एससीओ परिषद में भारत की सीपीईसी पर आलोचना

दुशान्बे – शांगहाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के (एससीओ) सदस्य देशों में कनेक्टिविटी बढ़ाना, ऐसी भारत की इच्छा है। वैसा करते हुए प्रत्येक देश के सार्वभौमत्व का विचार किया जाए, ऐसा कहकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन को टिप्पणी लगाई है। चीन और पाकिस्तान का उल्लेख ना करते हुए ‘चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर’ प्रकल्प (सीपीईसी) सीधा उल्लेख ना करते हुए इस पर भारत का आक्षेप विदेश मंत्री स्वराज ने इस परिषद में प्रभावी तौर पर प्रस्तुत किया है। तथा देशों के विकास में आतंकवाद यह बहुत बडी बाधा होकर आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के लिए एससीओ के सदस्य देशों में सहयोग बढ़ाने चाहिए ऐसी अपेक्षा स्वराज ने व्यक्त की है।

ताजिकिस्तान में एससीओ के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट ‘सीएचजी’ की परिषद शुक्रवार को संपन्न हुई है। उस समय एससीओ के सभी सदस्य देशों के विदेश मंत्री उपस्थित थे। उस समय सीएचजी परिषद में किए भाषण में स्वराज ने सीधा उल्लेख न करते हुए पाकिस्तान और चीन पर जोरदार आलोचना की है। सदस्य देशों का विकास और प्रगति के लिए आतंकवाद यह सबसे बडा खतरा होने की बात स्वराज ने कही है। इसकी वजह से आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाना यह प्रत्येक देश का राष्ट्रीय कर्तव्य है। आतंकवाद जल्द गति से फैल रहा है और ऐसे समय में आतंकवाद विरोध में प्रत्येक देश अपना कर्तव्य निभाए तथा कट्टरता की तरफ मुड़ने वाले नौजवानों को उससे दूर रहने का आवाहन उस समय स्वराज ने किया है।

साथ ही सदस्य देश रास्ते, रेलवे एवं विविध मार्ग से जोड़ेजाने चाहिए एससीओ के सदस्य देशों में कनेक्टिविटी अधिक बढ़नी चाहिए, ऐसी भारत की इच्छा है। पर यह कनेक्टिविटी बढ़ाते समय प्रत्येक राष्ट्र के सार्वभौमत्व व अखंडता का सम्मान होना चाहिए, ऐसे प्रकल्प में पारदर्शिता होनी चाहिए, चर्चा करके व्यवहार यह प्रकार प्रकल्प पर काम होने चाहिए, कनेक्टिविटी बढ़ाते समय इन तत्वों का पालन हो इस पर विदेश मंत्री स्वराज ने जोर दिया है।

विदेश मंत्री स्वराज ने पाकिस्तान और चीन का नाम नहीं लिया है। फिर भी आतंकवाद और कनेक्टिविटी के मुद्दे पर स्वराज का रुख पाकिस्तान और चीन की दिशा से था, यह स्पष्ट है। चीन पाकिस्तान में कॉरिडोर सीपीईसी प्रकल्प को भारत का विरोध है। यह प्रकल्प भारत के अविभाज्य भाग होनेवाले पाकिस्तान व्याप्त कश्मीर से जा रहा है। भारत में लगातार यह मुद्दा चीन के पास उपस्थित करके भारत के सार्वभौम का सम्मान करने के लिए कहा है। पर चीन से इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। इस मुद्दे पर भारत ने चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव ‘बीआरआय’ को विरोध किया है। भारत इस प्रकल्प में शामिल होने से इस प्रकल्प की व्यवहार्यता नियंत्रित होगी, ऐसा चीन के विश्लेषक कह रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में इस प्रकल्प बचाने के लिए चीन भारत के सहयोग की अपेक्षा व्यक्त कर रहा है।

पर अपने सार्वभौमत्व से समझौता करके इस प्रकल्प में शामिल नहीं होंगे, ऐसी घोषणा भारत ने की है। उस समय पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक धारणा को भी भारत अधिक आक्रामकता से लक्ष्य करने की बात इस निमित्त से सामने आ रही है। एससीओ के इस परिषद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी भी शामिल हुए थे। पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की औपचारिक भेंट भी उस समय नहीं हुई है।

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