कोरोनाप्रतिबंधक वॅक्सिन के विकास में भारत का बड़ा योगदान रहेगा – इंटरनॅशनल वॅक्सिन इन्स्टिट्यूट के प्रमुख का विश्वास

सेऊल/लंडन – कोरोनावायरस प्रतिबंधक टीका विकसित करने के लिए दुनियाभर में ज़ोरदार प्रयास जारी हैं। दुनियाभर की अग्रसर फार्मा कंपनियाँ इसके लिए जूझ रहीं हैं। ऐसा होने के बावजूद भी, आनेवाले समय में यह वॅक्सिन तैयार करने में भारत अहम भूमिका निभायेगा, ऐसा दावा ‘इंटरनॅशनल वॅक्सिन इन्स्टिट्यूट’ इस आंतर्राष्ट्रीय संगठन के प्रमुख डॉ. जेरॉम किम ने किया। उसी समय, भारत की दो बड़ी कंपनियों ने इसके लिए शुरू किए प्रयास ‘प्री-क्लिनिकल’ पड़ाव में पहुँचे होने की जानकारी सामने आ रही है।

दुनियाभर के टीकाकरण (वॅक्सिनेशन) मुहिमों के लिए उपयोग में लाये जानेवाले लगभग ७० प्रतिशत टीके ये भारत से निर्यात किये जाते हैं। “दुनिया के लगभग हर बच्चे को दिया जानेवाला टीका यह ‘मेड इन इंडिया’ होता है”, ऐसा डॉ. किम ने एक न्यूज़ चॅनल से बातचीत करते हुए कहा। एक बार जब इस संक्रमण पर टीका खोजा गया, तो फिर जागतिक माँग की पूर्ति करने के लिए भारतीय कंपनियों को बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठानी पड़ेगी, ऐसा दावा डॉ. किम ने किया। भारतीय युनिवर्सिटीज़् और आयटी क्षेत्र इस महामारी पर उपाय खोज सकते हैं, ऐसा विश्वास डॉ. किम ने ज़ाहिर किया।

इसी बीच, ‘जागतिक स्वास्थ्य संगठन’ (डब्ल्यूएचओ) ने दी जानकारी के अनुसार, दुनियाभर की ६० कंपनियाँ कोरोनावायरस पर वॅक्सिन तैयार करने के लिए अहम पड़ाव में पहुँच गयीं हैं। इनमें भारत की ‘झायडस कॅडिला’ और ‘भारत बायोटेक’ ये दो कंपनियों का भी समावेश होने की जानकारी डब्ल्यूएचओ ने दी। इसके अलावा भारत की दो अलग अलग कंपनियों ने अमरिकी और ऑस्ट्रेलियन कंपनियों से सहयोग कर, इसके लिए महत्त्वपूर्ण संशोधन शुरू किया होने की जानकारी सामने आ रही है।

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