‘जीएसटी’ की दरें तय हुईं होने का केंद्रीय अर्थमंत्री का ऐलान

नवी दिल्ली, दि. ३ (पीटीआय) – अगले वित्तीय वर्ष से ‘वस्तु एवं सेवा कर’ विधेयक (जीएसटी) लागू करने के लिए केंद्रीय स्तर पर ज़ोरदार कोशिशें हो रही हैं और गुरुवार को केंद्रीय अर्थमंत्री द्वारा ‘जीएसटी’ दर निश्‍चित करने का ऐलान किया गया| ‘जीएसटी कौन्सिल’ में इन दरों को मंजुरी दी गई है और खाद्यान्न और आम आदमी द्वारा इस्तेमाल की जानेवालीं ५० प्रतिशत ग्राहकोपयोगी वस्तुओं पर कोई भी कर नहीं लगेगा| इस वजह से महँगाई पर काबू पाया जायेगा, ऐसा विश्‍वास केंद्रीय अर्थमंत्री अरुण जेटली ने व्यक्त किया है|

‘जीएसटी’अगस्त महिने में, मॉन्सून सत्र में संसद के दोनों सभागृहों में ‘जीएसटी’ को मंजुरी मिली थी| अगले वित्तीय वर्ष से ‘जीएसटी’ लागू करने के लिए सरकार ने तेज़ी से कदम उठाए थे| ‘जीएसटी’ के दर तय करने के लिए ‘जीएसटी कौन्सिल’ की स्थापना सितंबर में की गई थी| इस ‘जीएसटी कौन्सिल’ को ६० दिन के समय में दरें तय करने की सूचना की गई थी| इसके अनुसार ‘जीएसटी कौन्सिल’ की बैठक में ‘जीएसटी’ के दरों का निर्णय लिया गया है|

‘जीएसटी कौन्सिल’ ने दरों के चार स्तर निश्‍चित किए हैं| इसके अनुसार खाद्यान्न और आम आदमी के द्वारा, सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जानेवालीं ग्रहाकोपयोगी वस्तुओं में से ५० प्रतिशत वस्तुओं पर कर नहीं लगाया जायेगा| साथ ही, कुछ वस्तूओं पर ५ प्रतिशत कर लगाया जायेगा| इसी के साथ, सेवा और वस्तुओं पर १२ और १८ प्रतिशत इतना कर लगाया जायेगा|

साथ ही फ्रिज, ऐसी, वाहन इन वस्तुओं पर २८ प्रतिशत इतना कर लगाया जायेगा| फिलहाल इन वस्तुओं पर वॅट के साथ सारे कर मिलाकर ३१ से ३३ प्रतिशत इनका कर देना पडता है| इन करों का बोझ अब कम होनेवाला है| इसी के साथ तंबाकू, महँगी कार, मद्य इनपर जीएसटी के अलावा उपकर लगाने का फ़ैसला किया गया है|

पिछले महीने ‘जीएसटी कौन्सिल’ की बैठक हुई थी| इस बैठक में, राज्यों को महसूल का मुआवज़ा देने के साथ ‘जीएसटी’ के बारे में भी चर्चा की गई थी| ‘जीएसटी’ की वजह से राज्यों के महसूल में गिरावट होनेवाली है, इस कारण केंद्र सरकार ने, जिन राज्यों के महसूल में गिरावट होगी, उनको अगले पाँच साल तक मुआवज़ा देने की घोषणा इससे पहले भी की थी| इस घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को ५० हज़ार करोड़ रुपये खर्च करने पड सकते हैं|

‘जीएसटी’ की वजह से देशभर में करसंरचना और आसान होनेवाली है| भारत इस तरह करसंरचना में सुधार लायें, ऐसी माँग विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही थी| यह माँग पुरी करने के बाद भारत का विदेशी निवेश बढ़ सकता है; इस वजह से भारत के रोज़गारों में बढ़ोतरी होगी और इसके चलते, देश में उच्च टेक्नॉलॉजी भी आसानी से आयेगी, ऐसा विश्‍वास जताया जा रहा है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.