पाकिस्तान की गिरावट रोकने के लिए प्रधानमंत्री इम्रान खान का जनता से निवेदन

इस्लामाबाद – ‘पाकिस्तान में काफी कम मात्रा में कर जमा हो रहा है| इसमें से आधी रकम पाकिस्तान ने लिए कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च होती है| बाकी रकम में देश कैसे चलाएंगे?’, यह सवाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने जनता के सामने रखा है| पाकिस्तानी जनता करों की चोरी ना करें और कर भरें, यह निवेदन प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किया है| वह यह निवेदन कर रहे थे, तभी पाकिस्तान का रुपया गिरावट के नए मुकाम हासिल कर रहा है| शनिवार के दिन डॉलर की तुलना में पाकिस्तान के रुपये की किमत १६४ हुई थी|

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था संभालने के लिए इम्रान खान की सरकार पूरी तरह नाकाम हुई है| रुपये की गिरावट शुरू होते हुए प्रधानमंत्री इम्रान खान पहले की सरकार ने किए भ्रष्टाचार के कारण देश पर यह संकट बना है, यह आरोप कर रहे है| लेकिन, इस सरकार की करतूत पहले की सरकारों से भी ज्यादा खराब होने की भावना पाकिस्तानी जनता के मन में है| पाकिस्तान के माध्यम भी प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किए निवेदन का मजाक उडा रहे है| जनता पर करों की चोरी करने का आरोप थोंप कर इम्रान खान अपने आप को छुडा रहे है, यह आरोप कुछ विश्‍लेषकों ने किया है|

पाकिस्तान में किसी भी संकट को शिकस्त देने के लिए लष्कर को बुलाया जाता है| इस आर्थिक संकट में भी पाकिस्तान की यह परंपरा बरकरार रही है और इम्रान खान ने आर्थिक संकट से रास्ता निकालने के लिए गठित की हुई समिती में लष्करप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को भी शामिल किया है| पाकिस्तानी सेना ने आर्थिक संकट से निकलने का रास्ता खोजने के लिए हाल ही में एक परिषद का आयोजन किया था| लष्करप्रमुख बाजवा ने देश के सामने खडी यह आर्थिक चुनौती स्वीकारने के लिए सभी लोग अपनी जिम्मेदारी निभाए, यह मांग की| साथ ही आर्थिक अव्यवस्थापन के चलते देश के सामने यह संकट खडा होने का दावा लष्करप्रमुख बाजवा ने किया|

कुछ समय पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने बेहिसाब संपत्ति का ऐलान करने का अवसर प्रदान किया था| इसके तहेत कर भरें और खुद को रिहा करें, यह प्रस्ताव इम्रान खान ने जनता को दिया था| इसे ज्यादा समर्थन ना मिलने से पाकिस्तान की सरकार निराश होती दिख रही है| इसीलिए संपत्ति घोषित करने के लिए दी गई समय सीमा बढाने का ऐलान भी इम्रान खान ने एक समाचार चैनल से किया| उसके बाद लष्करप्रमुख ने पाकिस्तानी जनता से किया ‘जिम्मेदारी’ का निवेदन कुछ अलग ही संकेत दे रहा है|

अगले दौर में कर्ज चुकाना और देश चलाने के लिए पाकिस्तान की सरकार को कडे आर्थिक निर्णय करने होंगे| लेकिन, ऐसा करने पर देश की जनता इसपर कडी प्रतिक्रिया दर्ज कर सकती है| ऐसे में पाकिस्तान और भी अस्थिर होगा, यह डर पाकिस्तान की सेना को सता रहा है| इसी लिए आर्थिक मोर्चेपर ध्यान देने की नौबत पाकिस्तानी सेना पर आ गिरी है और यह प्रधानमंत्री इम्रान खान के लिए काफी बडा झटका है|

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