भारत-अमरीका में हुआ ‘बीईसीए’ समझौता

नई दिल्ली – भारत और अमरीका के विदेशमंत्री एवं रक्षामंत्रियों की २+२ चर्चा के बाद दोनों देशों ने ‘बीईसीए’ समझौता किया। इस वजह से अमरीका के अतिप्रगत उपग्रह एवं अन्य यंत्रणाओं के ज़रिये भारत को अपने शत्रू देशों की अत्यावश्‍यक जानकारी आसानी से उपलब्ध होगी। भारतीय लड़ाकू विमान एवं मिसाइलों को इस वजह से अपने लक्ष्य की सटीक जानकारी प्राप्त होगी और यह उपलब्धी निर्णायक साबित हो सकती है। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों के विदेशमंत्री और रक्षामंत्रियों ने इस सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। इसी बीच अमरीका के रक्षामंत्री मार्क एस्पर ने गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के प्रति श्रद्धांजली अर्पित की और चीन की हरकतें अस्थिरता फैलानेवाली हैं, यह आलोचना करके रक्षामंत्री एस्पर ने चीन को सख्त संदेश भी दिया है।

‘बीईसीए’ समझौता

विश्‍वभर के विश्‍लेषकों की नज़रे लगी हुई भारत-अमरीका की इस २+२ चर्चा में ‘बीईसीए’ समेत अहम द्विपक्षीय समझौते हुए। अमरीका में राष्ट्राध्यक्ष चुनावों कुछ ही दिनों में होने हैं और ऐसे में दोनों देशों में हुए यह सहयोग के समझौते ध्यान आकर्षित करनेवाले साबित होते हैं। खास तौर पर ‘बीईसीए’ समझौता भारत और अमरीका का सामरिक सहयोग अधिक मज़बूत होने की बात दिखा रहा है। इस समझौते की वजह से भारत को अपनी सुरक्षा के लिए अत्यावश्‍यक निर्णायक जानकारी अमरीका से उपलब्ध हो सकेगी। इस वजह से चीन और पाकिस्तान काफी बेचैन हैं। भारत और अमरीका के बीच रक्षासंबंधित सहयोग की प्रगति पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संतोष व्यक्त किया है।

दोनों देशों में वर्ष २०१६ में लिमोआ और वर्ष २०१८ में कॉमकासा समझौता किया गया था। ‘बीईसीए’ समझौता इस द्विपक्षीय सहयोग की श्रुंखला का अगला अध्याय होने का दावा राजनाथ सिंह ने किया। तभी अमरीका के रक्षामंत्री मार्क एस्पर ने गलवान की घाटी में हुए संघर्ष में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए श्रद्धांजली अर्पित की। वहां पर चीन ने की हुई हरकत अस्थिरता निर्माण करनेवाली थी, यह कहकर एस्पर ने इस तनाव के लिए चीन ही ज़िम्मेदार होने के संकेत दिए। इसी के साथ, यदि भारत का चीन के साथ संघर्ष होता है तो अमरीका ड़टकर भारत का साथ देगा, यह वादा विदेशमंत्री पोम्पिओ ने किया। चीन पर राज कर रही कम्युनिस्ट पार्टी में जनतंत्र नहीं है, यह फटकार भी उन्होंने लगाई। तभी, भारत और अमरीका का सहयोग जनतंत्र के अधिष्ठान पर खड़ा है, यह बयान भी पोम्पिओ ने किया।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता स्थापित करने के लिए जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ अमरीका और भारत का ‘क्वाड’ सहयोग अहम भूमिका निभाएगा, यह विश्‍वास विदेशमंत्री पोम्पिओ ने व्यक्त किया। साथ ही भारत, अमरीका और जापान की नौसेना के ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने पर पोम्पिओ ने भारत के प्रति आभार व्यक्त किया। आनेवाले दिनों में भारत के साथ अमरीका का सहयोग अधिक मज़बूत और व्यापक होगा, यह विश्‍वास भी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने व्यक्त किया। इस चर्चा के बाद विदेशमंत्री पोम्पिओ और रक्षामंत्री एस्पर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की। तभी भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के साथ अमरिकी रक्षामंत्री ने चर्चा करने का भी वृत्त है।

भारत-अमरीका के इस सहयोग की दाहकता चीन को महसूस होने लगी है और चीन ने लद्दाख की ‘एलएसी’ पर भारत के साथ होनेवाली चर्चा के समय में बदलाव किया है। चीन के सरकारी माध्यम २+२ चर्चा से पहले ही भारत और अमरीका का यह सहयोग चीन विरोधी होने के दावे कर रहे थे। इसी के साथ यह सहयोग सफल नहीं होगा, इन शब्दों में ग्लोबल टाईम्स ने अपनी जलन दिखाई थी। लेकिन, भारत और अमरीका के इस सामरिक सहयोग की वजह से चीन विचलित होने की बात स्पष्ट तौर पर दिख रही है। २+२ चर्चा में वैश्विक स्तर के उत्पादनों की आपूर्ति की श्रृंखला भारत में स्थापित करने के मुद्दे पर हुए विचार एवं चर्चा की वजह से चीन पर बने दबाव में अधिक बढ़ोतरी हुई है।

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