भारत के अध्यक्षपद के कार्यकाल में सुरक्षा परिषद में महत्वपूर्ण बातें सामने आईं – राजदूत तिरुमूर्ति का दावा

संयुक्त राष्ट्रसंघ – संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में भारत के अध्यक्षपद की कालावधी खत्म हुई है।‘ इस एक महीने की कालावधि में अत्यंत अहम अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भारत को सफलता मिली। इनमें अफगानिस्तान का भी मुद्दा था’, ऐसा राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत के राजदूत ने कहा है। अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों के कारनामों पर गंभीर चिंता ज़ाहिर करके, यह मुद्दा भारत ने सुरक्षा परिषद में उपस्थित किया था। चीन और रशिया यह देश इस समय अनुपस्थित रहे थे। फिर भी इस मुद्दे पर भारत को सफलता मिली दिख रही है।

अफगानिस्तान की सत्ता तालिबान हस्तगत करते समय भारत सुरक्षा परिषद के अध्यक्षस्थान पर था। इसका फायदा उठाकर भारत ने अफगानी जनता की सुरक्षा और अफगानिस्तान की स्थिरता का मुद्दा सुरक्षा परिषद में प्रस्तुत किया। इसके साथ ही, आतंकवाद तथा सागरी सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने चर्चा आयोजित की थी। इससे पाकिस्तान और चीन बेचैन हुए थे। वहीं, अमरीका और अन्य देशों ने, भारत ने इसके लिए की पहल का स्वागत किया।

ठेंठ नामोल्लेख टालकर भारत ने आतंकवाद का पुरस्कार करने वाले देशों पर सख्त कार्रवाई की माँग का समर्थन किया। उसे प्रतिसाद भी मिला था। इन सारी बातों का हवाला देकर संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त भारत के राजदूत तिरुमूर्ति ने, भारत के अध्यक्ष पद की कालावधि में काफी कुछ हासिल हुआ, ऐसा कहा है। इसी बीच, ‘लश्कर-ए-तोयबा’ और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ यह आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान की अस्थिरता का इस्तेमाल करके आतंकवाद मचाने का खतरा भी भारत ने सुरक्षा परिषद में रखा था।

इस पर आयोजित की चर्चा में चीन और रशिया ये देश अनुपस्थित रहे। इस मोरचे पर चीन का असहयोग अपेक्षित ही था। लेकिन रशिया जैसे मित्र देश ने इस मुद्दे पर भारत का साथ नहीं दिया यह गौरतलब बात है, ऐसा कुछ विश्लेषकों का कहना है। लेकिन फिलहाल अफगानिस्तान में अपने हितसंबंध महफूज रखने के लिए रशिया को पाकिस्तान का सहयोग आवश्यक प्रतीत हो रहा है। इसके लिए रशिया पाकिस्तान के साथ संबंध बढ़ा रहा होने के दावे किए जाते हैं। इसी कारण, भारत और रशिया के संबंधों पर उसका कुछ खास असर नहीं होगा, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

इस अध्यक्षपद का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तान के विरोध में किया। अफगानिस्तान के संदर्भ में चली चर्चा में तो भारत ने पाकिस्तान को सहभागी भी नहीं होने दिया, ऐसी शिकायत पाकिस्तान द्वारा की जाती है। इसका बहुत बड़ा विपरित असर पाकिस्तान की अन्तर्राष्ट्रीय छवि पर हुआ, ऐसा खेद पाकिस्तान के माध्यम ज़ाहिर कर रहे हैं।

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