भारत की युरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा

नई दिल्ली – भारत ने युरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा शुरू की है। साथ ही, ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा करने के लिए भारत तैयार है। ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने से पहले ‘प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट’ (पीटीए) पर हस्ताक्षर करने की भारत की तैयारी है, ऐसा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है।

मुक्त व्यापार समझौते पर चर्चा

कोरोनावायरस की आपत्ति के बाद, दुनियाभर में चीन के खिलाफ भारी ग़ुस्सा होकर, प्रमुख देश अपनी अर्थव्यवस्था पर चीन का बढ़ता प्रभाव कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया और युरोपीय देशों में इस तरह की गतिविधियाँ शुरू हो गईं हैं। भारत विदेशी निवेशकों को अपनी और खींचने के लिए देश के निर्यातकों को नए व्यापारी अवसर प्रदान करने पर काम कर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ‘युरोपीय संघ’ और ‘ब्रिटेन’ के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए शुरू की गई गतिविधियों की दी हुई जानकारी महत्त्वपूर्ण है।

युरोपीय संघ के साथ ‘एफटीए’ पर चर्चा शुरू हो गई है। युरोपीय संघ के व्यापार आयुक्त के साथ मेरी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है और उम्मीद है कि जल्द ही एक समझौता होगा, ऐसा गोयल ने कहा। भारत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। ब्रिटेन के साथ ‘एफटीए’ करने का अंतिम लक्ष्य है, लेकिन ‘प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट’ अर्थात ‘पीटीए’ करने की और इसके द्वारा विचार-विमर्श को प्रारंभ करने की भारत की तैयारी है, ऐसा गोयल ने रेखांकित किया।

अब अगली बात युरोपीय संघ और ब्रिटन पर निर्भर करती है। अंतिम निर्णय उनको करना है। भारत ने कोई ‘रेड लाइन’ नहीं खींची है। दवा, कपड़े, औद्योगिक मशीनरी और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन के साथ भारत का व्यापार बढ़ सकता है, ऐसा वाणिज्य मंत्री ने कहा है।

भारत और युरोपीय संघ में इससे पहले ‘एफटीए’ समझौते पर लंबी बातचीत हुई थी। परंतु वह असफल रही। छह साल चली चर्चा के बाद सन २०१३ में इस संबंध की चर्चाओं पर रोक लगाई गई थी। इस पृष्ठभूमि पर, युरोपीय संघ ने ‘एफटीए’ पर भारत के साथ शुरू की गई चर्चा का महत्त्व बढ़ जाता है।

भारत में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार विदेशी निवेश नियमों में और ढील देने के लिए तैयार है, ऐसी जानकारी गोयल ने दी है। खनन, बैंकिंग, पूंजी बाजारों में निवेश के अवसर बढ़ाने के लिए हाल ही में सुधार किए गए हैं। इसके बाद, एफडीआई नियमों को शिथिल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, ऐसा गोयल ने कहा।

इसी बीच, भारत ब्रिटेन में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश करनेवाला, अमेरिका के बाद दूसरे क्रमांक का देश है। इस संदर्भ में एक समाचार जारी हुआ होकर, सन २०१९-२० में भारत ने ब्रिटेन की १०६ परियोजनाओं में निवेश किया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध मजबूत हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.