भारत इंडो-पैसिफिक के भविष्य को आकार देगा – ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन

नई दिल्ली – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बनी चुनौतियों को मद्देनज़र रखते हुए, इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता में जिनके हितसंबंध फँसे हुए हैं, ऐसे उदारमतवादी लोकतंत्रवादी देशों को एकसाथ आना आवश्यक बना है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भविष्य को आकार देनेवाले साझेदार देश के रूप में ऑस्ट्रेलिया भारत की ओर देख रहा है, ऐसा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है। ठेंठ नामोल्लेख टालकर प्रधानमंत्री मॉरिसन ने, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को चीन से होनेवाला खतरा अधोरेखांकित किया। उसी समय, लोकतंत्रवादी देशों के लिए एकजुट करने की आवश्यकता ज़ाहिर कर, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत का महत्व विशेष रूप में अधोरेखांकित किया दिख रहा है।

स्कॉट मॉरिसन

नई दिल्ली में जारी रायसेना डायलॉग में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने व्हर्च्युअल माध्यम के द्वारा संदेश दिया। इस समय बात करते हुए प्रधानमंत्री मॉरिसन ने, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सामने खड़ी चुनौतियों का उदाहरण दिया। इस क्षेत्र में फिलहाल संतुलन हासिल करना आवश्यक है। इसके लिए लोकतंत्रवादी देशों के लिए एकसाथ आना अत्यावश्यक बना होकर, उदारमतवादी, समविचारी लोकतंत्रवादी देशों की एकजुट इस मोरचे पर बहुत ही अहम साबित होती है, क्योंकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र सामरिक स्पर्धा का केंद्र बना है, ऐसा दावा प्रधानमंत्री मॉरिसन ने किया।

इसके लिए क्वाड संगठन बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाला है, ऐसा बताकर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने मार्च महीने की १२ तारीख को हुई क्वाड की बैठक का स्वागत किया। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने पहल करके वर्चुअल माध्यम के जरिए क्वाड परिषद का आयोजन किया था। उसमें भारत के प्रधानमंत्री मोदी, जापान के प्रधानमंत्री सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भी सहभागी हुए थे। यह ऐतिहासिक बैठक साबित हुई, ऐसा बताकर उस पर प्रधानमंत्री मॉरीसन ने संतोष ज़ाहिर किया।

दुनिया का ध्रुवीकरण शुरू हुआ होकर, तानाशाहीवादी हुकूमतों का प्रभाव बढ़ता चला जा रहा है। उदारमतवादी लोकतंत्र और तानाशाहीवादी हुकूमतों में दुनिया का बंटवारा हुआ होते समय, उसका जागतिक व्यवस्था पर अपरिहार्य असर होने लगा है। ऐसी परिस्थिति में लोकतंत्रवादी देशों ने एकसाथ आना और एकजुट स्थापित करना यह बहुत बड़ी आवश्यकता बनी है, ऐसा दावा प्रधानमंत्री मॉरिसन ने किया। साथ ही, कोरोना की महामारी के कारण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन बनाए रखना अधिक ही आवश्यक बना होकर, समविचारी देशों का संगठन पहले से कई गुना महत्वपूर्ण बना है। इसके अनुसार देशों के बीच नए सिरे से मित्रता स्थापित करना और पुराने मित्र देशों के साथ सहयोग की पुनर्रचना करना अनिवार्य बन रहा है, ऐसा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने आगे कहा।

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