प्रधानमंत्री की ह्यूस्टन यात्रा के दौरान भारत और ईंधन कंपनियों ने किए २.५ अरब डॉलर्स के समझौते

ह्यूस्टन – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमरिका के ह्यूस्टन शहर पहुंच गए है| ह्यूस्टन शहर अमरिका का उर्जा केंद्र समझा जाता है| ऐसी जगह पर भारत और अमरिका के बीच उर्जा संबंधी सहयोग पर गहरी बातचीत होने की उम्मदी थी ही| अमरिका के ह्यूस्टन पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई इस बातचीत के दौरान अमरिका के ईंधन क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों की सीईओ शामिल हुए थे| इनमें से १७ कंपनियां करीबन १५० देशों में १ ट्रिलियन डॉलर्स का कारोबार करती है, ऐसा विदेशमंत्री के प्रवक्ता रविश कुमार ने स्पष्ट किया| साथ ही प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में ह्यूस्टन में भारत की ‘पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड’ (पीएलएल) और अमरिका की ‘टेल्युरियन नैचरल गैस’ कंपनी के बीच करीबन २.५ अरब डॉलर्स का समझौता हुआ|

ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री मोदी और उर्जा क्षेत्र की अमरिकी कंपनियों के बीच शनिवार के दिन बातचीत हुई| इस दौरान भारत की उर्जा संबंधी जरूरतों पर बातचीत हुई| उर्जा क्षेत्र में कार्यरत प्रमुख अमरिकी कंपनियां ह्यूस्टन में मौजूद है?और इसी कारण ह्यूस्टन को अमरिका का उर्जा केंद्र समझा जाता है| इस वजह से प्रधानमंत्री मोदी की ह्यूस्टन यात्रा का पूरा लाभ उठाने की कोशिश अमरिकी कंपनियां कर रही है| भारत इन सभी कंपनियों के लिए प्रमुख आकर्षण है और उन्हें जल्द से जल्द भारत को उर्जा के उत्पाद प्रदान करने में रुचि है| एवं इन कंपनियों को भारत से बडे निवेश की उम्मीद है, ऐसा दक्षिण एवं मध्य एशिया विभाग की अमरिका की भूतपूर्व उपमंत्री निशा बिस्वाल ने कहा|

भारत की ‘पीएलएल’ और अमरिका की ‘टेल्युरियन नैचरल गैस’ इन कंपनियों में हुआ २.५ अरब डॉलर्स का समझौता बिस्वाल ने किए वक्तव्य की गवाही दे रहा है| इस समझौते के तहेत ‘पीएलएल’ टेल्युरियन नैचरल गैस में करीबन २.५ अरब डॉलर्स का निवेश करेगी| इसके बदले में ‘पीएलएल’ को अगले हर ४० वर्ष तक पचास लाख मेट्रिक टन ‘एलएनजी’ की आपुर्ति होगी| भारत की उर्जा सुरक्षा के नजरिए से यह समझौता काफी अहमियत रखता है| अगले समय में अमरिकी ईंधन कंपनियों के साथ भारत ऐसे समझौते करता रहेगा, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे है|

अमरिकी ईंधन कंपनियों ने इससे पहले भी भारत के साथ सहयोग करने के लिए रुचि दिखाई थी|

अमरिका ने भारत को क्रुड ऑइल की आपुर्ति करना शुरू किया है और अगले समय में भारत को सबसे अधिक ईंधन प्रदान करनेवाला देश भी अमरिका बन सकता है, ऐसा अमरिका के वित्तीय विशेषज्ञ कह रहे है| वही, दुसरी ओर खाडी देशों से ईंधन और ईंधन वायू खरीद कर रहे भारत को इस क्षेत्र की अस्थिरता का झटका लगने की स्थिति बनी है| इसी लिए ईंधन की आपुर्ति तय करने के लिए भारत को ईंधन और ईंधन वायू के अन्य स्रोत की ओर देखना होगा| अमरिका के लिए यह एक बडा अवसर है और भारत की उर्जा सुरक्षा के लिए भी यह बात जरूरी साबित होती है| इसी लिए भारत और अमरिका के उर्जा क्षेत्र का यह सहयोग दोनों देशों के हितसंबंधों के लिए सहायकारी साबित हो रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.