कुलभूषण जाधव मामले में भारत पुन: आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जायेगा – वरिष्ठ विधिविशेषज्ञ हरीश साळवे

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – जासूसी तथा आतंकवाद के झूठे इल्ज़ाम लगाकर पाकिस्तान के कारागृह में बंद कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए पुन: आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाने पर सोचविचार शुरू है। इस मामले में आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने दिये हुए निर्देशों का पाकिस्तान ने अभी तक पालन नहीं किया है। पाकिस्तान ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया है। कुलभूषण संदर्भ में पाकिस्तान को कई पत्र लिखे गये हैं। लेकिन पाकिस्तान से उसे प्रतिसाद ना मिला होने के कारण, भारत पुन: आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाने का विचार कर रहा है, ऐसा वरिष्ठ विधिविशेषज्ञ और पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साळवे ने कहा है।

सन २०१६ में जाधव को बलुचिस्तान से गिरफ़्तार किया होने का पाकिस्तान का दावा है। लेकिन पाकिस्तान का यह दावा भारत ने बार बार नकारी है। उनका ईरान से अपहरण करके उन्हें बलुचिस्तान में गिरफ़्तार किया हुआ दिखाया गया और उनपर झूठे इल्ज़ाम लगाये गये। संयुक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन करते हुए उन्हें क़ानूनी सहायता भी नकारी गयी। साथ ही, सन २००१७ में जाधव को अचानक पाकिस्तान के न्यायालय ने फ़ाँसी की सज़ा सुनायी। उसके बाद भारत ने आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था। आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में भारत का पक्ष विधिविशेषज्ञ साळवे ने रखा था। न्यायालय में पाकिस्तान अपनी किसी भी बात को साबित नहीं कर सका। इस कारण पिछले साल आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने जाधव की फ़ाँसी स्थगित करने के, फ़ाँसी पर फेरविचार करने के और जाधव को क़ानूनी सहायता देने के आदेश दिये थे।

”अभी तक पाकिस्तान ने आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के किसी भी निर्देश जा पालन नहीं किया है। साथ ही, भारत को एफआयआर और आरोपपत्र की कापी भी नहीं दी है। तथा बार बार माँगकर भी कोई भी सबूत नहीं दिए हैं। भारत से पाकिस्तान के पास लगातार इसका पृष्ठपोषण जारी है। साथ ही, ‘बॅक चॅनल’ के ज़रिये भी पाकिस्तान से इस बारे में चर्चा हुई। जाधव को मानवता के आधार पर छोड़ दिया जायें, ऐसी माँग भारत ने की। लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हुआ। पाकिस्तान ने इस अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया है”, ऐसा हरीश साळवे ने एक इंटरव्यू में कहा है।

‘पाकिस्तान भारत की माँग को प्रतिसाद देगा और आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्देशों का पालन करेगा ऐसी उम्मीद थी। लेकिन वैसा नहीं हुआ है। पाकिस्तान ने पत्रव्यवहारों को प्रतिसाद नहीं दिया है। इस कारण अब हम ऐसे मुक़ाम पर आ पहुँचे है, जहाँ निर्णय लेना पड़ेगा। इस मामले में पुन: आंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाने का मार्ग खुला है। इसके बारे में विचार शुरू है, लेकिन कोई भी निर्णय नहीं हुआ है’ ऐसी जानकारी साळवे ने दी।

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