भारत ऑस्ट्रेलिया को ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास में शामिल कराने की संभावना

नई दिल्ली – चीन के प्रभाव क्षेत्र में अमरिकी विमान वाहक युद्धपोतों ने गश्‍त एवं युद्धाभ्यास शुरू करके चीन को कड़ी चेतावनी दी थी। अब भारत ने अमरीका और जापान के साथ होनेवाले ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल कराने की तैयारी करके चीन पर भारी मात्रा में दबाव बढ़ाया है। अगले हफ़्ते भारतीय रक्षा मंत्रालय इससे संबंधित ऐलान करने की संभावना है। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के ताकतवर देशों का यह संयुक्त युद्धाभ्यास, इस क्षेत्र में चीन की वर्चस्ववादी गतिविधियाँ रोकने के लिए ही होने के स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

India-Australia-war-exerciseवर्ष के अन्त में बंगाल की खाड़ी में आयोजित होनेवाला यह युद्धाभ्यास, शुरू में भारत और अमरिकी नौसेना तक सीमित था। सन २०१५ में भारत ने इस युद्धाभ्यास में जापान को भी शामिल कराने के बाद, चीन ने उसपर आपत्ति जताई थी। लेकिन, उसके बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के प्रमुख देशों के इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करें, यह माँग अमरीका और जापान ने की थी। लेकिन भारत ने इससे संबंधित निर्णय करने में देरी की थी। लेकिन, अब पिछले कुछ दिनों से चीन के साथ बने तनाव की पृष्ठभूमि पर, भारत मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल कराने की गहरी संभावना है। अगले हफ़्ते में रक्षा मंत्रालय से इससे संबंधित निर्णय घोषित हो सकता है, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की है।

मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को शामिल कराने का निर्णय, भारत की इंडो-पैसिफिक नीति में हुआ सबसे बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इसके साथ ही भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ये सदस्य होनेवाला ‘क्वाड’ संगठन अधिक सक्रिय होने का स्पष्ट संदेश चीन को इस एक निर्णय से प्राप्त होगा, ऐसा दावा अमरीका स्थित ‘रँड कॉर्पोरेशन’ नामक अभ्यासगुट के विश्‍लेषक डेरेक ग्रॉसमन ने किया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के चार सबसे बड़े जनतांत्रिक देशों ने स्थापित किये हुए ‘क्वाड’ की ओर चीन पहले से ही शक़ की निगाह से से देखता रहा है। इसी बीच, कोरोना वायरस की महामारी की पृष्ठभूमि पर पिछले कुछ महीनों में क्वाड देश और दक्षिण कोरिया, न्यूझीलैंड और वियतनाम के बीच बढ़ रहा सहयोग चीन की बेचैनी और भी बढ़ा रहा है।

ऐसें में पिछले कुछ महीनों में इन चारों देशों में स्वतंत्र स्तर पर हुए रक्षा समझौते भी ध्यान आकर्षित करते हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मई महीने में हुए समझौते के अनुसार, दोनों देश एक-दूसरें के अड्डों का एवं बंदरगाहों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह का समझौता भारत ने अमरीका के साथ भी किया है। वहीं, कुछ दिन पहले भारत ने अंडमान निकोबार द्विपों पर स्थित अपने अड्डों का इस्तेमाल जापान की नौसेना को करने देने के मुद्दे पर चर्चा होने की जानकारी सामने आ रही थी। ‘क्वाड’ का सहयोग अपने विरोध में ही हैं, यह दावा चीन ड़टकर कर रहा है। अलग अलग मार्ग से यह सहयोग रोकने के लिए चीन कोशिश कर रहा है, ऐसें दावे भी सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं।

भारत के साथ सीमा विवाद निर्माण करने के पीछे चीन की काफ़ी बड़ी रणनीतिक चाल है। चीन से जुड़ी सीमा पर भारत को लष्करी दृष्टि से अधिक ध्यान देना पड़ें, जिससे कि भारत अपेक्षित मात्रा में अपनी नौसेना का विकास नहीं कर सकेगा, ऐसी कुटिल साज़िश चीन ने की थी। इससे हिंद महासागर क्षेत्र तक अपनी नौसेना का प्रभाव क्षेत्र बढ़ाकर भारत की घेराबंदी करने की साज़िश चीन ने बनाई थी। इसके लिए पाकिस्तान, श्रीलंका, बांगलादेश और मालदीव जैसें देशों का इस्तेमाल करने की ज़ोरदार तैयारी चीन ने की थी। लेकिन, अब ‘क्वाड’ के सहयोग से चीन की यह साज़िश चीन पर ही बूमरैंग होती दिखाई देने लगी है। मलाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया का समावेश करना, चीन की इन्हीं साज़िशों को भारत ने दिया हुआ ज़ोरदार प्रत्युत्तर साबित होगा।

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