चिनी उत्पादों पर भारतीयों का बहिष्कार कामयाब नहीं होगा – चीन के सरकारी मुखपत्र का बयान

नई दिल्ली – भारतीयों के लिए चिनी सामान का बहिष्कार करना आसान नहीं होगा। बल्कि, चिनी सामान का बहिष्कार करने के लिए कितनी भी मुहिमों को चलाया, तो भी वह असफल होंगी। क्योंकि, चिनी उत्पादन भारतीय समाज का एक हिस्सा बना है, इन शब्दों में चीन की सरकार का मुखपत्र होनेवाले ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने, चिनी सामान का बहिष्कार करने का आवाहन करनेवालों का मज़ाक उड़ाया है। लेकिन, भारत में चिनी सामान का बहिष्कार करने की मुहिम तीव्र हुई है और इसे अधिक से अधिक भारतीयों का जोरदार समर्थन प्राप्त हो रहा है। इस वज़ह से सहमे चीन की चिंता भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख से स्पष्ट हो रही हैं।

चिनी उत्पाद, बहिष्कार

कोरोना वायरस की महामारी और इसके बाद लद्दाख की सीमा पर घुसपैठ की कोशिश, इसके कारण चीन के विरोध में भारत में बड़ा गुस्सा व्यक्त हो रहा है। ऐसे में, चीन के सामान का बहिष्कार करने का आवाहन अलग अलग संगठन कर रहे हैं। रविवार के दिन ‘कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स’ (सीएआयटी) इस भारतीय कारोबारियों के शीर्ष संगठन ने देशभर में १० जून से ‘बायकॉट चायनीज्‌ गुडस्‌’ मुहिम शुरू करने का ऐलान किया है। चिनी सामान की खरीद से ब्यापारियों को रोकने के साथ ही, नागरिकों को भी स्वदेशी सामान की खरीद करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए यह मुहिम चलाई जाएगी, यह बात ‘सीएआयटी’ ने कही है।

देश के ७ करोड़ ब्यापारी और ४० हज़ार छोटे-बड़े ब्यापारी संगठनों का प्रतिनिधित्व ‘सीएआयटी’ करता है। सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को मज़बूती देने के लिए ‘सीएआयटी’ ने पिछले दो वर्षों में समय समय पर ऐसी मुहिमें चलाई हैं। इससे चीन से हो रही आयात में कमी हुई है। वर्ष २०१७-१८ के दोरान चीन से ७६ अरब डॉलर्स की आयात हो रही थी। यह आयात ६ अरब डॉलर्स से कम हुई होकर, ७० अरब डॉलर्स तक जा पहुँची है। यह गिरावट देश के ग्राहकों की भावना में हुआ बदलाव दिखा रही है, यह दावा ‘सीएआयटी’ के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने किया है।

चिनी उत्पाद, बहिष्कार

इससे पहले लद्दाख में स्थित पर्यावरण विशेषज्ञ सोनम वँगचुक ने ‘बायकॉट मेड इन चायना’ का आवाहन किया था। इसके अलावा ‘रिमुव्ह चायना ॲप्स’ नाम का ‘ॲप’ भी बड़ी मात्रा में डाउनलोड हुआ है। चीन ने इस ॲप पर आपत्ति जताने के बाद गुगल स्टोअर से यह ‘ॲप’ हटाया गया।

इस पृष्ठभूमि पर, चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने चिनी सामान का बहिष्कार करने की मुहिम पर प्रतिक्रिया दर्ज़ की हैं। ‘भारत में कुछ लोग चीन के विरोध में भ्रामक प्रचार कर रहे हैं। सीमा मसले पर दोनों देश चर्चा कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय माध्यम और कुछ लोग गलत जानकारी देकर चीन की निंदा कर रहे हैं’ यह बात ‘शंघाय इन्स्टिट्युट ऑफ इंटरनैशनल स्टड़िज्‌’ के विश्‍लेषक झाओ गांचेंग ने ‘ग्लोबल टाईम्स’ में लिखे लेख में रखी है।

चिनी सामान के विरोध में दुष्प्रचार भी इन्हीं लोगों से हो रहा हैं। लेकिन उन्हें कामयाबी प्राप्त नही होगी। चिनी सामान भारतीयों के रोजाना ज़िंदगी का हिस्सा बना है। कम क़ीमतों में प्राप्त हो रहा चीन का सामान आम भारतीयों की पसंती प्राप्त कर चुका है। इस वज़ह से चिनी सामान का बहिष्कार करने पर, भारत के आम नागरिकों पर आर्थिक भार बढ़ेगा, यह दावा ‘ग्लोबल टाईम्स’ में किया गया है। साथ ही, भारत में चिनी सामान का बहिष्कार पहली बार नहीं हो रहा हैं, इसकी याद दिलाकर, पहले किए निवेदनों की तरह ही इसे भी नाकामयाबी प्राप्त होगी, यह बयान ‘चायना इन्स्टिट्युट ऑफ कन्टेम्पररी इंटरनैशनल रिलेशन’ की साउथ एशिया स्टडीज्‌ के उपसंचालक लू चुनहों ने किया है।

भारत सरकार अपने उत्पादन क्षेत्र को गति देने की कोशिश कर रही है। लेकिन, फिलहाल इस उत्पादन क्षेत्र का हिस्सा जीडीपी की तुलना में मात्र १६ प्रतिशत हैं। इस वज़ह से फिलहाल तो भारत में चिनी सामान की माँग कम नहीं हो सकेगी। भारत में चिनी स्मार्टफोन कंपनियों की बाज़ार की हिस्सेदारी ७२ प्रतिशत है। चिनी स्मार्ट टीव्ही ने भारतीय बाज़ार में ४५ प्रतिशत हिस्सा प्राप्त किया हैं। इसे विकल्प देनेवाली अन्य कंपनियों की टीव्ही की क़ीमत २० से ४५ प्रतिशत अधिक है, इसकी मिसाल भी ‘ग्लोबल टाईम्स’ के लेख से दी गयी है।

आनेवाले दौर में चिनी सामान पर निर्भर रहना मुमकिन नहीं होगा, इसका एहसास भारतीय जनता और सरकार को भी हुआ है। इसी वज़ह से केंद्र सरकार ने देशी उत्पादन को गति देने के लिए व्यापक मुहिम शुरू की है। कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद चीन से बाहर निकल रहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक हैं। इस वज़ह से जागतिक उत्पादन का अगला केंद्र भारत बन सकता है, यह विश्‍वास विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। इस वज़ह से, फिलहाल भारत का उत्पादन क्षेत्र काफी पिछड़ा है, यह दावा चीन भले ही कर रहा हो, लेकिन ज़ल्द ही भारत का उत्पादन क्षेत्र चीन से स्पर्धा करेगा, यह बात कुछ विश्‍लेषक कह रहे हैं। इसका एहसास भी चीन को हुआ है और यही चिंता चीन से लगातार हो रही आलोचना से स्पष्ट हो रही है।

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