अमरिका-ईरान युद्ध होने की संभावना बढने के स्थिति में ईरान के विदेशमंत्री भारत यात्रा पर

नई दिल्ली -अमरिका और ईरान में किसी भी क्षण युद्ध शुरू होने की संभावना बनी है और ऐसे में ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ भारत की यात्रा कर रहे है| इस दौरान उन्होंने भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज से भेंट करके बातचीत की| इस बातचीत के दौरान दोनों देशों के हितसंबंध, क्षेत्रीय स्थिति और अफगानिस्तान में जारी गतिविधियों पर प्रमुखता से बातचीत होने की जानकारी प्राप्त हो रही है| लेकिन, इस बातचीत का ब्यौरा अधिकृत स्तर पर घोषित किया गया नही है| ईरान से ईंधन खरीद रहे देशों पर कडे प्रतिबंध लगाने का ऐलान अमरिका ने किया है और इन प्रतिबंधों का अमल १ मई से शुरू हुआ है| ऐसी स्थिति में देश में हो रहे आम चुनावों के नतिजे घोषित होने पर नई सरकार ईरान के ईंधन की खरीद संबंदी निर्णय लेगी, यह भारत ने स्पष्ट किया है|

अमरिका ने अपनी विमान वाहक ‘यूएसएस अब्राहम लिंकन’ युद्धपोत, ‘बी-५२ बॉम्बर्स’ और पेट्रियॉट हवाई सुरक्षा यंत्रणा ईरान के विरोध में तैनात करने का निर्णय किया है| यह ईरान के विरोध युद्ध की तैयारी है, यह कहकर दुनियाभर के निरिक्षक इस मुद्देपर चिंता व्यक्त कर रहे है| इससे पहले अमरिका ने ईरान की ईंधन निर्यात पर कडे प्रतिबंध लगाए है और ईरान से ईंधन खरीद करनेवाले देशों को भी इन प्रतिबंधों का झटका लगेगा, यह चेतावनी भी अमरिका ने दी है| भारत के साथ अन्य देश छह महीनों के लिए ईरान से हो रही ईंधन की खरीद पूरी तरह से बंद करे, यह इशारा अमरिका ने दिया था| ईंधन की यह खरीद बंद करने के लिए अमरिका ने दिया समय १ मई के रोज समाप्त हुआ| इस वजह से अब भारत को भी अमरिकी प्रतिबंधों का झटका लग सकता है| लेकिन, अमरिकी प्रतिबंधों का विचार करके ईरान जैसे पारंपरिक मित्रदेश के साथ संबंध तोडना और ईंधन की खरीद पूरी तरह से बंद करना भारत को मुमकिन नही होगा, यह दिख रहा है|

ऐसी स्थिति में ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ भारत की यात्रा पर पहुंचे है| विदेशमंत्री सुषमा स्वराज के साथ हुई बातचीत के दौरान द्विपक्षीय हितसंबंधों का मुद्दा सबसे उपर रहा| लेकिन, दोनों देशों ने इस बातचीत का ब्यौरा जाहीर नही किया है| लेकिन, यह बातचीत ‘रचनात्मक’ रही, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था| साथ ही इस बातचीत में क्षेत्रीय स्थिति और अफगानिस्तान में जारी गतिविधियों का समावेश रहा, यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है| ईरान से ईंधन की खरीद शुरू रहेगी या अमरिकी प्रतिबंधों के कारण ईंधन का यह व्यवहार बंद होगा, इस बारे में आम चुनाव खतम होने के बाद ही निर्णय होगा, यह भारत की भूमिका है| इस वजह से फिलहाल इस मुद्दे पर भारत के किसी भी तरह का ऐलान होने की उम्मीद नही है|

भारत ने वर्ष २०१८-१९ के दौरान करीबन २.३६ करोड टन ईंधन की खरीद की थी| ईरान यह भारत को सबसे ज्यादा ईंधन की सप्लाई करनेवाला तिसरे क्रमांक का देश है|

देश में हो रही कुल ईंधन की मांग की ८० प्रतिशत मांग भारत आयात ईंधन से पूरी कर रहा है| ऐसे में ईरान के ईंधन से इन्कार करना भारत के लिए काफी कठिनाई भरा हो सकता है| इसी लिए अमरिका के प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने ईरान से ईंधन खरीद ने में कमी की है, फिर भी अगले समय में यह ईंधन खरीद पूरी तरह से बंद करना मुमकिन नही होगा, यह संदेश अमरिका को दिया है|

भारत की उर्जा जरूरतें, व्यापारी गणित और आर्थिक हिसंबंध ध्यान में रखकर ही ईरान के ईंधन को लेकर निर्णय किया जाएगा, ऐसा भारत के पेट्रोलियममंत्री धर्मेंद्र प्रधान इन्होंने घोषित किया था| इस पर अमरिका ने कडी नाराजगी व्यक्त की थी| अमरिका या ईरान इनमें से कोई एक विकल्प का चयन करें, ऐसा इशारा भी अमरिका ने ईरान के सभी ग्राहकदेशों को दिया है| इससे भारत को सहुलियत नही मिलेगी, यह भी अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने घोषित किया था|

इस बारे में भारत की विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ से फोन पर बातचीत की थी| वर्तमान में भारत में चुनाव प्रक्रिया शुरू है और ऐसी स्थिति में भारत को कोई भी निर्णय करना मुमकिन नही है, यह एहसास विदेशमंत्री सुषमा स्वराज इन्होंने अमरिकी विदेशमंत्री को दिलाया| इसी लिए चुनाव प्रक्रिया खतम होने के बाद भारत में नई सरकार आने तक अमरिका को रुकना होगा, यह निवेदन विदेशमंत्री सुषमा स्वराज इन्होंने किया था| इसपर अमरिका ने हामि भरी होने के समाचार प्राप्त हुए थे|

इस दौरान, ईरान से भारत ईंधन की खरीद ना करे, यह इशारा देनेवाली अमरिका ने भारत विकसित किए जा रहे छाबहर बंदरगाह की परियोजना ईरान पर लगाए प्रतिबंधों से बाहर रखी है| भारत ने छाबहर में किए निवेश को लक्ष्य नही किया जाएगा, यह भी अमरिका ने ईरान पर नए प्रतिबंध लगाने का ऐलान करते समय स्पष्ट किया था|

पाकिस्तान को बाजू में रखकर ईरान और अफगानिस्तान एवं सेंट्रल एशियाई देशों का बाजार भारत के लिए खुला करनेवाले छाबहर बंदरगाह का विकास करने के लिए भारत ने ५० करोड डॉलर्स निवेश की तैयारी रखी है| इस परियोजना की वजह से भारत के अफगानिस्तान एवं सेंट्रल एशियाई देशों के साथ शुरू व्यापार रोकने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान की भौगोलिक अहमियत कम होगी, ऐसा कहा जा रहा है|

इस परियोजना के लिए भी भारत को ईरान के साथ बने संबंध बरकरार रखना जरूरी है| इस पृष्ठभूमि पर अगले कुछ हफ्तों में भारत की ईरान संबंधी तय की गई नीति काफी अहम साबित होगी| ईरानी विदेशमंत्री ने की भारत यात्रा यही रेखांकित करनेवाला साबित होगा|

Leave a Reply

Your email address will not be published.