सुरक्षा परिषद की अफ़गानिस्तान संबंधी बैठक से भारत ने पाकिस्तान को दूर रखा – पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की चिल्लाहट

संयुक्त राष्ट्रसंघ – सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता प्राप्त हुए भारत ने अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर शीघ्रता से बैठक का आयोजन किया था। अफ़गानिस्तान में जारी रक्तरंजित संघर्ष एवं शत्रूता खत्म करने की सुरक्षा परिषद के सदस्य एवं अन्य देशों की कोशिशों को इस बैठक से गति प्राप्त हुई, ऐसा बयान संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त भारत के राजदूत टी.एस.तिरूमूर्ती ने किया है। इस बैठक के लिए अफ़गानिस्तान के पड़ोसी पाकिस्तान को नहीं बुलाया गया, यह अफसोस पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त किया है। साथ ही इस बैठक का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी प्रचार के लिए किया गया, ऐसी आलोचना इस देश के विदेश मंत्रालय ने की है।

सुरक्षा परिषदअफ़गानिस्तान सरकार की माँग के अनुसार भारत ने शुक्रवार के दिन संयुक्त राष्ट्रसंघ के सुरक्षा परिषद की शीघ्रता से बैठक का आयोजन किया था। अगस्त में सुरक्षा परिषद का अध्यक्षपद भारत को प्राप्त हुआ है। इस महीने के पहले ही सप्ताह में अफ़गानिस्तान से संबंधित इस बैठक का आयोजन किया गया, यह काफी बड़ी बात साबित होती हैं, इस पर राजदूत तिरूमूर्ती ने ध्यान आकर्षित किया। यह बैठक काफी अहम और समय के अनुसार हुई, ऐसा कहकर राजदूत तिरूमूर्ती ने इससे सदस्य देशों को अफ़गानिस्तान में बनी ड़रावनी स्थिति का अधिक तीव्रता से अहसास होने का बयान किया है। खास तौर पर अफ़गानिस्तान में जारी हिंसा में बच्चे और महिलाएं एवं अल्पसंख्यांकों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा इससे अधिक प्रभावी तौर पर विश्‍व के सामने पेश हुआ है, ऐसा तिरूमूर्ती ने कहा।

इस बैठक के दौरान अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी करा रही अमरीका ने तालिबान की कड़ी आलोचना की। तालिबान ने लष्करी ताकत का इस्तेमाल करके अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया, तो भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसे स्वीकृति नहीं देगा। इसी कारण तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात सूननी पड़ेगी, यह बयान अमरीका ने सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान किया था। तभी, अफ़गानिस्तान के संयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त राजदूत गुलाम इसाकज़ई ने तालिबान की अफ़गानिस्तान में जारी हिंसा के पीछे पाकिस्तान होने का आरोप लगाकर इसके सबूत भी मौजूद होने का ऐलान इस बैठक के दौरान किया। तालिबानी आतंकी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश करके अफ़गानिस्तान में जंग लड़ने के लिए पैसे इकठ्ठा कर रहे हैं, तालिबान के घायल आतंकियों पर पाकिस्तान में ही इलाज़ हो रहा है, इस ओर अफ़गानिस्तान के राजदूत का ध्यान आकर्षित किया। पाकिस्तान की यह हरकतें यानी संयुक्त राष्ट्रसंघ के नियमों का स्पष्टरूप से उल्लंघन है, यह आरोप राजदूत इसकज़ई ने लगाया।

सुरक्षा परिषद की इस बैठक में पाकिस्तान के करीबी मित्रदेश चीन ने पाकिस्तान का पक्ष नहीं लिया। रशिया ने भी इस मसले पर कुछ तटस्थ नीति अपनाई थी। इस वजह से पाकिस्तान आगबबूला हुआ है और इस बैठक की पाकिस्तान ने आलोचना की है। इस बैठक में अफ़गानिस्तान के पड़ोसी पाकिस्तान को आमंत्रित ही नहीं किया गया था, ऐसी आलोचना पाकिस्तान ने की है। साथ ही इस बैठक का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी प्रचार के लिए किया गया है, यह आरोप भी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने लगाया।

अफ़गानिस्तान के मसले पर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक राजनीतिक गतिविधियाँ शुरू की हैं। साथ ही पाकिस्तान की विदेश नीति पूरी तरह से नाकाम होती दिख रही है। चीन जैसे करीबी मित्रदेश ने भी इसी दौरान सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का पक्ष नहीं उठाया, यह भारत को प्राप्त हुई कामयाबी होने की आलोचना पाकिस्तान के पूर्व राजनीतिक अधिकारी एवं पत्रकार कर रहे हैं। अगले दौर में अफ़गानिस्तान के मसले पर भारत, पाकिस्तान की मुश्‍किलें बढ़ाएगा, इसमें अमरीका भी भारत का साथ देगी, यह चिंता पाकिस्तान के पूर्व राजनीतिक अधिकारी एवं माध्यम व्यक्त कर रहे हैं।

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