भारत व्यापार युद्ध में ना पड़े – भारतीय उद्यमी के संगठन असोचेम की सलाह

नई दिल्ली: भारतीय वित्त व्यवस्था आयात पर आधारित है| इस वजह से व्यापारिक साझेदार होने वाले देशों के साथ व्यापार युद्ध छेड़ना भारत को संभव नहीं है| इसीलिए भारत ने इन देशों के साथ चर्चा करके द्विपक्षीय व्यापार की समस्या सुलझाना चाहिये, ऐसी सलाह भारतीय उद्यमी संगठन होने वाले असोचेम ने दी है|

पिछले हफ्ते में अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोप के विरोध में व्यापार युद्ध की धमकी दी थी| तथा अमरिका में आयात लोहा एवं एल्युमीनियम पर कर लादने की घोषणा की थी| इस पर दुनिया भर से तीव्र प्रतिक्रिया उमड़ रही थी| कई दिन पहले अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने भारत एवं चीन से अमरिकी उत्पाद पर जारी होने वाले करो पर टीका की थी| अमरिका के साथ अन्य विकसित देशों ने स्वीकारी हुई सुरक्षित व्यापार धारणा की वजह से जागतिक स्तर पर नया पेच निर्माण हुआ है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर उसका बड़ा गंभीर परिणाम होता दिखाई दे रहा है, ऐसे इशारे विशेषज्ञ दे रहे हैं| जल्द ही यह व्यापार युद्ध भड़क सकता है, ऐसा दावा किया जा रहा है|

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इस पृष्ठभूमि पर भारतीय उद्यमी की प्रमुख संघटना होने वाले ‘एसोसिएशन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ असोचेम ने भारत सरकार को व्यापार युद्ध में ना पड़ने की सलाह दी है| व्यापार युद्ध भड़कने पर प्रतिकार करने का सामर्थ्य भारत के पास नहीं है| क्योंकि भारत बड़ी तादाद में उत्पाद आयात करता है| आयात होनेवाले उत्पादनों में अधिकतम वस्तू अत्यावश्यक है, इस पर असोचेम ने ध्यान केंद्रित किया है|

अमरिका के उदाहरण देते हुए, अमरिका के साथ व्यापार में भारत को १५० करोड़ डॉलर्स का व्यापारी नुकसान सहन करना पड़ रहा है| भारत अमरिका से ४५० अरब डॉलर के उत्पादन का आयात करता है| पर भारत अमरिका को ३०० अरब डॉलर के वस्तू निर्यात करता है| पर भारत अमरिका से आयात कर रहे सामान में से एक चतुर्थांश भाग कच्चे तेल और उनसे संबंधित उत्पाद का है| तथा अमरिका से प्लास्टिक और खाद की आयात की जाती है| पर इन वस्तुओं की आयात बंद करने से मांग पूरी करने की क्षमता फिलहाल अपने देश के पास ना होने की बात असोचेम ने रेखांकित की है|

व्यापार युद्ध में भारत को सीधा प्रतिकार करना कठिन है| इसके अलावा भारत ने जिन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की क्षमता है, उन वस्तुओं की आयात कम करने पर ध्यान करना चाहिए, ऐसा असोचेम ने कहा है| पिछले वर्ष भारत में लोहे की आयात बढी है| लोहा उत्पादन बढाने की क्षमता भारत के पास है, यह ध्यान में रख कर भारतने लोहा उत्पादन बढ़ाकर आयात कम करने पर जोर देने की आवश्यकता असोचेम ने जताई है| वैसे ही कोयला और अन्य वस्तुओं के बारे में हो सकता है, ऐसा असोचेम ने सूचित किया है|

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