भारत और चीन के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकारों के बीच चर्चा

हैद्राबाद दि. ४ (पीटीआय) – लद्दाख में चिनी सैनिकों की घुसपैंठ का मामला ताज़ा है| उसी समय, भारत और चीन के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकारों के बीच चर्चा शुरू हुई है| हैद्राबाद में शुरू हुई इस चर्चा के तफ़सील मीडिया के सामने खुले नहीं किये गये हैं| लेकिन भारत की ‘एनएसजी’ सदस्यता पर चर्चा और ‘मसूद अझहर’ पर की संयुक्त राष्ट्रसंघ की रक्षा परिषद की कार्रवाई, ये मुद्दे इस चर्चा में भारत के द्वारा उपस्थित किये जायेंगे, ऐसे कहा जाता है| साथ ही, भारत के भूभाग में चिनी सेना की घुसपैंठ का मुद्दा भी इस समय पेश किया जायेगा| लेकिन ‘चीन की सेना ने भारत के भूभाग में घुसपैंठ नहीं की है| भारतीय मीडिया में प्रकाशित हुए खबरों में कुछ तथ्यांश नहीं है’ ऐसा चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा|

भारत और चीनदो ही दिन पहले, जम्मू-कश्मीर में लद्दाख से २५० किलोमीटर की दूरी पर के ‘दमचोक’ में चिनी सैनिकों ने घुसपैंठ की| यहाँ पर ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार हमी योजने’ अंतर्गत (मनरेगा) नहर के निर्माण का काम शुरू  है| चिनी सैनिकों ने यहाँ आकर इस निर्माणकाम को रोकने की सूचना की थी| भारतीय मीडिया ने यह खबर दी थी|

लेकिन ‘इंडो तिबेटन बॉर्डर पुलीस’ (आयटीबीपी) के सैनिकों ने उन्हें रोक दिया| घुसपैंठ करनेवाले चिनी सैनिकों की संख्या ५५ थी, ऐसा कहा जाता है| ‘आयटीबीपी’ के जवानों ने उन चिनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया| यह खबर बेबुनियाद है, ऐसा दावा चीन के विदेशमंत्रालय ने किया था|

चीन के सैनिकों ने भारत के भूभाग में घुसपैंठ नहीं की, यह दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया| उसी समय, भारत विवादग्रस्त भूभाग में इकतरफा निर्माणकार्य मत करें, ऐसा आवाहन चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है| इस पृष्ठभूमि पर, भारत के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार अजित डोवल और चीन के राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार ‘यांग जेईची’ की हैद्राबाद में चर्चा शुरू हुई है|

भारत के साथ शुरू होनेवाले कोई चर्चा या फिर किसी भारतीय नेता की चीन यात्रा अथवा चिनी नेता की भारत यात्रा, ऐसी पृष्ठभूमि पर हमेशा चिनी सैनिक भारत के भूभाग में घुसपैंठ करते हुए भारत पर का दबाव बढ़ाने के प्रयास करते आये हैं| ‘दमचोक’ में चिनी सैनिकों ने की घुसपैंठ, यह चीन ने शुरू की हुई इसी प्रथा का हिस्सा माना जा रहा है|

दोनो देशों के राष्ट्रीय रक्षा सलाहगारों के बीच चर्चा शुरू हुई है और तफ़सील अब तक मीडिया के सामने खुले नहीं किये गये हैं| भारत को ‘एनएसजी’ की सदस्यता न मिलें, इसके लिए चीन ने अपनायी हुई भूमिका को लेकर भारतीय लोगों में नाराज़गी है| उसी वक्त ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इस आतंकी संगठन का प्रमुख ‘मौलाना मसूद अझहर’ पर की, संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की कारर्वाई को रोकने की चीन की कोशिश, यह भारत में चीन के प्रति नफ़रत पैदा करनेवाला विषय बना है| चीन हर वक्त भारत के खिलाफ़ फ़ैसला करता है| इसी कारण चिनी उत्पादों का बहिष्कार करने का आवाहन भारत में किया जा रहा है| इसका आघात चीन को सहन करना पड़ रहा है| यह मुद्दा चीन की तरफ से चर्चा में उपस्थित किया जायेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| वहीं, इस मसले पर चीन की भारतविरोधी भूमिका बदलने का आवाहन भारत द्वारा किया जायेगा, ऐसी संभावना है|

इसके साथ ही, चीन पाकिस्तान में शुरू करने जा रहे ‘कॉरिडॉर’ प्रकल्प पर भारत की तरफ से चिंता जतायी जायेगी| अमरीका के भारत स्थित राजदूत रिचर्ड वर्मा की अरुणाचल प्रदेश भेंट पर चीन अपना ऐतराज़ ज़रूर जतायेगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं| ‘अरुणाचल प्रदेश यानी ‘दक्षिण तिब्बत’ है, इसपर चीन का अधिकार है’ यह दावा इस देश द्वारा किया जा रहा है| वहीं, ‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य भूभाग है’ भारत ने चीन को कई बार कहा है|
अगले साल बौद्ध धर्मगुरु और तिबेटी नेता दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश की भेंट करनेवाले हैं| इसपर चीन ज़ोर से ऐतराज़ जतायेगा, ऐसी ख़बरें प्रकाशित हुई थीं|

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