संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत ने इस्रायल के पक्ष में वोट किया

पैरिस – संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस्राइल के साथ खड़े रहने के लिए एवं दिए समर्थन पर भारत का मन:पूर्वक आभार, ऐसे शब्दों में इस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने भारत की प्रशंसा करके आभार प्रदर्शन किया है| इस्रायली प्रधानमंत्री के इस आभार प्रदर्शन के पीछे भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में इस्रायल के समर्थन में किए मतदान की पृष्ठभूमि होने की बात सामने आयी है| पिछले हफ्ते में संयुक्त राष्ट्रसंघ में पैलेस्टाईन के विरोध में प्रस्तुत किए प्रस्ताव में भारत ने इस्रायल के समर्थन में मतदान किया था| भारत-इस्रायल सहयोग के इतिहास में यह घटना ऐतिहासिक है|

इस्रायल के संयुक्त राष्ट्रसंघ में प्रतिनिधि डैनी डेनॉन ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के इकनोमिक एवं सोशल काउंसिल की बैठक में एल.१५ प्रकार में एक मसौदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया| पैलेस्टाईन में कार्यरत होनेवाले शाहेद इस आतकी संगठन से संबंध होनेवाली संस्था को संयुक्त राष्ट्रसंघ के सलाहकार संस्था का दर्जा न दिया जाए, इसके लिए यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था|

६ जून को संयुक्त राष्ट्रसंघ की बैठक में इस प्रस्ताव पर हुई| चर्चा के बाद चुनाव किया गया| उस समय संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्यों में २८ देशों ने प्रस्ताव के पक्ष से तथा १५ देशों ने विरोध में मत दर्ज किया है| ५ देशों ने तटस्थ रहने का निर्णय लिया| इस्रायल के प्रस्ताव के पक्ष में मत देनेवाले देशों में भारत के साथ अमरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी, फ्रान्स, ब्राजील, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों का समावेश था| विरोध में मतदान करनेवालों में रशिया एवं ईरान का समावेश था|

इस निमित्त से भारत ने पहली बार इस्रायल के पक्ष में मतदान किया है और यह ऐतिहासिक घटना मानी जा रही है| इससे पहले भारत ने इस्रायल के पक्ष में इस रूप से मतदान नहीं किया था| इसपर इस्रायल के प्रधानमंत्री ने ध्यान दिया है और भारत के विदेश धारणा में अत्यंत महत्वपूर्ण बदलाव होता प्रतीत हो रहा है| भारत एवं इस्रायल लगभग एक ही समय पर स्वतंत्र हुए देश है| फिर भी दोनों देशों में राजनैतिक संबंध प्रस्थापित होने के लिए बहुत अधिक समय लगा| ९० के दशक में भारत इस्रायल के राजनीतिक सहयोग विकसित हुए हैं|

आनेवाले समय में यह सहयोग बढ़ने लगे और पिछले कुछ वर्षों में भारत और इस्रायल के सहयोग की व्याप्ति बढ़ी है| विशेषरूप से भारत ने इस्रायल से सुरक्षा विषय साहित्य की खरीदारी शुरू करके अपनी भूमिका में बहुत बड़ा बदलाव किया है| पैलेस्टाईन के साथ संबंध विकसित करते हुए, भारत ने अपनी भूमिका नहीं बदली है| भारत ने पैलेस्टाईन के साथ सहयोग आगे भी शुरू रहेगा, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने पैलेस्टाईन भेंट में स्पष्ट किया था|

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