भारत इस्रायल के साथ ‘हाय-टेक’ हथियारों का निर्माण करेगा

नई दिल्ली – अब तक इस्रायल से मिसाइल्स, ड्रोन्स, हवाई सुरक्षा यंत्रणा की बड़ी मात्रा में खरीद कर रहे भारत ने इस्रायल के साथ रक्षा सहयोग अधिक मज़बूत करने की दिशा में बड़ा अहम कदम उठाया है। भारत और इस्रायल ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के लिए ‘सब-वर्किंग ग्रूप’ (एसडब्ल्यूजी) यानी संयुक्त कार्यकारी गुट गठित किया है। इसके तहत भारत अब इस्रायल के साथ मिलकर ‘हाय-टेक’ हथियारों का निर्माण करेगा। इससे संबंधित सामंजस्य समझौता हाल ही में किया गया और इसके अनुसार दोनों देशों ने मिलकर निर्माण किए ‘हाय-टेक’ हथियारों का निर्यात मित्रदेशों के लिए करने की योजना बनाई है।

india-israel-defenseअगले पांच वर्षों में पांच अरब डॉलर्स का रक्षा निर्यात करने का उद्देश्‍य पूरा करने के लिए भारत ने मित्रदेशों के साथ वेबिनार का आयोजन किया। इस पृष्ठभूमि पर गुरूवार के दिन भारत और इस्रायल के रक्षा सचिवों के शिष्टमंडल के पहले वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में रक्षा सचिव की अध्यक्षता में ‘सब वर्किंग ग्रूप’ (एसडब्ल्यूजी) का गठन किया गया। भारतीय रक्षा मंत्रालय के उद्योग और उत्पादन विभाग के संयुक्त सचिव संजय जाजू और इस्रायल के रक्षा मंत्रालय के एशिया और पैसिफिक विभाग के संचालक इयाल कैलिफ इस ‘सब-वर्किंग ग्रूप’ के प्रमुख रहेंगे। दोनों देशों में इससे पहले से कार्यरत रक्षा सहयोग संबंधित गुट के अलावा यह नया ‘सब-वर्किंग ग्रूप’ कार्यरत होगा, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने साझा की।

इस गुट के हाथों में तकनीक का हस्तांतरण, संयुक्त विकास और उत्पादन, तकनीकी सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स (कृत्रिम बौद्धिकता), कल्पकता और तीसरे देशों को हथियारों का संयुक्त निर्यात करने की ज़िम्मेदारी रहेगी। इस वेबिनार के दौरान भारत के ‘कल्याणी ग्रूप’ और इस्रायल के ‘राफेल एडवान्स डिफेन्स’ के बीच समझौता हुआ। साथ ही इस्रायल के रक्षा निर्मिती क्षेत्र की ‘आयएआय’, ‘एल्बिट’, ‘एल्टा सिस्टम्स’ जैसी कंपनियों ने भी भारतीय कंपनियों के साथ सात उपक्रमों के लिए साझेदारी की है। इसका ब्यौरा अभी सार्वजनिक नहीं हो सका है। लेकिन, इसके साथ ही रक्षा क्षत्र में भारत और इस्रायल का सहयोग अधिकाधिक मज़बूत हो रहा है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं।

india-israel-defenseवर्ष १९९९ में पाकिस्तानी सेना ने शुरू किए कारगिल युद्ध के दौरान इस्रायल ने भारत को हथियारों की आपूर्ति की थी। इसके बाद भारत और इस्रायल का रक्षा सहयोग लगातार विकसित हुआ है और बीते दो दशकों में भारत को हथियारों की बिक्री करनेवाले प्रमुख चार देशों में इस्रायल का समावेश हुआ है। इस्रायली मिसाइल्स, सेन्सर्स, सायबर सुरक्षा विश्‍व में सबसे बेहतर समझी जाती है। इस्रायल से खरीदे ‘स्पाईस २०००’ बम का इस्तेमाल करके भारत ने बालाकोट स्थित आतंकियों का ठिकाना तहस नहस किया था। इसी स्पाईस बम की अन्य आवृत्ति खरीदने के लिए भारत ने अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं। इसके अलावा भारतीय रक्षाबलों ने फाल्कन राड़ार सिस्टम, हेरॉन ड्रोन्स, बराक नामक मिसाइल विरोधी इस्रायली यंत्रणा का इस्तेमाल भी शुरू किया है।

इसी बीच, भारत और इस्रायल का यह सहयोग चीन और पाकिस्तान की चिंता बढ़ानेवाला समाचार होने का दावा किया जा रहा है। कुछ सप्ताह पहले लद्दाख में निर्माण हुई तनाव की पृष्ठभूमि पर इस्रायल ने चीन से लष्करी सहयोग के लिए इन्कार किया था। उसी समय इस्रायल ने भारत को ‘आय इन द स्काई’ के तौर पर जानी जा रही ‘फाल्कन एवैक्स’ यंत्रणा से संबंधित सहयोग करने का ऐलान किया था। चीन के लिए यह झटका साबित हुआ था। तभी, पाकिस्तान भी भारत-इस्रायल का रक्षा सहयोग अपनी सुरक्षा के लिए घातक होने के दावे कर रहा है।

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