गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान और चीन कर रहे हैं बाँध का निर्माण – भारत ने जताई आपत्ति

नई दिल्ली,  (वृत्तसंस्था) – पाकव्याप्त कश्‍मीर में स्थित गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधू नदी पर ‘डायमर भाषा’ बाँध का निर्माण करने के लिए पाकिस्तान ने चीन के साथ किये समझौते पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पीओके भारत का अविभाज्य अंग हैं और भारतीय सीमा में इस तरह की अनधिकृत परियोजनाएँ बर्दाश्‍त नहीं करेंगे। ऐसीं परियोजनाओं के लिए भारत का हमेशा विरोध रहेगा, यह चेतावनी भी भारत ने दी है। इस बाँध के निर्माणकार्य को लेकर भारत ने पाकिस्तान और चीन के पास आपत्ति दर्ज़ की है, यह जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय के अफ़सर ने साझा की।

गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंधू नदी पर ‘ड़ायमर भाषा’ पनबिजली परियोजना का निर्माण पाकिस्तान कर रहा है। इस परियोजना के निर्माण के लिए पाकिस्तानी सेना की व्यवसायिक शाखा ‘फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनायझेशन’ (एफड़ब्ल्यूओ) और चायना पॉवर ने बुधवार के दिन ४४२ अरब रुपयों का समझौता किया। इसके अनुसार इस परियोजना में चीन का हिस्सा ७० प्रतिशत रहेगा और पाकिस्तान का हिस्सा ३० प्रतिशत होगा। इस समझौते के तहत सिंधु नदी पर २७२ मीटर उँचाई के बाँध का निर्माण होगा। यह बाँध ‘रोलर कॉम्पैक्ट कांक्रिट’ (आरसीसी) का बना, दुनिया का सबसे उँचा बाँध होगा। इस बाँध का निर्माण कार्य कुछ ही हफ़्तों में शुरू होने की संभावना होने की ख़बर पाकिस्तान के माध्यमों ने साझा की हैं।

इस परियोजना की संकल्पना सन १९८० में पहली बार पेश की गई थी। वहीं, सन २००६ में जब परवेझ मुशर्रफ राष्ट्राध्यक्ष थे, तब पाकिस्तान ने इस बाँध की परियोजना का प्रस्ताव पारित किया। भारत ने उस समय भी इस परियोजना पर आपत्ति जताई थी। भारत ने कड़ी आपत्ति जताने के कारण ही किसी भी देश ने एवं जागतिक बैंक या एशियन डेव्हलपमेंट बैंक जैसी आंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने इस परियोजना के लिए कर्ज़ा देने से इन्कार किया था। जागतिक बैंक ने तो, पाकिस्तान को भारत का ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’ (एनओसी) पेश करने को कहा था।

आर्थिक स्थिति से काफ़ी मात्रा में कमजोर हुए पाकिस्तान के पास इस बाँध का निर्माण करने के लिए पैसे ना होने से सन २०१८ में पाकिस्तान ने चंदा इकठ्ठा करने के लिए एक ‘फंड’ का निर्माण किया था। पिछले वर्ष इस बाँध के लिए हज़ारों एकड़ ज़मीन पाकिस्तान ने अधिग्रहीत की हैं। अब इस बाँध का निर्माण करने के लिए पाकिस्तान की सहायता करने चीन आगे आया हैं।

गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करके वहाँ की स्थिति बदलने की कोशिश पाकिस्तान कर रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने पिछले हफ़्ते में ही पाकिस्तान को फटकार लगाई थी। साथ ही इस क्षेत्र पर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा किया है और पाकिस्तान तुरंत यह क्षेत्र खाली करें, ऐसा भारत ने कहा था। तभी से पाकिस्तान और चीन दोनों ही बेचैन हुए हैं।

चीन की महत्वाकांक्षी ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआय) परियोजना का हिस्सा होनेवाले ‘चायना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) का निर्माण गिलगित-बाल्टिस्तान में भी किया जा रहा हैं और इस परियोजना को स्थानिय जनता भी कड़ा विरोध कर रहीं हैं। भारत का ही भूभाग होनेवाले इस क्षेत्र पर ज़ल्द ही भारत का शासन स्थापित होगा, यह बयान भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कुछ महीने पहले ही दिया था। चीन और पाकिस्तान को यही ड़र सता रहा है। ऐसा हुआ तो वहाँ किया पूरा निवेश डुबेगा, यह ड़र चीन को परेशान कर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर चीन ने पाकिस्तान के साथ यह समझौता किया है। इस पनबिजली परियोजना के माध्यम से चीन इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढाने की कोशिश करता दिख़ रहा है।

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