भारत ‘एलएसी’ पर तनाव बढ़ाने की कोशिश करेगा – चीन के सरकारी मुखपत्र की चिंता

चीन के सरकारी मुखपत्रनई दिल्ली/बीजिंग – कोरोना की महामारी और अर्थव्यवस्था की गिरावट से ध्यान हटाने के लिए भारत सीमा पर चीन के साथ तनाव बढ़ाएगा, ऐसी चिंता चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने व्यक्त की है। साथ ही चीन के सरकारी समाचार चैनल ‘सीसीटीवी’ पर गलवान संघर्ष में घायल हुए चीनी अफसर के भारत को इशारा देनेवाले बयान प्रसिद्ध किए गए हैं। ‘चीन भारत को अपनी एक इंच ज़मीन भी प्राप्त करने नहीं देगा, इसके लिए हम जान की परवाह नहीं करेंगे’, ऐसा इस चीनी अफसर ने कहा है। इसी बीच चीनी विश्‍लेषकों ने ऐसा धमकाया है कि, भारत किसी भी भ्रम में ना रहे।

‘सीसीटीवी’ पर इस चीनी अफसर की खबर दिखाई गई और इसकी जानकारी चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने प्रसिद्ध की है। इस अफसर का नाम की फबाव है और गलवान के संघर्ष में उसके सिर पर गंभीर चोट लगी थी। सेना की वर्दी में ही उसने सिर पर लगी चोट दिखाकर ‘सीसीटीवी’ के ज़रिए संदेश दिया। ‘चीन की सेना अपनी एक इंच ज़मीन भी भारत के हाथों में जाने नहीं देगी। उससे पहले हम मर जाएँगे और किसी भी तरह से बलिदान देने से ड़रेंगे नहीं’, ऐसा बयान इस अफसर ने किया है।

दो दिन पहले ही भारत में नियुक्त चीन के राजदूत ने दोनों देशों के बीच संघर्ष नहीं, सहकार्य चाहिये, इस तरह का खुला विचार रखा था। लेकिन, चीन अपने देश में भारत के खिलाफ युद्ध ज्वर फैला रहा है, यही बात इससे सामने आयी है। भारत में कोरोना का संक्रमण तेज़ हो रहा है और भारत की अर्थव्यवस्था भी संकट में होने का दावा करके इस स्थिति से ध्यान हटाने के लिए भारत ‘एलएसी’ पर तनाव निर्माण करेगा, यह चिंता ग्लोबल टाईम्स ने जताई। जब कि, वास्तव में चीन ही लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीब हवाई युद्धाभ्यास का आयोजन करके भारत को उकसा रहा है।

राजनीतिक स्तर पर भारत को शांति और सहयोग का प्रस्ताव देते समय ‘एलएसी’ पर उकसानेवाली लष्करी गतिविधियाँ करने की नीति चीन ने पहले भी चलाई थी। लेकिन, इस बार चीन के खोखले शब्दों पर भारत भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। चीन के बयान और हरकतों में मेल ना होने की आलोचना भारतीय विदेशमंत्री ने पहले भी की थी। सीमा पर हज़ारों सैनिकों की तैनाती कायम रखकर चीन भारत से सहयोग की उम्मीद नहीं कर सकता, ऐसा इशारा विदेशमंत्री जयशंकर ने चीन को दिया था। इसके बावजूद चीन ने अपनी कोशिशें जारी रखी हैं।

फिलहाल ‘जी ७’ की बैठक हो रही हैं और इस बैठक में विश्‍वभर में कोरोना फैलानेवाले चीन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की माँग हो सकती हैं। अमरीका, कनाड़ा, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और जापान इन देशों में ‘जी ७’ में रखने के लिए अपना निवेदन भी तैयार रखा होने का वृत्त हैं। साथ ही यूरोपिय महासंघ ने भी कोरोना के उद्गम की निष्पक्ष जाँच करने की चीन को ड़रानेवाली माँग चीन रखी हैं।

‘जी ७’ की इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री वर्चुअली मौजूद रहेंगे। भारत के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे अपने विरोधी देशों का ‘जी ७’ में समावेश चीन को बेचैन कर रहा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने ‘जी ७’ को ‘डी १०’ में तब्दील करने की माँग रखी थी। इसके अनुसार ‘जी ७’ में भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया जैसे लोकतांत्रिक देशों का समावेश हो सकता है। लोकतांत्रिक देशों का यह ताकतवर गुट चीन की वर्चस्ववादी भूमिका को जोरदार चुनौती दे सकेगा। साथ ही कोरोना के उद्गम की जाँच करने की माँग भी यह गुट उठाएगा, इससे कोरोना की महामारी छुपाने में जुटे चीन को काफी बड़ा झटका लगेगा।

इसी वजह से चीन राजनीतिक स्तर पर शांति और सहयोग का प्रस्ताव और ‘एलएसी’ पर लष्करी कार्रवाई के ज़रिये भारत को अपने खिलाफ होने से रोकने की कोशिश कर रहा है। चीन इसके लिए भारत के मित्रदेश रशिया का भी इस्तेमाल कर रहा है, यह संकेत प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन, गलवान घाटी में चीन ने किए हुए विश्‍वासघात की वजह से क्रोधित हुए भारत ने चीन संबंधी अपनी नीति सख्त की है। चीन की उकसानेवाली हरकतों पर गौर करें तो भारत की नीति में इतनी जल्द बदलाव होने की संभावना बिल्कुल नहीं है।

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