‘भारत दक्षिण एशिया को अपना आँगन ना मानें’ : चीन के सरकारी दैनिक की कड़ी आलोचना

बीजिंग, दि. २१ : ‘दक्षिण एशियाई देशों के साथ सहयोग करने की चीन की कोशिशों को भारत बारूद लगा रहा है| भारत के इन कारनामों में यदि चीन के हितसंबंधों को धक्का लगा, तो चीन द्वारा भारत को करारा जवाब मिलेगा’, ऐसी कड़ी चेतावनी चीन के सरकारी दैनिक ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी| नेपाल, भूतान और श्रीलंका इन देशों में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा होकर, भारत द्वारा चीन की इन कोशिशों को किये जानेवाले विरोध की पृष्ठभूमि पर ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने यह चेतावनी दी|

दक्षिण एशियाचीन के रक्षामंत्री फिलहाल श्रीलंका में आये हैं| इसके बाद वे नेपाल की यात्रा पर जायेंगे| इन दोनों देशों की यात्रा के पीछे चीन की सुनियोजित कोशिश यही है कि भारत का इन देशों पर रहा स्वाभाविक प्रभाव कम करने की चीन की योजना को सफलता मिलें|  चीन की सरकारी मीडिया भी इस मामले में भारत की कड़ी आलोचना करने लगी है| ‘ग्लोबल टाईम्स’ इस चिनी दैनिक में इस बारे में लेख प्रसिद्ध किया गया है| इस लेख में, ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्र को भारत अपना आँगन समझ रहा है| इस क्षेत्र के देशों का दूसरे देशों के साथ सहयोग रोक रहा है’ ऐसी आलोचना की गई है|

चीन के नेता जब इस क्षेत्र के देशों की यात्रा करते हैं, तब भारतीय मीडिया और अधिकारी इसे खतरे की नज़र से देखते हैं| यह बात बहुत ही खतरनाक है| इन देशों की ओर भारत को संकुचित नजर से ना देखें, ऐसी सलाह इस लेख में दी गयी है| इतना ही नहीं, बल्कि नेपाल, भूटान, श्रीलंका इन देशों में रहनेवाले चीन के हितसंबंधों को धक्का देने की कोशिश भारत ने की, तो चीन उसका करारा जवाब देकर रहेगा, ऐसी चेतावनी इस दैनिक ने दी है| नेपाल और श्रीलंका के साथ के चीन के संबंधों को भारत की इस भूमिका का झटका लगा है, ऐसा आरोप ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने किया है|

भारत के प्रभाव की वजह से भूटान जैसे देश ने चीन के साथ राजनीतिक संबंध नहीं बनाये, ऐसा आरोप भी इस लेख में किया गया है| दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र के मामले में भारत आक्रामक भूमिका अपना रहा है| चीन के मामले में भारत को लग रही असुरक्षितता भी बड़े पैमाने पर बढ़ रही है, ऐसी आलोचना ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने की| इस क्षेत्र के देश जिस जिस समय तटस्थ नीति अपनाते हैं, उस समय वह चीनपरस्त है, ऐसी धारणा भारत द्वारा की जाती है| लेकिन चीन इस क्षेत्र के विकास के लिए चीन कोशिश कर रहा है, यह भारत को समझ लेना चाहिए| साथ ही, भारत के प्रभावक्षेत्र के ये देश चीन के पड़ोसी है, यह भी भारत को भूलना नहीं चाहिए, ऐसी चेतावनी इस दैनिक ने दी है|

भारत की इस प्रकार की भूमिका बरकरार रही, तो चीन को भारत के खिलाफ सख्त नीति अपनानी होगी| ऐसा नहीं होगा इस बात की चीन उम्मीद करता है| लेकिन ऐसा होना न होना, यह पूरी तरह से भारत पर निर्भर है, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया| चीन का श्रीलंका पर का प्रभाव, महिंदा राजपक्षे का कार्यकाल खत्म होने के बाद खत्म हुआ था| फिर भी चीन उनके कार्यकाल में किये समझौतों का गैरइस्तेमाल करके श्रीलंका पर आर्थिक दबाव बढ़ा रहा है| इस वजह से श्रीलंकन सरकार को हंबटोटा बंदरगाह और आसपास का क्षेत्र चीन को सौंप देने का कठोर निर्णय लेना पड़ा| इसपर स्थानीय जनता असंतोष जता रही है| इतना ही नहीं, बल्कि किसी समय चीन के साथ खड़े रहनेवाले पूर्व राष्ट्राध्यक्ष राजपक्षे भी अब इस समझौते पर कड़ा विरोध जता रहे हैं| लेकिन इसके पीछे भारत का षड्यंत्र है, ऐसा आरोप चीन द्वारा किया जाता हैं| साथ ही, नेपाल के विद्यमान प्रधानमंत्री प्रचंड भी किसी समय चीन के समर्थक थे| वे भी फिलहाल भारत के पक्ष में खड़े हुए हैं, ऐसा चीन का आरोप है|

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