भारत ने गलवान वैली में उतारें ‘भीष्म’ टैंक

नई दिल्ली – भारत के साथ तनाव कम करने में उत्सुक ना होनेवाले चीन ने, गलवान वैली और लद्दाख के अन्य हिस्सों में अपनी सेना तैनाती में बढ़ोतरी की है। चीन की इस तैनाती को प्रत्युत्तर देने के लिए भारत ने भी, गलवान वैली में ‘टी-९० भीष्म’ टैंक की रेजिमेंट और टैंक विरोधी मिसाइल सिस्टिम तैनात की है। इसी बीच, भारतीय वायुसेना ने इस्रायल से प्रगत बंकर बस्टर ‘स्पाईस २०००’ बम की अतिरिक्त खरीद करने के लिए चर्चा शुरू की है।Bhishm-Tank-Galwan

गलवान वैली में बना तनाव कम करने के लिए मंगलवार के दिन चुशूल में भारत और चीन के लष्करी अधिकारियों की लंबी चर्चा हुई। १५ जून के भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों की हुई यह तीसरीं चर्चा थी। लेकिन, गलवान वैली को लेकर चीन ने किया हुआ कोई भी दावा स्वीकारने के लिए भारतीय सेना तैयार नहीं है। भारत के साथ जारी इस चर्चा के दौरान भी  चीन ने लद्दाख की सीमा के चार करीबी क्षेत्रों में अपनी लष्करी गतिविधियों में बढ़ोतरी की है। पिछले ७२ घंटों में प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा के करीबी इलाके में चीन ने की हुई इन गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर, भारत ने भी इस क्षेत्र में अपनी सेना और हथियारों की तैनाती बढ़ाई है।

इस क्षेत्र में चीन की किसी भी हरकत को प्रत्युत्तर देने के लिए भारत ने, गलवान वैली के क्षेत्र में छः ‘टी-९० भीष्म’ टैंक तैनात किए हैं। इसके अलावा भारतीय सेना ने लद्दाख की सीमा के करीबी इलाके में टैंक की दो रेजिमेंटस्‌ उतारी हैं। साथ ही, शत्रु के टैंक को प्रत्युत्तर देने के लिए टैंक विरोधी मिसाइल भी तैनात होने की जानकारी सामने आ रही है। इससे पहले ही भारतीय सेना ने सरहदी क्षेत्र के करीब ‘१५५ एमएम होवित्झर’ तोंप भी तैनात किए हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में हवाई सुरक्षा यंत्रणा तैनात करने की तैयारी में भारत जुटा है और ‘दौलत बेग ओल्डी’ के हवाई अड्डे पर अपने लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए यह तैनाती अहम है।

दौलत बेग ओल्डी के हवाई अड्डे पर भारतीय वायुसेना के ‘सुखोई ३० एमकेआय’, ‘मिग-२९’ एवं ‘तेजस’ लड़ाकू विमान, अपाचे हेलीकॉप्टर्स और ग्लोबमास्टर लष्करी विमानों की तैनाती की गई है। भारतीय वायुसेना ने की हुई अबतक की सबसे बड़ी और घातक तैनाती समझी जा रही है। इसी बीच, वायुसेना ने ‘स्पाईस २०००’ बम की खरीद को लेकर इस्रायल से पूछा होने की जानकारी सामने आ रही है। पाकिस्तान के बालाकोट में किए हवाई हमले में भारतीय वायुसेना ने इस बम का इस्तेमाल किया था। चीन के साथ सीमा विवाद बढ़ रहा है और ऐसे में, वायुसेना ने इस बम की खरीद करना ध्यान आकर्षित करता है।

इसी बीच, भारत की इस सेना तैनाती की वजह से झटका महसूस कर रहें चीन के मुखपत्रों ने, भारत पर युद्धखोर होने का आरोप किया है। साथ ही चीन ने, भारतीय वृत्तपत्र और संकेतस्थल चीन की जनता को देखना संभव ना हों, इसका ध्यान रखना शुरू किया है। गलवान वैली में हुए संघर्ष की सच्ची जानकारी अपनी जनता से छुपाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ऐसीं कोशिशें करती हुई दिख रही है।

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