यूरोप की लष्करी बुनियाद माने जाने वाले ऐतिहासिक रक्षा सहकार्य अनुबंध पर २३ यूरोपीय देशों के हस्ताक्षर

ब्रुसेल्स: यूरोपीय महासंघ की स्वतंत्र लष्कर की बुनियाद साबित हो सकता है, ऐसे ऐतिहासिक रक्षा अनुबंध पर २३ यूरोपीय देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस अनुबंध के अनुसार दिसम्बर महीने से ‘यूरोपियन डिफेन्स फंड’ कार्यरत होने वाला है और रक्षा क्षमता बढाने के लिए संयुक्त लष्करी परियोजनाओं को शुरू किया जाने वाला है। सोमवार को हुआ यह अनुबंध यूरोपीय महासंघ के कार्यकाल का ‘ऐतिहासिक क्षण’ है ऐसी प्रतिक्रिया महासंघ की विदेश प्रमुख फेडरिका मोघेरिनी ने दी है। यूरोपीय महासंघ के प्रमुख सदस्य देश जर्मनी और फ़्रांस ने करीब सात दशक पहले यूरोपीय देशों के लष्करी सहकार्य की संकल्पना रखी थी।

ऐतिहासिक रक्षा अनुबंध

पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, ऐसे में यूरोपीय महासंघ में स्वतंत्र यूरोपीय लष्कर की मांग जोर पकड़ रही थी। सन २०१६ में ब्रिटेन ने ‘ब्रेक्झिट’ के लिए दी हुई सहमति और अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प का हुआ चुनाव इसके बाद इस मामले में कोशिशों को गति प्राप्त हुई थी। फ़्रांस और जर्मनी ने इसके लिए विशेष पहल की थी। यूरोपियन कमीशन के प्रमुख जीन क्लोड जंकर और विदेश विभाग के प्रमुख फेडरिका मोघेरिनी ने भी उसका जोरदार समर्थन किया था।

जून महीने में हुई बैठक में, यूरोपीय महासंघ ने यूरोपीय देशों की रक्षा सिद्धता बढाने के लिए महत्वाकांक्षी ‘यूरोपियन डिफेन्स फंड’ की घोषणा की थी। यूरोपीय देशों के बिच रक्षा सहकार्य बढाने की प्रक्रिया का यह महत्वपूर्ण पड़ाव वाला निधि कार्यरत करने के लिए सदस्य देशों की सहमती आवश्यक थी। उसके लिए सोमवार को ब्रुसेल्स में सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में, यूरोपीय देशों के बिच लष्करी सहकार्य को बढ़ावा देने वाले ‘पर्मनंट स्ट्रक्चर्ड कोऑपरेशन’ (पेस्को) अनुबंध पर २३ सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।

ब्रिटेन यूरोपीय महासंघ से बाहर निकलने वाला है, इस वजह से ब्रिटेन का इस अनुबंध में समावेश नहीं है। डेनमार्क ने इसमें समावेश न होने का विकल्प इसके पहले ही महासंघ को भेजा था। उसके अलावा पुर्तगाल, आयरलैंड और माल्टा इन देशों ने अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। लेकिन सदस्य देशों के पास बाद में भी इस अनुबंध में शामिल होने का मौका है, यह जानकारी विदेश प्रमुख फेडरिका मोघेरिनी ने दी है। दिसम्बर महीने से यह अनुबंध लागू होने वाला है और सदस्य देशों ने रक्षा सहकार्य से संबंधित ५० से अधिक परियोजनाएं महासंघ को प्रस्तुत करने की बात स्पष्ट हुई है।

‘ट्रम्प अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद हम यूरोपियन्स के तौर पर स्वतंत्र रूप से संघटित बन सके, यह हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बात है। नाटो को पूरक के तौर पर हम कार्यरत रहने वाले हैं। लेकिन उसी समय यूरोप के पास सुरक्षा की दृष्टिकोण से निर्माण हुई हमारी समस्याओं को हमें ही सुलझाना है, इसका भी यूरोपीय देशों को एहसास है’, ऐसी प्रतिक्रिया जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला व्हौन डेर लेयन ने दी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढ़ रहा है, ऐसे में यूरोपीय देशों ने एक होकर सहकार्य करने का निर्णय लिया है, इन शब्दों में फ्रेंच रक्षा मंत्री ने इस अनुबंध का समर्थन किया है।

इस अनुबंध को स्वतंत्र यूरोपियन आर्मी की दिशा में रखा हुआ महत्वपूर्ण कदम के तौर पर पहचाना जा रहा है। नाटो यूरोपीय देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहा है, ऐसे में स्वतंत्र यूरोपियन आर्मी की आवश्यकता नहीं है, इन शब्दों में ब्रिटेन ने इस प्रस्ताव को हमेशा विरोध किया था।

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