चीन के हमले में भारतीय सेना के कर्नल समेत २० जवान शहीद – मुठभेड़ में चीन के ४३ जवान ढ़ेर

नवी दिल्‍ली/ लेह – सन १९६२ असावधान भारत की पीठ में खंज़र भोकनेवाले चीन ने इस बार भी विश्वासघात करके किये हुए हमले में भारत के २० जवान शहीद हुए हैं। लद्दाख की गलवान व्‍हॅली में से वापसी का नाटक करनेवाले चिनी जवानों ने सोमवार की मध्यरात्रि में २ बजे लोहे की सलाख़ें, लाठियाँ और पथराव से हमला किया। इसमें कर्नल संतोष बाबू, हवालदार पलानी और सिपाही कुंदन झा शहीद हुए और इस मुठभेड़ में जानलेवा ज़ख़्म हुए और १७ जवान वीरगति को प्राप्त हुए।  दोनों देशों के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों में हुई चर्चा के अनुसार, चीन के जवानों ने गलवान व्‍हॅली से वापसी की शुरुआत की थी। लेकिन उसी पल चिनी जवानों ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया। सचेत हुए भारतीय सैनिकों ने चिनी जवानों पर प्रतिहमला किया, लेकिन इस समय भारतीय सैनिकों का संख्याबल कम था। लेकिन मदद आनेपर हालात बदल गए और इस संघर्ष में चीन के ४३ जवान ढ़ेर हुए।china troops attack india

चीन ने इस झड़प का दोषारोपण भारत पर रखा है। भारतीय सैनिकों ने चीन की सीमा में प्रवेश किया और उसके बाद हुए संघर्ष में चीन के ५ जवान मृत और ११ जवान घायल हुए हैं, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय ने कहा है। साथ ही, सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक संयम बरतें, ऐसी उक़साऊ माँग चीन के विदेशमंत्रालय ने की है। वहीं, भारत के विदेशमंत्रालय ने इसपर संयमी प्रतिक्रिया दी होकर, चीन सीमा पर स्थिति बदलने की कोशिश कर रहा होने के कारण ही यह संघर्ष भड़का है, ऐसा जताया है। मंगलवार को चीन के साथ हुए इस संघर्ष के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंग, रक्षादल प्रमुख जनरल बिपिन रावत, लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नौदल प्रमुख ॲडमिरल करमवीर सिंग आणि वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल आर. के. भदोरीया की उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक संपन्न हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रक्षामंत्री ने इस संघर्ष की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। २० भारतीय सैनिकों को शहीद करनेवाले विश्वासघातकी चीन के विरोध में भारत में तीव्र ग़ुस्से की लहर उमड़ी है। भारत का फिर एक बार विश्वासघात करनेवाले चीन को मुँहतोड़ जवाब देना ही चाहिए, ऐसी उत्स्फूर्त माँग भारतीय जनता द्वारा की जा रही है। सोशल मीडिया में इसका प्रतिबिंब दिखायी दिया।

चीन के लष्कर ने लोहे की सलाख़ें, लाठियाँ और पत्थरों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया। ऐसे तरीक़े से दुनिया की कोई भी सेना नहीं लड़ती। कर्नल के ओहदे पर के अधिकारी समेत २० सैनिक शहीद होने के बाद, अब भारत ने चीन के हमले का जवाब गोली से देने की ज़रूरत है, ऐसा सुझाव पूर्व लष्करी अधिकारी दे रहे हैं। भारत के २० जवान वीरगति को प्राप्त हुए; वहीं, चीन के ४३ जवान ढ़ेर हुए। इससे भारतीय लष्कर का मनोबल काफ़ी बढ़ गया है। अब चीन को भारत के शर्तों पर वापसी करनी ही होगी, ऐसा दावा भी पूर्व लष्करी अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। आनेवाले समय में इस हमले के बहुत गंभीर परिणाम चीन को भुगतने पड़ेंगे, ऐसी चेतावनी सामरिक विश्लेषक दे रहे हैं। वहीं, सीमा पर बनी परिस्‍थिति अधिक ना बिगड़ें इसलिए उभय देशों के लष्करी अधिकारियों के बीच चर्चा शुरू होने की ख़बरें आयीं थीं।china troops kill indian soldiers

