‘क्वाड’ से नजदीकियाँ बढ़ानेवाला भारत ब्रिक्स-एससीओ के लिए बोझ बना है – चीन के सरकारी मुखपत्र का दावा

बीजिंग – क्वाड के नेताओं की पहली बैठक संपन्न हो रही है कि तभी चीन ने अधिकृत स्तर पर उस पर सतर्क प्रतिक्रिया दर्ज की। देशों का सहयोग किसी तीसरे देश के विरोध में नहीं होना चाहिए, ऐसी उम्मीद चीन के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त की है। लेकिन क्वाड यह बारे में चीन को प्रतीत हो रही चिंता और चुभन इस देश की कम्युनिस्ट हुकूमत का मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाईम्स के जरिए बाहर निकली है। क्वाड में अधिक दिलचस्पी दिखानेवाला भारत ‘ब्रिक्स’ और ‘एससीओ’ इन संगठनों के लिए बोझ बन चुका है, ऐसा आरोप ग्लोबल टाईम्स ने किया। साथ ही, अमरीका की ओर रुझान दिखाकर, भारत ने चीन तथा रशिया के साथ होनेवाले अपने संबंध खतरे में डाले हैं, ऐसी टिप्पणी ग्लोबल टाईम्स ने की।

लोकतंत्रवादी देशों का क्वाड संगठन अपने सामने गंभीर चुनौती खड़ी करनेवाला है, इसका एहसास चीन को हो चुका है। इसी वजह से, क्वाड के इस सहयोग के कारण चीन अत्यधिक बेचैन बना है। चीन की यह असुरक्षितता ग्लोबल टाईम्स के ज़रिये सामने आई है। भारत, रशिया, चीन, ब्राझिल तथा दक्षिण अफ्रीका इन देशों का सहवाग होनेवाले ब्रिक्स का भारत में आयोजन करने के लिए चीन ने समर्थन दर्शाया था। चीन की इस सदिच्छा को भारत ने नज़रअंदाज किया और क्वाड में अपना सहभाग बढ़ाया, ऐसी आलोचना इस अखबार ने की है। इतना ही नहीं, बल्कि ब्रिक्स के लिए और चीन की पहल से स्थापन हो चुके ‘शंघाय कोऑपरेशन काऊन्सिल-एससीओ’ इन संगठनों के लिए भारत बोझ बन चुका है, ऐसा दोषारोपण ग्लोबल टाईम्स ने किया।

ब्रिक्स और एससीओ से भारत को केवल दो ही उम्मीदें हैं। इनमें से पहली उम्मीद यानी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के संदर्भ में ठोस भूमिका अपनाने की माँग; और दूसरी उम्मीद यानी दोनों संगठनों से आर्थिक फायदे उठाना। इसके अलावा ब्रिक्स तथा एससीओ के साथ सहयोग करना भारत हमेशा ही नकारता आया है, ऐसा दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया। साथ ही, भारत ने क्वाड में सहभागी होकर इनको चीन को चुनौती देने की तैयारी की है। लेकिन इन कोशिशों में भारत अपनी विदेश नीति की सार्वभौमिकता खो देगा, ऐसी चेतावनी इस सरकारी मुखपत्र ने दी है।

भारत ने अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की थी। लेकिन अब वैसा नहीं रहा है और भारत अमरीका की ओर रुझान दिखा रहा है। इसका विघातक परिणाम भारत-चीन और भारत-रशिया संबंधों पर हुए बगैर नहीं रहेगा, ऐसा ग्लोबल टाइम्स ने जताया है। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से सहायता लेकर अपना उद्योग क्षेत्र मजबूत बनाकर भारत इसके जरिए चीन को चुनौती दे रहा होने की आलोचना इस अखबार ने की है।

लेकिन वैसा करके भारत आग से खेल रहा है। इस आग में चीन नहीं, बल्कि भारत ही जल जाएगा, ऐसा अनुमान चीन के इस मुखपत्र ने जताया है। ग्लोबल टाइम्स ने दीं ये चेतावनियाँ चीन को क्वाड के बारे में प्रतीत हो रही चिंता सामने लानेवालीं हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्व जताने के अपने ईरादे क्वाड के कारण मिट्टी में मिल सकते हैं, यह चीन जानता है। उसी समय ‘दुनिया की फैक्ट्री’ ऐसी पहचान प्राप्त किए चीन पर, आनेवाले दौर में निर्भर नहीं रहा जा सकता था, इसका एहसास दुनिया को कोरोना की महामारी के बाद हुआ है। इसी कारण उत्पादन की वैकल्पिक सप्लाई चैन के लिए कोशिशें करना अनिवार्य बना है, ऐसा दुनिया भर के प्रमुख देशों को प्रतीत होने लगा है। जापान और ऑस्ट्रेलिया ने इसके लिए गतिविधियाँ शुरू कीं होकर, इस सप्लाई चेन के लिए भारत यह सर्वाधिक विश्‍वासार्ह विकल्प है, ऐसा इन देशों ने मान्य किया है।

इसी कारण पहले के दौर में चीन में उत्पादन करनेवालीं बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अब भारत की ओर रुख करने लगीं हैं। इसके झटके चीन को लग रहे हैं। इस कारण क्वाड की सामरिक चुनौती के साथ, रणनीतिक-आर्थिक स्तर पर यह चुनौती अपने लिए घातक साबित होगी, ऐसा चीन को लगने लगा है। इसीलिए भारत का महत्व कम करने के लिए चीन ने लद्दाख की एलएसी पर घुसपैठ करके अपना वर्चस्व साबित करने की कोशिश कर देखी थी। लेकिन चीन की ये कोशिशें चीन पर ही बुमरँग हुईं थीं। अब चीन भारत के साथ सहयोग की भाषा बोलने लगा है। उसी समय ग्लोबल टाइम्स के जरिए भारत को चेतावनियाँ और धमकियाँ भी दे रहा है।

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