कुलभूषण मामले में पाकिस्तान ने सभी कानूनी मार्ग बंद किए – विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली – कुलभूषण जाधव मामले में फांसी की सज़ा के विरोध में अपील करने के लिए पाकिस्तान ने सभी कानूनी मार्ग बंद किए हैं और यह आंतर्राष्ट्रीय अदालत के निर्णय का उल्लंघन होने की आलोचना भारत ने की है। जाधव मामले में भारत ने पाकिस्तान में वक़ील की नियुक्ती की। लेकिन, संबंधित ज़रूरी कागज़ात ना होने के कारण याचिका दाखिल करना संभव नहीं हो सका, यह बात विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साझा की।

कानूनी मार्ग

पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को कानूनी सहायता प्रदान करने से इन्कार करने के कारण, भारत अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। फिलहाल इसके लिए कानूनी सलाह प्राप्त की जा रही है। भारत के सामने आंतर्राष्ट्रीय अदालत में जाने का विकल्प भी मौजूद है। जाधव को फांसी की सजा के विरोध में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने मे सहायता हों, इसलिए भारत ने पाकिस्तान के एक वक़ील की नियुक्ती की। लेकिन, इसके लिए आवश्‍यक ‘पॉवर ऑफ एटर्नी’ एवं अन्य कागज़ात हाथ में ना होने के कारण पुनर्विचार याचिका दर्ज़ करना संभव नहीं होगा, यह बात पाकिस्तान में स्थित इस वक़ील ने कही, ऐसी जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साझा की।

पाकिस्तान ने सिर्फ आयसीजे के निर्णय का ही उल्लंघन नहीं किया है, बल्कि पाकिस्तान की लष्करी अदालत के आदेशों का भी उल्लंघन किया है। जाधव को दी हुई सज़ा का जायज़ा लेने और पुनर्विचार करने के उद्देश्‍य से, २० मई के रोज़ जारी किये अध्यादेश की ओर भी अनदेखा किया गया है। जाधव को सहायता प्राप्त ना हों, इसलिए पाकिस्तान लगातार अड़ंगे पैदा कर रहा है, यह आरोप भारत ने किया।

कानूनी मार्ग

‘१९ जुलाई तक याचिका दाखिल करनी होगी, यह बात पाकिस्तान ने कही। उसके बाद, यह याचिका २० जुलाई तक दाखिल करना संभव होगा, ऐसा बताया गया। इस मामले में हल निकालने के भारत के सभी मार्ग पाकिस्तान ने बंद किए हैं। जाधव को राजनीतिक अधिकारियों से भेंट करने का अवसर प्रदान हों, यह बिनती भारत ने पाकिस्तान के सामने एक वर्ष के दौरान १२ बार की है। लेकिन, पाकिस्तान संबधित कागज़ात उपलब्ध नहीं कर रहा है और राजनीतिक अधिकारियों से भेंट करवाने में अड़ंगा निर्माण कर रहा है। १६ जुलाई के दिन भारतीय दूतावास के अधिकारियों को कुलभूषण जाधव से भेंट करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन, तब भारतीय अधिकारियों को किसी भी तरह के कागज़ात ना देने की सूचनाएँ भी होने के कारण, भारतीय अधिकारियों को उनसे ‘पॉवर ऑफ एटर्नी’ प्राप्त नहीं हो सकी, यह बात श्रीवास्तव ने साझा की।

‘आयसीजे’ ने वियन्ना समझौते का उल्लंघन करने के मामले में पाकिस्तान को दोषी करार दिया है। लेकिन, पाकिस्तान इस मामले में आंतर्राष्ट्रीय अदालत के निदेशों का पालन करने के लिए अभी तक तैयार नहीं है। पाकिस्तान ने यह अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया हुआ दिखाई दे रहा है।

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