इंडो-पैसिफिक की गतिविधियों को भारत-अमरीका सजगता से देखें – ‘युएसआयबीसी’ की अध्यक्षा निशा बिस्वाल का आवाहन

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी खतरनाक गतिविधियों की ओर भारत और अमरीका ने बहुत ही सजगता से देखना चाहिए। इस क्षेत्र की शांति, समृद्धि और बहुविधता यदि बरक़रार रखनी हो, तो भारत-अमरीका को वैसा करना ही होगा। इसीके साथ, कोरोना की महामारी के कारण दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामने गंभीर समस्याएँ खड़ी हैं। इन सारीं चुनौतियों के मात देना आसान नहीं है, भारत-अमरीका सहयोग से इन चुनौतियों का सामना करना संभव होगा, ऐसा विश्‍वास निशा बिस्वाल ने व्यक्त किया है। ‘युएस-इंडिया बिझनेस काऊन्सिल’ (युएसआयबीसी) की अध्यक्षा और अमरिकी विदेश मंत्रालय की पूर्व उपमंत्री रहीं बिस्वाल ने गिनेचुने शब्दों में दोनों देशों के सहयोग का महत्त्व अधोरेखांकित किया दिख रहा है।

भारत-अमरीका

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ९४ वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित किये गए कार्यक्रम में बिस्वाल बात कर रहीं थीं। भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जारी चीन की वर्चस्ववादी हरक़तों का अस्पष्ट उल्लेख करके, इससे यहाँ की शान्ति, स्थिरता और बहुविधता ख़तरे में आयी होने के संकेत बिस्वाल ने दिये। चीन के कारण निर्माण हुए इस संकट का सामना करने के लिए भारत-अमरीका का सहयोग बहुत ही अहम साबित होगा, ऐसा बिस्वाल ने स्पष्ट किया। साथ ही, कोरोना की महामारी के कारण दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामने निर्माण हुईं पेचिंदा समस्याओं का निराकरण करने के लिए भी भारत और अमरीका के सहयोग की नितांत ज़रूरत होने का एहसास बिस्वाल ने करा दिया।

अमरीका में जल्द ही सत्ता बदलाव होनेवाला होकर, ज्यो बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्षपद का भार सँभालनेवाले हैं। उसके बाद अमरीका की भारतसंबंधित नीति कैसी हो सकती है, इस बारे में चर्चा शुरू हुई है। लेकिन २०२१ यह साल भारत और अमरीका के संबंधों को नयीं बुलंदियों पर ले जानेवाला है, ऐसा विश्‍वास निशा बिस्वाल ने व्यक्त किया। आगामी राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन तथा उपराष्ट्राध्यक्षा कमला हॅरिस का प्रशासन अमरीका के सहयोगी देशों के साथ के संबंध नये से दृढ़ करेगा, ऐसा बिस्वाल ने कहा।

हाल के ट्रम्प प्रशासन के कार्यकाल में भारत और अमरीका के बीच सामरिक साझेदारी अधिक ही विकसित हुई। दोनों देशों के बीच शुरू हुई ‘टू प्लस टू’ चर्चा, क्वाड अर्थात भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया का सहयोग और भारत-अमरीका के बीच का रक्षाविषयक दृढ़ सहयोग का हवाला बिस्वाल ने इस समय दिया। लेकिन हालाँकि रक्षाविषयक सहयोग के मोरचे पर भारत-अमरीका संबंध मज़बूत हो रहे हैं, लेकिन व्यापारी मोरचे पर दोनों देशों के संबंध अपेक्षित रफ़्तार से आगे नहीं बढ़े, इसपर निशा बिस्वाल ने ग़ौर फ़रमाया। दोनों देशों के बीच भू-राजनीतिक स्तर पर का सहयोग, आर्थिक सहयोग के मज़बूत अधिष्ठान पर आधारित होना ही चाहिए, ऐसी उम्मीद बिस्वाल ने ज़ाहिर की।

सन २०२१ में इसकी ओर भी ध्यान दिया जायेगा और यह साल दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की नये से नींव रखेगा। इस साल में दोनों देशों के बीच छोटे स्तर पर का व्यापारी समझौता अपेक्षित है, ऐसा दावा बिस्वाल ने किया। पिछले कुछ महीनों से भारत और अमरीका के बीच व्यापारी समझौते की चर्चा शुरू थी। लेकिन अमरीका में चुनाव संपन्न होकर नया प्रशासन सत्ता में आने तक यह व्यापारी समझौता नहीं होगा, यह बात स्पष्ट हुई थी। बायडेन का प्रशासन जल्द ही कार्यरत होगा और उसके बाद इस व्यापारी समझौते की चर्चा तेज़ होगी, ऐसे संकेत बिस्वाल के बयान से मिल रहे हैं।

राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प हालाँकि भारत के मित्र हैं, लेकिन व्यापारी मोरचे पर उन्होंने कई बार भारत के विरोध में भूमिका अपनायी थी। इसका परिणाम दोनों देशों के बीच के व्यापारी सहयोग पर हुआ था। लेकिन बायडेन का प्रशासन वैसी ग़लती नहीं करेगा, ऐसी उम्मीद भारतीय विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे हैं। इस कारण, बायडेन शायद भारत के लिए ट्रम्प से भी उपयुक्त साबित हो सकते हैं, ऐसी संभावना इन विश्‍लेषकों द्वारा व्यक्त की जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.