अफ्रीका में चीन के बढ़ते वर्चस्व से अमरीका को गंभीर खतरा – अमरीका की अफ्रीका कमांड के प्रमुख

africa-map-usवॉशिंग्टन – चीन ने अटलांटिक महासागर क्षेत्र के अफ्रीकी देशों में लष्करी अड्डे स्थापित करने के लिए गतिविधियाँ शुरू कीं हैं। चीन की लष्करी गतिविधियाँ अमरीका को घेरनेवालीं हैं। चीन से अमरीका की सुरक्षा को होनेवाला खतरा पैसिफिक महासागर से ही नहीं, बल्कि अटलांटिक महासागर क्षेत्र से भी सामने आ सकता है, ऐसी चेतावनी अमरीका की अफ्रीका कमांड के प्रमुख जनरल स्टिफन टाऊनसेंड ने दी। अन्तर्राष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी के साथ जनरल टाउनसेंड वार्तालाप कर रहे थे।

जनरल टाऊनसेंड ने बायडेन प्रशासन को पिछले महीने ही यह आवाहन किया था कि अफ्रीका को नज़रअंदाज ना करें, यहाँ के चीन के निवेश पर बारीक नजर रखें। अफ्रीका में चीन का आर्थिक और लष्करी निवेश अमेरिका के लिए खतरनाक बना है कौन सा जनरल टाउनसेंड ने जताया था। जिबौती के अलावा पूर्वीय देशों में चीन अपने लष्करी और नौसेना अड्डे बना रहा है, इस पर टाउनसेंड ने गौर फरमाया था। ये लष्करी और नौसेना अड्डे अपनी ‘फिफ्थ आयलँड चेन’ होने की बात चीन ने घोषित की थी, इस पर भी जनरल टाउनसेंड ने ध्यान आकर्षित किया था।

इस ‘फिफ्थ आयलँड चेन’ की तरह पश्चिमी अफ्रीका में चीन की लष्करी गतिविधियाँ और उस कारण अफ्रीकी देशों में चीन का बढ़ता वर्चस्व अमरीका के लिए खतरनाक साबित होने लगा है, यह बात जनरल टाउनसेंड ने अधोरेखांकित की थी। अटलांटिक महासागर क्षेत्र के दायरे में होनेवाले पश्चिमी अफ्रीकी देशों में, जहाँ विमानवाहक युद्धपोत अथवा पनडुब्बियाँ तैनात हो सकतीं हैं, ऐसे नौसेना अड्डे बनाने की कोशिश चीन कर रहा है। इसके लिए चीन ने मॉरिशियाना से लेकर नामीबिया तक के देशों के साथ चर्चा शुरू की है, ऐसा दावा जनरल टाउनसेंड ने किया। अगर ऐसा हुआ, तो पैसिफिक महासागर से लेकर अटलांटिक महासागर तक चीन की नौसेना के प्रभाव का विस्तार होगा, ऐसा जनरल टाउनसेंड ने डटकर कहा है।

africa-map-us‘अपने युद्धपोतों की मरम्मत, रखरखाव और शस्त्रसिद्धता के लिए नौसेना अड्डे का इस्तेमाल करने का कारण चीन आगे कर रहा है। लेकिन संघर्ष के दौर में चीन इन अड्डों का लष्करी इस्तेमाल भी कर सकता है। चीन ने इसी प्रकार जिबौती में अपना नौसेना अड्डा स्थापित किया। अब अफ्रीका के पश्चिमी किनारे के देशों में भी चीन को ऐसे ही अड्डे बनाने हैं’, ऐसा जनरल टाऊनसेंड ने कहा। ‘अफ्रीकी देशों में आर्थिक और लष्करी निवेश बढ़ाकर चीन दाँवपेंचों में अमरीका को मात देना चाहता है। बंदरगाह निर्माण परियोजना, आर्थिक छूट, बुनियादी सुविधाएँ और विभिन्न समझौते-कॉन्ट्रैक्ट्स इनके जरिए चीन अफ्रीका में दूर-दराज तक अपना स्थान मजबूत कर रहा है’, ऐसी चिंता अमरीका की अफ्रीका कमांड के प्रमुख ने ज़ाहिर की।

africa-map-us‘चीन ने पूर्वीय अफ्रीका के तांजानिया में लष्करी अड्डों का निर्माण करने के लिए गतिविधियाँ शुरू की है, ऐसी चर्चा शुरू की। अगर चीन वैसे प्रयास कर रहा है, सुबह कोई अमेरिका की चिंता का विषय नहीं है। क्योंकि तांजानिया में बननेवाला अड्डा हिंदी महासागर क्षेत्र में होगा। लेकिन अगर चीन में अटलांटिक क्षेत्र में अड्डा बनाया, तो फिर वह अपने लिए चिंता का कारण साबित होगा’, ऐसा बताकर जनरल टाउनसेंड ने, हिंद महासागर क्षेत्र में बने चीन के अड्डों से अमरीका का लेनादेना नहीं है, यह बात स्पष्ट की।

चीन का तांजानिया स्थित अड्डा यह हालाँकि अमरीका की चिंता का विषय नहीं है, फिर भी हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़ा चीन का यह अड्डा, भारत के सुरक्षाविषयक हितसंबंध खतरे में डालनेवाला साबित हो सकता है।

चीन योजनाबद्ध तरीके से सागरी क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। अमरीका जैसी महासत्ता को ठेंठ चुनौती न देते हुए, सावधानीपूर्वक सागरी क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की योजना पर चीन पिछले कुछ सालों से काम कर रहा है। लेकिन अब चीन के दांवपेंच दुनिया के सामने आए होकर, दुनियाभर के प्रमुख देश चीन की विस्तारवादी नीतियों के कारण चौकन्ने हुए हैं। अमरीका की अफ्रिका कमांड के प्रमुख ने दी चेतावनी यही दर्शा रही है कि चीन की चुनौती अधिक गंभीर बनी है।

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