भारत नौसेना के लिये अमरिकी रोमिओ हेलिकॉप्टर खरीदी करेगा

नवी दिल्ली – भारत ने अमरिका से ‘एमएच-६०’ रोमिओ हेलिकॉप्टर खरीदी करने की तैयारी की है| इस विषय में अमरिका के सामने प्रस्ताव रखा गया है| पणडुब्बी विरोधी युद्ध के लिये उपयोगी इस हेलिकॉप्टर का समावेश भारतीय नौसेना की सामर्थ्य में काफी बढोतरी करने वाला साबित होगा| चीन की नौसेना में ७० से अधिक पनडुब्बीयों का समावेश है| इस वजह से भारतीय नौसेना की बेडे में ‘रोमिओ’ हेलिकॉप्टर का समावेश चीन के लिये परेशानी बढाने वाला होगा|

चीन की नौसेना में बडी संख्या में पनडुब्बीयों का समावेश है और चीन की पणडुब्बीयों की संख्या ७० से अधिक होने की बात हो रही है| हिंदी महासागर क्षेत्र में अपनी पनडुब्बीयों की आवाजाही बढाकर चीन भारत पर दबाव बनाने की कोशिष कर रहा है| कुछ साल पहले श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह में चीन की पनडुब्बी दाखिल हुई थी| इस पर गंभीरता से ध्यान देकर भारत ने विरोध जताया था| इस के बावजूद चीन के नौसेना से भारत के प्रभाव क्षेत्र में शुरू गतिविधिया रुकी नही है| बल्की इन गतिविधियों की मात्रा में आक्रामकता से बढोतरी हुई है, यह दिख रहा है| इस परिस्थिती में भारत को अपनी नौसेना की क्षमता बढाने के लिये तेज गति से कदम उठाना जरूरी है| इसी पृष्ठभुमि पर भारतीय नौसेना ने प्रगत और बहुउद्देशिय हेलिकॉप्टर्स की मांग रखी थी|

पिछले नौ महिनों से इस हेलिकॉप्टर की खरीदी के विषय में चर्चा शुरू थी| आखिरकार अमरिका के लॉकहीड मर्टिन और सिकोर्स्की इन कंपनीयों के निर्मिती रहे ‘रोमिओ’ नाम से जाने जा रहे ‘सी हॉक एमएच-६०’ हेलिकॉप्टर नौसेना के लिये खरीदी करने की तैयारी भारत ने की है| लगभग २४ रोमिओ हेलिकॉप्टर खरीदी करने के लिये भारत को १३ हजार ५०० करोड रुपये खर्च करना होगा| सालभर में इस हेलिकॉप्टर खरीदी का समझौता होने की आशा है| २०२० से २०२४ के दरमियान भारतीय नौसेना के बेडे में रोमिओ हेलिकॉप्टर्स का समावेश करने की योजना है| यह प्रगत हेलिकॉप्टर्स टोर्पिडो और प्रक्षेपास्त्रों से लैस होगी| इस वजह से यह हेलिकॉप्टर पनडुब्बी विरोधी जंग के लिये अत्यंत अहम जिम्मेदारी निभा सकते है|

भारतीय नौसेना के ‘सी किंग हेलिकॉप्टर’ की जगह ‘रोमिओ’ हेलिकॉप्टर तैनात करने का उद्देश्य है| इन हेलिकॉप्टर्स की गणना विश्‍व की सबसे प्रगत हेलिकॉप्टर के तौर पर होती है| इस वजह से इन हेलिकॉप्टर का समावेश होने से भारतीय नौसेना की आक्रमकता में बडी मात्रा में बढोतरी हो सकती है| अमरिका ने ऑस्ट्रेलियन नौसेना को ‘रोमिओ’ हेलिकॉप्टर्स दी थी| अब यह हेलिकॉप्टर्स भारतीय नौसेना को भी प्राप्त होते ही इंडो पसिफिक क्षेत्र की देशों की सुरक्षा और सार्वभौमता को चुनौती दे रहे चीन की समस्या और भी बढ सकती है| सबसे अहम बात यह है कि, ‘रोमिओ’ हेलिकॉर्प्स की खरीदी से रक्षा क्षेत्र में भारत-अमरिका सहयोग और भी पुख्ता होगा|

रशिया से ‘एस-४००’ यह हवाई सुरक्षा यंत्रणा और सेना के लिये ‘कमाव्ह’ और ‘एमआय-१७’ हेलिकॉप्टर की खरीदी करने का निर्णय लेकर भारत ने अमरिका को झटका दिया था| रशिया के साथ हुए इस व्यवहार के बाद अमरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने के लिये धमका रहा था| यह प्रतिबंध लगाने से दूर रहने के बावजूद अमरिका भारत पर नाराज है, यह स्थिती स्पष्ट हुई है| इस परिस्थिति में ‘रोमिओ’ हेलिकॉप्टर खरीदी के साथ भारत-अमरिका रक्षा सहयोग और भी मजबूत होगा और इस निर्णय के साथ ही अमरिका और रशिया के साथ बनाये संबंधों में भारत संतुलन बनाते दिख रहा है|

इस के पहले भारत ने अमरिका से ‘अपाचे’ और ‘चिनूक’ हेलिकॉप्टर्स की खरीदी की है| इस के अलावा भारी सामुग्री की ढुलाई करने के लिये उपयुक्त ‘सी-१३० जे सुपर हर्क्युलिस’ विमान और ‘एम-७७७ होवित्झर’ यह अमरिकी तोप की भारत ने खरीदी की है| २००७ साल से भारत अमरिकी शस्त्र खरीदी कर रहा है| तब से दोनों देशों का रक्षा व्यापार १७ अरब डॉलर्स तक पहुंचा है| यह सहयोग बढाते समय भारत के सामने रशिया के साथ परंपरागत सहयोग कायम रखने की चुनौती थी| इस परिस्थिति में भारत ने संतुलन बनाया है, यह दिख रहा है|

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