‘आरबीआय’ द्वारा ‘रिव्हर्स रेपो’ रेट में बढ़ोत्तरी

मुंबई, दि. ६: आरबीआय ने गुरुवार को जारी की क्रेडिट पॉलिसी के ‘रेपो रेट’ में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया| लेकिन ‘रिव्हर्स रेपो’ रेट में ०.२५ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करके आरबीआय ने, बा़जार में नकद बढ़ेगी इसके एहतियात बरते हैं| इस साल ‘एल निनो’ की वजह से बारिश सरासरी से कम होने की आशंका जतायी जाती है| साथ ही, सरकार जुलाई से जीएसटी पर अमल शुरू करने की कोशिश में है| इस पृष्ठभूमि पर, अर्थव्यवस्था की अनिश्‍चितता को देखते हुए ‘आरबीआय’ ने रेपो रेट बरकरार रखने का फैसला किया है, ऐसा जानकारों का कहना है|

‘रिव्हर्स रेपो’

पिछलीं तीन क्रेडिट पॉलिसीज़ में ‘आरबीआय’ ने, ब्याजदरों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया था| पिछले साल के अप्रैल महीने में रेपो रेट में ०.२५ प्रतिशत की कटौती करने के बाद ‘आरबीआय’ ने ब्याजदरों में किसी भी प्रकार का बदलाव ना करने की नीति बरकरार रखी है| गुरुवार के दिन जारी की क्रेड़िट पॉलिसी में भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किये गए हैं| रेपो रेट यानी बैंक जिस रेट से ‘आरबीआय’ से ‘शॉर्ट टर्म’ (अल्प अवधि के लिए) कर्ज़ा लेती है वह रेट। यह रेट जब ‘आरबीआय’ कम करती है, तो बैंको को अपने कर्ज़े के ब्याज़दर कम करने पड़ते हैं| इससे बैंक कर्ज़े सस्ते हो जाते हैं। लेकिन फिलहाल वैसी परिस्थिती नहीं है| अर्थव्यवस्था में अनिश्‍चितता है| साथ ही, बारिश कितनी होगी इसपर, महँगाई कितनी बढ़ेगी इसका सूत्र निर्भर है| इस वर्ष सरासरी से कम ही बारिश होगी, ऐसा अंदाजा इससे पहले ही जताया जाने के कारण आरबीआय ने रेपो रेट को बरकरार रखने का फैसला लिया है|

साथ ही, जीएसटी के अमल के फैसले का परिणाम भी आरबीआय के फैसले पर दिखाई दे रहा है, ऐसा जानकारों का कहना है| इसीके साथ, सातवें वित्त आयोग की सिफ़ारिशों पर अमल करने की कोशिश में सरकार है| इन सब बातों का महँगाई पर कैसा प्रभाव पड़ता है, यह देखकर ‘आरबीआय’ रेपो रेट बदलने के बारे में अगला फैसला करेगी, ऐसा कहा जाता है|

लेकिन ‘आरबीआय’ ने रिव्हर्स रेपो रेट में ०.२५ प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करके वह ६.५ प्रतिशत किया है| बैंक ‘आरबीआय’ के पास जो पैसे जमा कर रखते हैं, उनपर पर ‘आरबीआय’ से मिलनेवाले ब्याज को ‘रिवर्स रोपो’ कहा जाता है| इस फैसले के कारण बँकों को अपनी जमा राशियों पर अधिक ब्याज मिलेगा| इससे बैंक भी अपने ग्राहकों को अधिक ब्याज़ दे सकते हैं। इससे नागरिक अधिक पैसा बैंक में जमा करेंगे| इससे मार्केट में पैसे की तरलता (फ़्लो) बढ़ेगा| इसी दृष्टि से यह फैसला किया गया है, ऐसा कहा जाता है|

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