चीन के सबमरिन ड्रोन्स की तैनाती की पृष्ठभूमि पर भारत नौसेना के लिए ड्रोन्स की खरीद करने की तैयारी में

नई दिल्ली – हिंद महासागर क्षेत्र के नज़दीक चीन ने ‘सबमरिन ड्रोन्स’ तैनात किये होने की ख़बर हाल ही में जारी हुई थी। उस पृष्ठभूमि पर, भारत ने युद्धपोतों पर तैनात किये जानेवाले ड्रोन्स की खरीद की तैयारी शुरू की है। इन ड्रोन्स की ख़रीद का लगभग १३०० करोड़ रुपये का प्रस्ताव रक्षामंत्रालय के सामने नौसेना ने रखा होकर, उसकी ‘फास्ट ट्रॅक’ कार्यवाही की जायेगी, ऐसी ख़बर है। इसी बीच, तीनों रक्षाबलों को लगभग दो अरब डॉलर्स की, शस्त्रास्त्र तथा रक्षासामग्री की खरीद के लिए दी हुई अवधि को और तीन महीनों से बढ़ाने का फ़ैसला केंद्र सरकार ने किया है।

हिंद महासागर क्षेत्र के नज़दीक ‘अनमॅन्ड अंडरवॉटर व्हिकल’ (युयुव्ही) तैनात करके चीनने, अपनीं भारतविरोधी गतिविधियाँ अधिक तीव्र की हुई दिख रहीं हैं। इस संदर्भ में ख़बरें जारी होते समय ही, भारत अपनी नौसेना की सिद्धता के लिए अधिक तेज़ी से कदम उठा रहा है। इसके अनुसार, नौसेना ने दिये हुए ड्रोन्स की खरीद के प्रस्ताव पर जल्द ही रक्षा मंत्रालय द्वारा फ़ैसला किया जायेगा। यह प्रस्ताव लगभग १३०० करोड़ रुपये की ड्रोन्स की खरीद का होकर, ये ड्रोन्स युद्धपोतों पर तैनात किये जायेंगे, जिससे कि नौसेना की टोहक्षमता अधिक ही बढ़नेवाली है।

इससे पहले भारतीय नौसेना के लिए अमरीका से दो ‘सी गार्डियन ड्रोन्स’ किराये पर लिये गए हैं। शीघ्रता से उसकी तैनाती करने के लिए यह फ़ैसला भारत ने किया दिख रहा है। ये ड्रोन्स लगभग ३० घंटे से अधिक समय तक टोह कर सकते हैं। फिलहाल नौसेना के ‘आयएनएस राजाली’ अड्डे पर यह ‘सी गार्डियन ड्रोन्स’ तैनात किये गए हैं। आनेवाले समय में भी भारत अमरीका से इन ड्रोन्स की खरीद करेगा, ऐसी ख़बरें कुछ समय पहले सामने आयीं थीं। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन से दी जानेवालीं चुनौतियों की पृष्ठभूमि पर, भारत को इस संदर्भ में बहुत ही तेज़ी से फ़ैसलें करने पड़ रहे हैं। उसी कारणवश ‘सी गार्डियन ड्रोन्स’ किराये पर लेने का व्यवहार हुआ दिख रहा है।

केवल नौसेना ही नहीं, बल्कि लष्कर तथा वायुसेना के लिए भी अत्यावश्यक खरीद की जा रही है। इसके लिए भारत दुनियाभर की प्रमुख शस्त्रनिर्माण तथा रक्षासामग्री निर्माण करनेवालीं कंपनियों के साथ चर्चा करते दिख रहा है। उसी प्रकार रक्षाबलों की खरीदप्रक्रिया अधिक तेज़ करने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ लक्षणीय फ़ैसले किये हुए भी सामने आये हैं। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष तीनों रक्षाबलों को रक्षाविषयक शीघ्र खरीद के लिए अतिरिक्त अधिकार बहाल किये थे। उसके अनुसार तीनों रक्षाबलों ने अब तक लगभग दो अरब डॉलर्स के शस्त्रास्त्र और रक्षासामग्री के खरीदव्यवहार किये हैं।

लद्दाख की एलएसी पर का तनाव और भारत के सागरी क्षेत्र में चीन की ख़ुराफ़ातों को मद्देनज़र रखते हुए, देश की सुरक्षा को मिलनेवालीं चुनौतियाँ अधिक गंभीर बनीं हैं। ऐसी स्थिति में, रक्षाबलों को अर्जंट खरीद के लिए दी हुई कालावधि को और तीन महीनों से बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार ने किया है। इस कारण, आनेवाले समय में देश के रक्षाबलों द्वारा शस्त्रास्त्र और रक्षासामग्री की खरीद के बारे में नये समझौते किये जा सकते हैं।

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