इंधन सुरक्षा के लिए भारत की गतिविधियों में बढ़ोतरी

नई दिल्ली – केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने फिनलैण्ड की राजदूत रिवा कौक्कू के साथ इंधन सहयोग के मुद्दे पर चर्चा की। इससे पहले भारतीय पेट्रोलियम मंत्री ने ऑस्ट्रेलिया के राजदूत के साथ ही इंधन सहयोग बढ़ाने से संबंधित अलग अलग मुद्दों पर चर्चा करने का समाचार है। भारत अपनी इंधन सुरक्षा के लिए अलग अलग देशों के साथ लगातार चर्चा कर रहा है। दो दिन पहले ही भारतीय मंत्री प्रधान ने यह जानकारी साझा की थी कि, अमरीका समेत अलग अलग देशों में इंधन का ‘स्ट्रैटेजिक’ भंड़ारण करने की कोशिश भारत कर रहा है। भारत इंधन की आपूर्ति करनेवाले मित्रदेशों के साथ-साथ अब अन्य देशों से भी इंधन का आयात करने पर जोर दे रहा है। मौजूदा स्थिति में भारत कुल ३० से अधिक देशों से इंधन का आयात कर रहा है, यह बात प्रधान ने रेखांकित की थी।

dharmendra-pradhan-fuelहाल ही में हुई ‘एनर्जी सिक्युरिटी टुवर्ड्स आत्मनिर्भर भारत’ नामक परिषद में पेट्रोलियम मंत्री शामिल थे। इस दौरान भारत इंधन सुरक्षा के लिए कर रहे कोशिशों की जानकारी उन्होंने साझा की। आपाद काल के लिए आवश्‍यक इंधन का भंड़ारण करने के लिए १७ जुलाई को भारत और अमरीका ने प्राथमिक समझौता किया था। इसके अनुसार अमरीका में इंधन का भंड़ारण करने से संबंधित संभावना की जाँच की जा रही है। देश में फिलहाल ५३ लाख टन इंधन का ‘स्ट्रैटेजिक’ भंड़ारण करने की क्षमता मौजूद है। इसके अलावा ६५ लाख टन इंधन भंड़ारण क्षमता के दो प्रकल्पों का निर्माण करने के लिए तात्विक मंजूरी दी गई है, यह जानकारी भी प्रधान ने साझा की। इन प्रकल्पों में निवेश के लिए प्रधान ने निवेशकों को आमंत्रित किया है।

भारत अपनी कुल आवश्‍यकता के ८५ प्रतिशत इंधन आयात करता है। बीते आर्थिक वर्ष में भारत ने १०.१४ करोड़ टन इंधन आयात किया थी। इसमें से दो तिहाई इंधन सौदी अरब, यूएई और इराक जैसे खाड़ी देशों से आयात किया गया था। लेकिन, अब भारत खाड़ी क्षेत्र के अलावा अन्य देशों से भी इंधन आयात करनी की मात्रा बढ़ा रहा है। इसके तहत अमरीका, रशिया, अंगोला आदि देशों के साथ भारतीय कंपनियों ने लंबे समय के लिए समझौते किए हैं। इसके साथ ही अफ्रीकी और दक्षिण अमरीकी देशों से भी भारत ने इंधन की खरीद शुरू की है। भारत को इंधन प्रदान करनेवाले देशों की संख्या अब ३० से अधिक हुई है, यह बात प्रधान ने साझा की।

इस पृष्ठभूमि पर फिनलैण्ड और ऑस्ट्रेलिया के राजदूतों के साथ प्रधान ने इंधन सहयोग के मुद्दे पर बैठक करना अहमियत रखता है। असम के नुमलीगड़ में फिनलैण्ड की कंपनी की सहायता से बांस का इस्तेमाल करके इथेनॉल निर्माण करने का प्रकल्प स्थापित किया जा रहा है। इस पर भी फिनलैण्ड की राजदूत के साथ बैठक में चर्चा होने की बात कही जा रही है। विश्‍व में इस तरह का यह पहला प्रकल्प होगा। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओफ्ररेल के साथ हुई बैठक में इंधन सहयोग बढ़ाने की कई संभावनाओं की जाँच की गई। भारत के इंधन वायू क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने के लिए आवश्‍यक निवेश और हायड्रोकार्बन की आपूर्ति के मुद्दे पर इस बैठक में चर्चा होने का समाचार प्राप्त हुआ है।

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