भारतीय नौदल में डीएसआरव्ही का समावेश

नई दिल्ली – गहरे समंदर में बचाव कार्य करने के लिए पनडुब्बीओं की सहायता करने की क्षमता होनेवाले ‘डीप सबमर्जन्स रेस्क्यू व्हेईकल’ का समावेश भारतीय नौदल में हुआ है। इसकी वजह से गहरे समंदर में भी बचाव कार्य करने की क्षमता होनेवाले चुनिन्दा देशों में भारत का समावेश हुआ है। ७४००किलोमीटर इतना समंदर किनारा प्राप्त भारत के पास यह क्षमता होना अत्यंत महत्वपूर्ण ठहरा है।

अमरिका, रशिया, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया एवं ऑस्ट्रेलिया इन देशों के पास ‘डीप सबमर्जन्स रेस्क्यू व्हेईकल’ डीएसआरव्ही है। बड़ा समंदर किनारा प्राप्त होनेवाला भारत को ‘डीएसआरव्ही’ की अत्यंत आवश्यकता थी। दुर्घटना के समय गहरे समंदर में बचाव कार्य करना पनडुब्बीओं के लिए कठिन जा सकता था। ऐसी परिस्थिति में डीएसआरव्ही से पनडुब्बियो के उपयोग के बचावकार्य के लिए अत्यंत आवश्यक होने वाली सहायता की जा सकती है।

साथ ही, अन्य महत्वपूर्ण बातों के लिए डीएसआरव्ही का उपयोग किया जा सकता है। जिसमें समुद्र के तल से केबल डालने जैसे महत्वपूर्ण बातों का समावेश है। इसीलिए डीएसआरव्ही का नौदल में समावेश भारत की क्षमता बढ़ाने वाला हो सकता है। डीएसआरव्ही मुंबई के नौदल से कार्यान्वित किया जा सकती है एवं उसका उपयोग अन्य जगह किया जा सकता है, ऐसी जानकारी दी जा रही है। नौदल के प्रवक्ता कैप्टन डी.के. शर्मा ने इस बारे में जानकारी दी है। दूसरी डीएसआरव्ही सन २०१९ में विशाखापट्टनम के अड्डे पर कार्यान्वित होने वाली है, ऐसा कैप्टन शर्मा ने कहा है।

चीन भारत के सागर क्षेत्र के पास होनेवाले उपस्थिति को देखते हुए इस स्वरूप की क्षमता भारतीय नौदल को मिलना आवश्यक बना था। इसकी तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए विश्लेषक डीएसआरव्ही का नौदल में समावेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, ऐसा कह रहे हैं। नौदल के क्षमता में बढ़ोतरी करने की व्यापक योजना का भाग होकर आनेवाले समय में भारतीय नौदल इस प्रकार की क्षमता अधिक से अधिक तादाद में विकसित करने के लिए गतिमान प्रयत्न किए जा रहे हैं, ऐसे संकेत दिए हैं।

दौरान भारत अपने नौदल की क्षमता बढाए  और पॅसिफिक महासागर क्षेत्र तक अपना प्रभाव का विस्तार किया जाए, ऐसी मांग अमरिका, ऑस्ट्रेलिया एवं जापान इन देशों से की जा रही है। भारत ने इस दिशा से कदम उठाए हैं और यह चीन को अस्वस्थ करने वाली बात ठहरी है। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय नौदल की क्षमता में होनेवाली बढ़ोतरी इंडो- पॅसिफिक क्षेत्र में संतुलन के लिए बहुत बड़ी भूमिका संपन्न करेगी, ऐसा कहा जा रहा है।

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