थलसेना को जल्द ही ४० हज़ार ‘मल्टीमोड हैण्ड ग्रेनेड’ प्राप्त होंगे

थलसेनानई दिल्ली – भारतीय थलसेना को जल्द ही स्वदेशी निर्माण के ‘मल्टीमोड हैण्ड ग्रेनेड’ प्राप्त होंगे। भारतीय थलसेना अभी तक ब्रिटीश दौर से बनाए जा रहें हैण्ड ग्रेनेड़ का इस्तेमाल कर रही हैं और अब इनके स्थान पर ‘मल्टीमोड हैण्ड ग्रेनड’ (एमएमएचजी) प्रदान होंगे। नागपूर की ‘इकोनॉमिक एक्सप्लोझिव्हस्‌ लिमिटेड” नामक निजी कंपनी ने इन उच्च दर्जे के हैण्ड ग्रेनेडस्‌ का निर्माण किया है। इस कंपनी को १० लाख हैण्ड ग्रेनेडस्‌ निर्माण करने का कान्ट्रैक्ट बहाल किया गया था। इनमें से ४० हज़ार ग्रेनेडस्‌ की आपूर्ति करने के लिए कंपनी तैयार हुई है। अब जल्द ही ये हैण्ड ग्रेनेडस्‌ थलसेना को प्रदान किए जाएँगे, ऐसा कंपनी ने कहा है। भारतीय इतिहास में पहली बार किसी निजी कंपनी द्वारा थलसेना को हैण्ड ग्रेनेड की आपूर्ति हो रही है।

‘सोलर इंड्ट्रीज्‌ लिमिटेड’ से जुड़ी ‘इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्हस्‌ लिमिटेड’ कंपनी को १० लाख ग्रेनेडस्‌ की आपूर्ति करने के लिए ४०० करोड़ रुपयों का कान्ट्रैक्ट कुछ दिन पहले ही दिया गया था। इसके अनुसार यह कंपनी थलसेना को ४० हज़ार ‘मल्टीमोड हैण्ड ग्रेनेडस्‌’ प्रदान करेगी। अबतक इस्तेमाल हो रहें ब्रिटीशकालिन ग्रेनेडस्‌ के स्थान पर थलसेना को ये थलसेनानए ग्रेनेडस्‌ दिए जाएँगे। वर्ष १९१५ से ही भारत पुराने पद्धती से बनाए ‘विंटेज हैण्ड ग्रेनेडस्‌’ का इस्तेमाल कर रहा है। अब इसके लिए स्वदेशी तकनीक का विकल्प उपलब्ध हुआ है।

नए ‘एमएमएचजी’ का निर्माण ‘इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्हस्‌ लिमिटेड’ और ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (डीआरडीओ) और ‘टर्मिनल बैलेस्टिक्स रिसर्च लैबोरेटरी’ (टीबीआरएल) ने संयुक्त कोशिश से किया है। ‘डीआरडीओ’ के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य यंत्रणा ‘एमएमएचजी’ का परीक्षण करेंगे। इसके बाद अगले आठ से दस दिनों में इन ग्रेनेडस्‌ की आपूर्ति होगी, ऐसा ‘इकॉनॉमिक एक्सप्लोझिव्हस्‌ लिमिटेड’ कंपनी के उप-महासचिव अनमोल राठी ने कहा।

विंटेज हैण्ड ग्रेनेडस्‌ की तुलना में नए ग्रेनेडस्‌ अधिक सुरक्षित हैं। साथ ही, नए ग्रेनेडस्‌ रक्षात्मक और आक्रामक इन दोनों पद्धति से इस्तेमाल हो सकते हैं। सैनिक शेल्टर में और शत्रु मैदान में होते हुए भी ये ग्रेनेड उपयुक्त साबित होंगे। भार में हल्के होनेवाले ये ग्रेनेड फेंकने के बाद पाँच मीटर के दायरे में इसका प्रभाव दिखाई देगा। इन स्वदेशी ग्रेनेडस्‌ की वजह से भारतीय थलसेना की क्षमता अधिक बढ़ेगी, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.