भारत की विदेश नीति आक्रामक बनी है – अमरीका के गुप्तचर विभाग के प्रमुख का दावा

वॉशिंग्टन – अपनी क्षमता और उसका प्रदर्शन इसके बारे में आक्रामक नीति अपनाकर भारत ने सन २०२० में प्रखरतापूर्वक अपनी विदेश नीति पर अमल किया। बहुत ही महत्वपूर्ण होनेवाले हिंद महासागर क्षेत्र में पूरी सुरक्षा की आपूर्ति करनेवाले देश के रूप में भारत दुनिया के सामने आ रहा है। साथ ही, चीन के विरोध में भारत ने अपनी भूमिका कठोर बनाई है, ऐसा अमरीका की ‘डिफेन्स इंटेलिजन्स एजन्सी’ के जनरल डायरेक्टर स्कॉट बेरिअर ने कहा है। अमरिकी संसद की समिति के सामने हुई सुनवाई में बेरिअर ने यह दावा करके इस बारे में निरीक्षण दर्ज किए हैं।

चीन ने लद्दाख की एलएसी पर घुसपैंठ करके भारत के भूभाग पर कब्ज़ा करने की कोशिश करके देखी। लेकिन भारतीय लष्कर ने चीन को रोका। गलवान वैली में हुए संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद हुए। लेकिन उसके बाद भारत ने इस क्षेत्र में ४० हज़ार सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती की। उसीके साथ, तोपें, टैंक्स और लड़ाकू विमान तैनात करके सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पहाड़ियों पर कब्जा भी किया। चीन के लष्कर के सामने यह कार्रवाई करके भारत ने अपनी क्षमता साबित की, यह बात स्कॉट बेरिअर ने अमरीका की आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी के सामने हुई सुनवाई के दौरान दर्ज की।

सबसे अहम बात यानी चीन के साथ जब यह तनाव बना था, तब भारतीय नौसेना ने ईडन की खाड़ी में तैनात चीनी युद्धपोतों के पीछे अपने युद्धपोत रवाना किए थे। चीन की घुसपैंठ की कोशिश को भारत ने दिए प्रत्युत्तर का यह भाग था। उसी के साथ चीनी एप्स पर पाबंदी लगाकर भारत ने चीन को अपनी आर्थिक क्षमता का एहसास करा दिया, ऐसा बेरिअर ने कहा। पाकिस्तान के संदर्भ में भारत की नीति भी अधिक कठोर बनी है, इसपर भी बेरिअर ने ग़ौर फ़रमाया।

फिलहाल कश्मीर की नियंत्रण रेखा पर भारत और पाकिस्तान के लष्कर ने हालाँकि संघर्ष बंदी लागू की है, फिर भी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों ने खून खराबा करने पर, किसी भी पल यह संघर्षबंदी खारिज हो सकती है और भारत इस घातपात के प्रत्युत्तर में पाकिस्तानी लष्कर पर हमला करेगा, ऐसा निष्कर्ष बेरिअर ने दर्ज किया। भारत अपनी लष्करी क्षमता में भारी मात्रा में बढ़ोतरी कर रहा होकर, रक्षा बलों के अद्यतनीकरण पर भारत ने ध्यान केंद्रित किया है। अभी भी रशिया यही भारत का रक्षा क्षेत्र में सबसे अहम साझेदार देश है। क्योंकि पहले खरीद किए हथियार और रक्षा सामग्री के रखरखाव और मरम्मत के लिए भारतीय रशिया पर निर्भर हैं, ऐसा बेरिअर ने इस सुनवाई में स्पष्ट किया।

अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने अपनी क्षमता बढ़ाई है। भारत के सेटेलाइट्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। सन २०१९ में उपग्रहभेदी क्षेपणास्त्र का प्रदर्शन करके भारत में इस मोरचे पर अपनी क्षमता दुनिया को दिखा दी। आनेवाले समय में अपना यह सामर्थ्य बढ़ाते रहने के लिए भारत कदम उठा रहा है, ऐसा बेरिअर ने कहा।

इसी बीच, भारत की नीति में हो रहे इस बदलाव का निरीक्षण करनेवाली अमरीका से यह बात बहुत ही गंभीरता से दर्ज की जा रही है, ऐसा बेरिअर की इस सुनवाई से फिर एक बार सामने आया है। भारत की विदेश नीति में हो रहे इन बदलावों को टटोलने का फैसला अमरीका के बायडेन प्रशासन ने हाल ही में किया था। भारत के सागरी क्षेत्र में स्थित ‘एक्सक्ल्युझिव्ह इकॉनॉमिक झोन’ में अमरिकी नौसेना ने किया अभ्यास और उसकी घोषणा, यह उसी का भाग होने के संकेत मिल रहे हैं।

इसके बाद भी बायडेन प्रशासन ने भारत के लिए अप्रिय रहनेवाले कुछ फैसले किए थे। कोरोना के टीके के लिए आवश्यक रॉ मटेरियल की सप्लाई रोककर बायडेन प्रशासन ने भारत के मार्ग में रोड़े पैदा किए थे। उसके पीछे अन्य कारणों के साथ ही, भारत के टीकाकरण मुहिम की रफ़्तार कम करने का और उसके जरिए भारत को झटका देने का हेतु था। जब कोरोना की पहली लहर आई थी, तब भारत ने दक्षिण एशिया, अफ्रीका और खाड़ी क्षेत्र के देशों को बड़े पैमाने पर दवाइयाँ और वैद्यकीय सामग्री की सप्लाई की थी, इसकी भी याद बेरिअर ने अपनी इस सुनवाई में करा दी।

भारत की विदेश नीति कठोर बनी होकर, उसपर अधिक प्रखरता से अमल किया जा रहा है, यह बताकर बेरिअर कहीं बायडेन प्रशासन को इसके परिणामों का एहसास तो नहीं करा दे रहे हैं, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन अमरीका का रक्षा मुख्यालय होनेवाला पेंटागन, अमरीका के प्रमुख विपक्षी नेता और भारत को मार्केट के रूप में देखनेवाला अमरीका का उद्योग क्षेत्र, बायडेन प्रशासन को भारत विरोधी फैसले से परावृत्त करने के लिए अपना प्रभाव इस्तेमाल कर रहे हैं, यह पिछले कुछ दिनों में सामने आया था।

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