भारत और दक्षिण कोरिया रक्षा सामग्री का संयुक्त निर्माण करेंगे

नई दिल्ली – भारत और दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रियों के बीच हुई चर्चा में, दोनों देशों में संयुक्त रूप में रक्षा सामग्री का निर्माण तथा उसके निर्यात पर एकमत हुआ है। इस समय दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वूक ने, भारत में बनाए जा रहे दो ‘डिफेन्स कॉरिडॉर’ में सहभागी होने के लिए उत्सुकता दर्शाई होने की जानकारी भी सूत्रों ने दी। उसी समय, दोनों देशों ने साइबर, अंतरिक्ष क्षेत्र और ‘इंटेलिजन्स शेअरिंग’ में सहयोग बढ़ाने की तैयारी भी की है, ऐसा बताया जा रहा है ।

दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री सुह वूक का तीन दिन का भारत दौरा हाल ही में संपन्न हुआ। इस दौरे में उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग समेत रक्षाबलों के प्रमुख अधिकारी, रक्षा क्षेत्र की कंपनियाँ तथा उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों से चर्चा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग के साथ हुई चर्चा में, भारत और दक्षिण कोरिया के बीच का रक्षा विषयक सहयोग अधिक व्यापक करनेवालीं महत्वपूर्ण बातों पर एकमत हुआ होने की जानकारी सूत्रों ने दी। सन २०१५ में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच विशेष सामरिक साझेदारी के संदर्भ में समझौता संपन्न हुआ था। उसके बाद शस्त्रास्त्र तथा रक्षा सामग्री के संयुक्त निर्माण प्रोजेक्ट्स पर भारत और दक्षिण कोरिया के बीच चर्चा शुरू थी ।

शुक्रवार को हुई बैठक में दोनों देशों ने इसपर एकमत दर्शाया है। उसके अनुसार भारत और दक्षिण कोरिया, संयुक्त रूप में रक्षा सामग्री का निर्माण करने वाले हैं। इस रक्षा सामग्री के निर्यात के मुद्दे का भी एकत्रित रूप में हैंडलिंग किया जाएगा, ऐसा सूत्रों ने स्पष्ट किया। चर्चा के दौरान दक्षिण कोरिया के मंत्री ने, भारत में बनाए जा रहे ‘डिफेन्स कॉरिडॉर्स’ के बारे में विशेष उत्सुकता दर्शाई। भारत सरकार उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे दो राज्यों में डिफेन्स कॉरिडॉर्स का निर्माण कर रही होकर, स्वदेशी बनावट के हथियार तथा रक्षासामग्री के निर्माण को गति देना, यह इसके पीछे का मुख्य उद्देश्य माना जाता है।

प्रगत लष्करी तंत्रज्ञान होनेवाले दुनिया के देशों में दक्षिण कोरिया का समावेश होता है। इस कारण दक्षिण कोरिया ने डिफेन्स कॉरिडॉर्स में दिखाई दिलचस्पी, यह भारतीय रक्षा उद्योग के लिए अहम बात साबित होती है। इससे पहले दक्षिण कोरिया ने भारत को ‘के९ वज्र’ यह हॉवित्झर तोप बनाने के तंत्रज्ञान की सप्लाई की थी। उसका इस्तेमाल करके भारत की ‘लार्सन अँड टुब्रो’ कंपनी ने १०० ‘के९ वज्र’ तोपें तैयार कीं थीं। उसके बाद भारत ने दक्षिण कोरिया से ‘माईन स्वीपर’ जहाज़ किराए पर लेने के लिए भी उत्सुकता दर्शाई है। रक्षा सामग्री के निर्माण क्षेत्र में होनेवाली दक्षिण कोरियन कंपनी, भारत को विमान भेदी क्षेपणास्त्र यंत्रणा की सप्लाई करने के लिए उत्सुक होने की खबर भी कुछ महीने पहले जारी हुई थी।

भारत और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ रहे रक्षा सहयोग को चीन की हरकतों की पृष्ठभूमि है, ऐसा बताया जाता है। चीन द्वारा भारतीय सीमाओं से नज़दीक बढ़तीं गतिविधियाँ जारी हैं। इन गतिविधियों को रोकने के लिए भारत को प्रगत तंत्रज्ञान और बड़े पैमाने पर रक्षा सामग्री की आवश्यकता महसूस होनेवाली है। ऐसे समय दक्षिण कोरिया जैसे, रक्षा तंत्रज्ञान क्षेत्र में अग्रसर होनेवाले देश के साथ बढ़ता सहयोग, निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है।

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