भारत की परमाणु नीति अब चीन-केंद्रित हुई है – अमरिकी पत्रिका का दावा

शिकागो – पिछले कई दशकों से भारत की परमाणु नीति पाकिस्तान केंद्रीत रही थी। लेकिन, सन २०१७ के डोकलाम विवाद के बाद भारत की यही परमाणु नीति चीन केंद्रीत बनी हैं। चीन की राजधानी बीजिंग अब भारतीय मिसाइलों के दायरे में हैं और चीन की हर एक गतिविधि पर भारत की कड़ी नज़र बनी हैं। अमरीका स्थित ‘बुलेटिन ऑफ द अटोमिक सायंटिस्ट’ इस गुट ने अपनी पत्रिका में यह जानकारी साझा की है।

America-Journalदूसरें विश्‍वयुद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले के बाद वर्ष १९४५ में अमरीका स्थित वैज्ञानिकों ने ‘बुलेटिन ऑफ द अटोमिक सायंटिस्ट’ संगठन का गठन किया था। पिछले कई दशकों से यह संगठन अपनी पत्रिका एवं वेबसाईट के माध्यम से विश्‍वभर के देशों की परमाणु गतिविधियों की जानकारी प्रदान कर रहा हैं। ‘फेडरेशन ऑफ अमरिकन सायंटिस्ट’ इस अमरिकी अभ्यासगुट के ‘न्युक्लिअर इन्फोर्मेशन प्रोजेक्ट’ के संचालक हॅन्स एम.क्रिस्टन्सन और उनके सहयोगी मॅट कोर्डा ने दो दिन पहले अपनी इस पत्रिका में, भारत की परमाणु नीति में हुए बदलाव पर बयान किया हैं।

पिछले कुछ वर्षों तक भारत की परंपरागत परमाणु नीति पुरी तरह से पाकिस्तान केंद्रीत थी। परमाणु हथियारों से सज्जित इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच होनेवाला तनाव हमेशा ही जागतिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बना था, इसकी याद भी इस अमरिकी पत्रिका ने ताज़ा की हैं। लेकिन, वर्ष २०१७ में चीन के साथ ‘डोकलाम’ के मुद्दे पर विवाद होने के बाद, भारत अपनी परंपरागत परमाणु नीति में बदलाव करने के लिए मज़बूर हुआ। भारत की तुलना में चीन ने अपनाई परमाणु क्षमता की वज़ह से भारत की परमाणु नीति अधिक से अधिक चीन केंद्रीत हुई, इस ओर क्रिस्टन्सन और कोर्डा ने ध्यान आकर्षित किया हैं। भारत की चीन केंद्रीत परमाणु नीति पर बयान करते समय, क्रिस्टन्सन और कोर्डा ने भारत की परमाणु क्षमता की जानकारी भी साझा की।

America-Journalइस नीति के अहम हिस्से के तौर पर भारत ने अपने परमाणु हथियारों के आधुनिकीकरण को अहमियत देने का दावा इन विशेषज्ञों ने किया। इसमें भारत के ‘अग्नी-५’ इस परमाणु अस्त्र वाहक अंतरमहाद्विपीय मिसाइल की दखल ली गयी है। इसके अलावा ‘अग्नी १’, ‘अग्नी २’, ‘अग्नी ३’, ‘अग्नी ४’ और ‘पृथ्वी २’ इन परमाणु मिसाइलों का ज़िक्र भी इस दौरान किया गया हैं। इनमें से ‘अग्नी-४’ और ‘अग्नी-५’ मिसाइल अपने दायरे में आनेवाले चीन के बीजिंग और शंघाय को भी लक्ष्य कर सकते हैं, यह बात क्रिस्टन्सन और कोर्डा ने लिखी हैं। तभी, भारत मोबाईल लौंचर्स, लड़ाकू विमान एवं पनडुब्बी से परमाणु हथियार प्रक्षेपित करने की तकनीक विकसित कर रहा हैं और यह सभी यंत्रणा तैनाती के लिए तैयार होगी, यह बात भी इन्होंने कही हैं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में मौजूद ‘मिराज-२००० एच’ और ‘जैग्वार-आयएस’ ये दोनों लड़ाकू विमान एवं अगले सप्ताह में भारत पहुँच रहें ‘रफायल’ विमान परमाणु हथियारों से सज्जित हो सकते हैं, इस ओर वर्णित पत्रिका ने ध्यान आकर्षित किया हैं। इसके अलावा ‘अरिहंत’ पनडुब्बी से प्रक्षेपित करनेवाले ‘के-१५’ और ‘के-४’ ये मिसाइल्स भी चीन के शहरों को लक्ष्य कर सकते हैं, यह इशारा इस पत्रिका से दिया गया हैं। ऐसा होने के बावजूद भारत ने परमाणु हथियारों का प्रयोग करने से संबंधित अपनाई ‘नो फर्स्ट युज’ की नीति अभी कायम होने की बात इस पत्रिका ने रेखांकित की हैं।

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