भारत ने भूटान में निर्माण की हुई जल विद्युत परियोजना को प्राप्त हुआ ‘ब्रुनेल पुरस्कार’

नई दिल्ली – भारत ने भूटान में स्थापित किए मांगडेचू जल विद्युत परियोजना को ब्रिटेन की ‘इन्स्टिट्युट ऑफ सिविल इंजिनिअर्स’ ने नामांकित ‘बुनेल पुरस्कार’ प्रदान करके सम्मानित किया हैं। बीते वर्ष १७ अगस्त के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भुटान यात्रा के दौरान इस परियोजना का उद्घाटन हुआ था।

जल-विद्युत-परियोजना

भूटान के ट्रोंगसा ज़िले की मांगडेचू नदी पर ४.५ हज़ार करोड़ रुपयों की लागत से इस परियोजना का निर्माण किया गया हैं। इस परियोजना की ओर दोनों देशों की मित्रता के प्रतिक के तौर पर देखा जाता हैं। इस परियोजना को ७० प्रतिशत कर्ज और ३० प्रतिशत अनुदान के माध्यम से भारत ने आर्थिक सहायता प्रदान की हैं। ब्रिटेन की ‘इन्स्टिट्युट ऑफ सिविल इंजिनिअर्स’ के पुरस्कार समिती ने मांगडेचू जल विद्युत परियोजना को पुरस्कार प्रदान करने का ऐलान किया।

इस परियोजना की वजह से स्थानिय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं। बुनियादी सुविधा विकसित हुई हैं और पीने का पानी एवं सिंचाई की समस्या भी दूर हुई हैं, इन शब्दों में ब्रिटिश अभियंता ने इस परियोजना की सराहना की हैं। प्रधानमंत्री मोदी और लोटे शेरिंग ने संयुक्त तौर पर उद्घाटन किए इस परियोजना को ‘ब्रुनेल’ पुरस्कार से सम्मानित करने से आनंद हो रहा हैं, यह प्रतिक्रिया भूटान में नियुक्त भारतीय राजदूत रुचिरा कंबोज ने व्यक्त की।

दोनों देशों ने एक साथ मिलकर किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए काम करने का यह उत्कृष्ट नमूना हैं, यह बयान कंबोज ने किया हैं। यह परियोजना दोनों देशों के लिए अहम चरण हैं। एक सात करनेवाले दो देश नागरिकों के जीवन में बड़ी सकारात्मकता कैंसें ला सकते हैं, यही बात इस परियोजना से स्पष्ट होती हैं, यह बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया था, यह याद भी कंबोज ने ताज़ा की।

वर्ष २०१२ में इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ और महज सात वर्ष में यह परियोजना शुरू हुई। इस परियोजना से १,२०० करोड़ रुपयों का महसूल प्राप्त करने का उद्देश्‍य रखा गया था। लेकिन, एक वर्ष में जल विद्युत परियोजना के माध्यम से १,३०० करोड़ रुपयों का महसूल प्राप्त हुआ हैं। २ अगस्त से इस परियोजना के सभी चारों युनिट पुरी क्षमता से कार्यरत हुए हैं। इस परियोजना से प्रति दिन ७७९ मेगावैट बीजली का निर्माण होता हैं।

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