सैनिकों ने चीन के सैनिकों को कडा जवाब दिया और वहां से वापसी करने से इन्कार किया| इसके बाद दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों की बैठक हुई और इस विवाद का हल निकाला गया| लेकिन, इस की वजह से भारत और चीन के संबंध बिगडने की बात दिखाई दे रही है| भारत ने जम्मू-कश्मीर के साथ लद्दाख को केंद्रीय प्रदेश घोषित करने पर चीन ने नाराजगी व्यक्त की थी| फिलहाल कई मोर्चों पर व्यस्त हुआ चीन इस मुद्दे पर भारत को चुनौती देने से दूर रहा है, फिर भी भारत ने किए इस निर्णय से अपनी सार्वभूमता दो झटका लगा है, यह दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है|

भारत के निर्णय के बाद चीन के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी और विदेशमंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा की| इस दौरान पाकिस्तान को सहयोग देने का वादा चीन ने किया है| ऐसे में पाकिस्तान के आत्मविश्‍वास में बढोतरी हुई है और यह देश भारत को सबक सिखाने की भाषा करने लगा है| संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में ‘क्लोज डोअर’ बैठक के दौरान कश्मीर का मुद्दा उपस्थित करके चीन ने पाकिस्तान का समर्थन करने की कोशिश की थी| इसपर सुरक्षा परिषद के अन्य किसी भी देश ने साथ नही दी, फिर भी चीन की इस हरकत पर भारत में गुस्सों से भी प्रतिक्रिया उमड रही है| ऐसे में पाकिस्तान से भारत के विरोध में हो रही आतंकी गतिविधियों का अप्रत्यक्ष तरीके से चीन समर्थन कर रहा है, इसके कई उदाहरण स्पष्ट हुए है|

इस पृष्ठभूमि पर भारत ने चीन संंबंधी अपनी भूमिका और भी कडी की हुई दिख रही है| कुछ दिन पहले ही भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘सीपीईसी’ परियोजना के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ ही चीन के भी कान खिंचे थे| जिस पीओके में इस परियोजना पर अमल हो रहा है, वह भारत का सार्वभूम क्षेत्र है, इसका एहसास विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने दिलाया था| इसी लिए चीन और पाकिस्तान पीओके से जानेवारी परियोजना रद्द करें, ऐसा रविश कुमार ने कहा था| इस ओर चीन ने अनदेखा किया है, फिर भी भारत यह मुद्दा छोड नही देगा, यह संदेशा भी भारत ने चीन को दिया है|

करीबन ११ सदस्यों का भारतीय शिष्टमंडल चीन की यात्रा पर निकला है और इसमें पांच सांसद भी शामिल है| आतंकवाद का केंद्र बने पाकिस्तान को चीन से प्राप्त हो रहा समर्थन काफी गलत संदेशा दे रहा है, इसका कडा एहसास यह शिष्टमंडल ने चीन को देगा| इसका असर भारतीय ग्राहकों पर हो सकता है, यह इशारा भी यह शिष्टमंडल चीन को देगा, यह जानकारी कुछ समाचार चैनलों ने दी है|

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