रशिया एवं ईरान के साथ भारत का सहयोग भारत अमरिका संबंधों के लिए फायदेमंद नहीं होगा – अमरिका के विदेश मंत्रालय की चेतावनी

वॉशिंगटन – अमरिका ने दिए चेतावनी के बाद भी भारत में रशिया से एस-४०० की खरीदारी व्यवहार किया है एवं ईरान के साथ ईंधन की खरीदारी रोकने से भारत ने इनकार किया है। यह बात अमरिका के साथ भारत के संबंधों के लिए फायदेमंद नहीं होगी, ऐसी सतर्क प्रतिक्रिया अमरिका के विदेश मंत्रालय ने दी है। उसमें भारत एवं यूरोपीय देशों से किए जाने वाले ईरान के ईंधन की खरीदारी रोकने के लिए अमरिका के राजनैतिक अधिकारी भारत से चर्चा करने का है।

अमरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीदर न्यूअर्ट ने भारत ने स्वीकारी हुई भूमिका दोनों देशों के संबंधों के लिए फायदेमंद न होने की बात कहकर उसपर नाराजगी व्यक्त की है। अमरिका ने प्रतिबंधों की धमकी देने के बाद भी भारत ने रशिया से एस-४०० इस हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीदारी की थी। ५ अरब डॉलर्स से अधिक रकम का यह व्यवहार करते हुए भारत ने अमरिका के प्रतिबंधों की धमकियां की तरफ पूर्णरूप से नजरअंदाज किया था। इतना ही नहीं तो भारत रक्षा विषयक खरीदारी व्यवहार दूसरे देशों से दखलअंदाजी सहन नहीं की जाएगी, ऐसा संदेश भारत ने अमरिका को दिया था। इसके बाद भी ईरान से ईंधन की खरीदारी रोकने की मांग भारत ने नहीं स्वीकारी है।

ईरान परमाणु शस्त्र प्राप्त करने की तैयारी में होकर ईरान को रोकने के लिए इन देशों से ईंधन की खरीदारी न करें, ऐसा आवाहन अमरिका ने किया था। ४ नवंबर के बाद ईरान से ईंधन की खरीदारी करने वाले देशों पर अमरिका के प्रतिबंध जारी हो सकते हैं। इसमें भारत का भी समावेश हो सकता है। इसीलिए अमरिका ने ईरान के ग्राहक देश होनेवाले भारत तथा अन्य यूरोपीय देशों के साथ चर्चा करने की तैयारी की है। अमरिका ने ईरान विषयक व्यवहारों के लिए नियुक्त किए विशेष दूत ब्रायन हुक एवं अमरिका के ऊर्जा स्रोत विभाग उपमंत्री फ्रान्सिस फैनॉन जल्द ही भारत से इस बारे में चर्चा करनेवाले हैं।

भारत जैसे बड़े देशों के ईंधन विषयक जरूरतें ध्यान में लेकर ईरान से ईंधन प्रदाय रोकना संभव न होने का एहसास अमरिका को है। इसीलिए भारत को अमरिका का विकल्प उपलब्ध करा सकते हैं, ऐसे संकेत दिए जा रहे थे। हुक एवं फैनॉन के भारत के साथ चर्चा में इस बारे में प्रस्ताव अधिक स्पष्ट तौर पर प्रस्तुत होने की आशंका है। ईरान से ईंधन खरीदारी पूर्णरूप से रोकने की अमरिका की मांग मंजूर करना भारत को संभव नहीं है। पर इस खरीदारी में कटौती करने के बारे में समझौते हो सकते हैं, ऐसे संकेत भारत से दिए जा रहे हैं।

भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नवंबर महीने के लिए ईरान से ईंधन की मांग दर्ज होने की जानकारी हालही में दी थी। पर पहले की तुलना में भारत ईरान से कम तादाद में ईंधन खरीदारी करने का दावा किया जा रहा है। उस समय भारत का प्रमुख ईंधन प्रदाय देश होनेवाले सऊदी ने भारत को अतिरिक्त ईंधन प्रदान करने की तैयारी दिखाई है।

भारत एवं ईरान के संबंध केवल ईंधन की खरीदी-बिक्री करने वाले देश इतने ही मर्यादित नहीं है। दोनों देशों में पहले से राजनैतिक संबंध होकर दोनों देशों की धारणात्मक सहयोग विकसित किए थे। ईरान के छाबहार बंदरगाह भारत विकसित कर रहा है और इस मार्ग से अफगानिस्तान एवं मध्य एशियाई देशों में व्यापारी परिवहन करने की भारत की योजना है। छाबहार बंदरगाह कार्यान्वित हुआ है और फिलहाल अफगानिस्तान इसका लाभ ले रहा है। इस बंदरगाह का सामरिक महत्व होकर चीन पाकिस्तान में विकसित कर रहे ग्वादर बंदरगाह को भारत छाबहार विकसित करके उत्तर दे रहा है।

ऐसी परिस्थिति में ईरान को दुखाना भारत की सुरक्षा पर परिणाम करने वाली बात हो सकती है। अमरिका को भी इसका एहसास होने का दावा विश्लेषक कर रहे हैं। इसलिए रशिया एवं ईरान के साथ सहयोग करने वाले भारत को अमरिका अपने प्रतिबंधों का झटका नहीं लगने देगा, ऐसा दावा कई विश्लेषक कर रहे हैं। पर ट्रम्प प्रशासन भारत को बड़ी उदारता दिखाने की तैयारी में नहीं है, ऐसा संदेश भी मिल रहा है।
अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने एस-४०० के करार के बाद अमरिका क्या करेगा, यह भारत को जल्द ही पता चलेगा ऐसे सूचक विधान किए थे।

रशिया से यही हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदारी करनेवाले चीन पर अमरिका ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध जारी किए थे। इसी में अमरिका ने भारत पर प्रतिबंध जारी नहीं किए, तो यह देश भारत को अलग न्याय दे रहा है, ऐसी बात दुनिया को स्पष्ट हो सकती है। इसकी वजह से अमरिका को भारत पर प्रतिबंध जारी करने हीं होंगे, ऐसा कई विश्लेषकों का कहना है। पर यह प्रतिबंध चीन इतनी तीव्र नहीं होंगे, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

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