एलएसी पर चीन की घुसपैठ को भारत जबरदस्त प्रत्युत्तर दे रहा है – पूर्व लष्करप्रमुख व्ही. के. सिंग

मदुराई – ‘‘भारत और चीन के बीच ‘लाईन ऑफ ऍक्च्युअल कंट्रोल-एलएसी’ ठीक तरह से तय नहीं हुई है। इसका नाजायज फायदा उठाकर चीन हमेशा ही भारत की सीमा में घुसपैठ करता आया है। उसकी खबरें भारतीय माध्यमों में प्रकाशित होती है। लेकिन चीन एलएसी के जिस भाग को अपना मानता है, उस भाग में भारतीय सेना कितनी बार प्रवेश कर चुकी है कोमा इस की खबरें माध्यमों में जारी नहीं होतीं। मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि यदि चीन के लष्कर ने एलएसी पर दस बार घुसपैठ की होगी, तो भारतीय सेना ने कम से कम ५० बार ऐसी कार्रवाई की हो सकती है। लेकिन चीन के माध्यम यह खबरें नहीं देंगे’, ऐसा व्ही. के. सिंग ने कहा।

‘ फिलहाल लद्दाख की एलएसी पर चीन को अनचाहे स्थानों पर ही भारतीय सेना डेरा जमा कर बैठी है। यहां पर यदि चीन ने कोई हरकत की ही कमा तो उसका जबरदस्त प्रत्युत्तर देने की क्षमता भारतीय सेना के पास है’, ऐसा यकीन पूर्व लष्करप्रमुख तथा विद्यमान सड़क एवं परिवहन विभाग के राज्यमंत्री व्ही. के. सिंग ने दिलाया है। ‘ पहले के दौर में चीन के जवान एलएसी पर भारत की सीमा में घुसपैठ करते थे। यहां पर तंबू गाड़ देते थे और इस क्षेत्र पर अपना दावा मजबूत करने के लिए बातचीत करते थे और फिर यहां से पीछे हटते थे’, ऐसा कहकर व्ही. के. सिंग ने कुछ साल पहले की परिस्थिति का हवाला दिया।

‘ लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब सरकार ने चीन की घुसपैठ के बारे में बहुत ही सख्त भूमिका अपनायी है। पिछले साल लद्दाख की पूर्वी एलएसी पर घुसपैठ करना चाहने वाले चीन को मुंहतोड़ जवाब मिला। इससे चीन पर अत्यधिक दबाव बना है। फिलहाल लद्दाख की एलएसी पर भारतीय सेना, जहां चीन नहीं चाहता है ऐसे स्थानों पर ही तैनात है। इससे चीन को यह एहसास हुआ है कि अब भारत की सीमा में घुसपैठ करना उतना आसान नहीं रहा’, ऐसा पूर्व लष्करप्रमुख ने स्पष्ट किया।

लद्दाख की एलएसी पर कोई हरकत करने कि यदि चीन ने कोशिश की ही, तो उसका जबरदस्त प्रत्युत्तर देने की क्षमता भारतीय सेना के पास है। इतना ही नहीं, बल्कि लद्दाख की एलएसी पर की हुई हरकत की बहुत बड़ी आर्थिक कीमत चुकाने पर भारत ने चीन को मजबूर किया है। चीन के एप्स पर लगाई पाबंदी और चीनी उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंध कमा इसका बहुत बड़ा झटका चीन को लगा है, इसकी भी याद पूर्व लष्करप्रमुख व्ही. के. सिंग ने करा दी। उसी समय, लष्करी चर्चाओं में भी भारत द्वारा स्पष्ट रूप से यह बताया जा रहा है कि चीन अपने जवान इस क्षेत्र से हटाएँ, इस पर भी पूर्व लष्करप्रमुख ने गौर फरमाया।

इसी बीच, चीन ने भारत की एलएसी पर घुसपैठ करने की कोशिश की और भारत ने चीन के जवानों को रोका, ऐसी खबरें माध्यमों में लगातार आती रहती हैं। लेकिन कुछ दिन पहले एक न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग ने कुछ अलग ही संकेत दिए थे। क्या एलएसी पर भारत के भूभाग में चीन के लष्कर ने प्रवेश किया है, इस सवाल का रक्षा मंत्री ने लक्षणीय जवाब दिया था। भारत की एक इंच तक की भूमि भी दूसरे के हाथ नहीं लगने दी जायेगी। दरअसल, क्या चीन ने भारत की सीमा में घुसपैठ की है, यह सवाल आपको उल्टा करके पूछना होगा, ऐसा सूचक बयान रक्षा मंत्री ने किया था। उसी समय, सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती, इस पर भी राजनाथ सिंह ने गौर फरमाया था।

लद्दाख की गलवान वैली में हुए संघर्ष में भारतीय लष्कर के कर्नल संतोष बाबू समेत २० सैनिक शहीद हुए थे। लेकिन इस मुठभेड़ में चीन के लष्कर की अधिक बड़ी हानि हुई थी। लेकिन चीन ने यह बात छुपा कर रखी। इस मामले में जानकारी यदि सामने आई, तो दोनों देशों में दुश्मनी बढ़ेगी, यह कारण बताकर चीन ने, इस संघर्ष में मारे गए अपने जवानों की संख्या और नाम सार्वजनिक नहीं किये। दरअसल भारतीय सैनिकों ने दी मार के कारण चीन को बहुत बड़ा झटका लगा था। इससे कहीं अपनी प्रतिष्ठा बाधित ना हों, इसकी चिंता चीन को लगने लगी थी। इसी कारण अपने सरकारी माध्यमों का इस्तेमाल करके चीन ने यह प्रचार शुरू किया था कि लद्दाख में भारतीय सेना बहुत ही खराब स्थिति में है। लेकिन आन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के माध्यमों को विश्वासार्ह नहीं माना जाता। इसी कारण चीन ने इस मामले में किए अपप्रचार का कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा है।

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