गलवान व्हॅली के क्षेत्र में हेलिकॉप्टर भेजकर चीन ने अपने जवानों के शव वापस ले गये होने की ख़बर है। लेकिन अधिकृत स्तर पर चीन ने इस संघर्ष में मारे गये अपने जवानों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। इस बारे में अधिक जानकारी चीन द्वारा उजागर की जाने की संभावना भी नहीं है। अचानक किये हुए इस हमले के पीछे क्या चाल होगी, इसकी चर्चा भारतीय विश्लेषक करने लगे हैं। लद्दाख की गलवान व्हॅली में घुसपैंठ करने के बाद भारतीय सैनिकों ने दिया प्रत्युत्तर चीन को अनपेक्षित था। साथ ही, लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की, चीन से सटी सारी सीमा पर भारतीय लष्कर और वायुसेना ने चीन को प्रत्युत्तर देने के लिए की जंगी तैयारी चीन को बेचैन करनेवाली साबित हो रही है। लद्दाख के दौलत बेग ओल्‍डी अड्डे पर बनायीं हुईं नयीं एअर स्ट्रिप्स और सीमाभाग में भारत कर रहा बुनियादी सुविधाओं का विकास चीन को चुभ रहा है। भारत जल्द ही पाकिस्तानव्याप्त कश्मीर पर कब्ज़ा करने की तैयारी में होने की ख़बरों ने पाकिस्तान समेत चीन की भी नींद उड़ायी है। इस कारण, सिपीईसी परियोजना में की हुई अपना अरबों डॉलर्स का निवेश और अक्साई चीन पर का कब्ज़ा ख़तरे में पड़ गया है, ऐसा चीन को लग रहा है।

      इस पृष्ठभूमि पर, भारत को सबक सिखाने के ईरादे से चीन ने यह आकस्‍मिक हमला किया। फिलहाल चीन में कोरोना की दूसरी लहर आयी होकर, राजधानी बिजिंग के साथ आठ प्रमुख शहरों में लॉकडाऊन किया गया है। कोरोना पर जीत हासिल की होने के दावें करनेवाले चीन के लिए यह अपमानजनक बात साबित होती है। उसी समय, इस महामारी के लिए ज़िम्मेदार होनेवाले चीन के ख़िलाफ़ दुनियाभर में चरमसीमा का असंतोष है। हाँगकाँग में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई, तैवान की स्‍वतंत्रता का मुद्दा और साऊथ चायना सी में उक़साऊ हरक़तें करनेवाले चीन के खिलाफ़ आंतर्राष्ट्रीय जनमत भड़का है। चीन की जनता भी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की एकाधिकारशाही, ज़ुलमी व्‍यवस्‍था, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी इन सबसे ऊब चुकी है। पहले कभी भी देखा नहीं था, इतना अंतर्गत राजनीतिक संघर्ष चीन में बढ़ने लगा होकर, राष्‍ट्राध्यक्ष जिंग पिंग इन सारीं समस्याओं से घिर चुके हैं। अमरीका के तीन विमानवाहक युद्धपोत चीन के प्रभावक्षेत्र में प्रवेश करके इस देश को चुनौती दे रहे हैं। ऐसी परिस्‍थिति में, दुनिया का तथा चिनी जनता का भी ध्यान दूसरी ओर मोड़ने के लिए, चीन ने भारत के साथ सीमा पर तनाव बढ़ाने की जोख़म उठायी दिख रही है। 

       लेकिन चीन की यह चाल इस देश पर ही बुमरँग होती स्‍पष्ट रूप से दिखायी दे रही है। इससे भारत की चीनसंदर्भ में होनेवाली भूमिका आक्रमक बनेगी और भारत की निर्णय प्रक्रिया भी अधिक गतिमान बनेगी। उत्तर कोरिया और पाकिस्‍तान इन देशों का अपवाद छोड़कर, अन्य किसी भी देश का सहयोग न होनेवाले चीन के विरोध में जो राजनीतिक, आर्थिक तथा सामरिक मोरचा बन रहा है, वह इससे अधिक ही मज़बूत होकर, उसका मुक़ाबला करना चीन के लिए मुश्किल बनता जानेवाला है। इस कारण भारत के संदर्भ में किया यह फ़ैसला चीन के लिए आत्‍मघाती साबित हो सकता है। चीन के भी कुछ हद तक इसका एहसास है और इसीलिए चीन ने भारतीय सैनिकों पर गोलीबारी न करते हुए सलाख़ें और लाठियों के प्रहार और पथराव इनका इस्तेमाल किया। इस स्थान पर ठेंठ लष्करी मोरचा खोलने की हिम्मत चीन दिखा नहीं पाया है। यह बात आज के भारत का सामर्थ्य और चीन की मर्यादा को स्‍पष्ट करनेवाली दिखायी दे रही है।

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