अगले वित्तीय वर्ष से जीएसटी लागू

नयी दिल्ली, दि. ४ (वृत्तसंस्था) – ‘वस्तु एवं सेवा कर विधेयक’ राज्यसभा में मंज़ूर होने पर खुशी जताते हुए, ‘यह लोकतंत्र की विजय है’ ऐसी प्रतिक्रिया केंद्रीय वित्तमंत्री अरूण जेटली ने दी| गुरुवार को वित्तमंत्री ने पत्रकार परिषद लेकर १ अप्रैल २०१७ से सरकार ‘जीएसटी’ लागू करेगी ऐसा स्पष्ट किया| ‘जीएसटी लागू होने के बाद देश में एक जैसी कर प्रणाली शुरू होगी| इससे देश में व्यापार करना और भी सुलभ होगा, विदेशी निवेश बढ़ेगा और अन्य टैक्स का बोझ कम होने से उत्पादनों की क़ीमतें घटकर जनता को इसका बहुत बड़ा लाभ होगा’ ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री ने स्पष्ट किया|

jately- जीएसटीबुधवार को राज्यसभा में सात घंटे चले, दीर्घकालीन चर्चासत्र के बाद ‘जीएसटी’ विधेयक को मंज़ुरी मिली थी| राज्यसभा में मंज़ूर हुआ यह विधेयक ‘घटनासुधार विधेयक’ है, इसलिए इसे पुन: लोकसभा में मंज़ुरी के लिए भेजा जाएगा| इसमें कर-निर्धारण का मसूदा निश्‍चित करने के लिए अगले साठ दिनों में ‘जीएसटी काऊन्सिल’ की स्थापना होनेवाली है, ऐसा सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है| देश में अबतक के सबसे बड़े कर-सुधार के रूप में ‘जीएसटी’ की तरफ़ देखा जा रहा है और यह केंद्र सरकार की सबसे बड़ी विजय मानी जा रही है|
गुरूवार को मीडिया से बात करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने, १ अप्रैल २०१७ से ‘जीएसटी’ लागू करने का लक्ष्य रखा है, ऐसा कहा| राज्यों की आय के विषय की चिंता ध्यान में रखकर कर प्रणाली का नया ढ़ाँचा निश्‍चित किया जाएगा, ऐसा जेटली ने कहा| यह विधेयक लागू करने से पहले कम से कम सोला राज्यों की मंज़ुरी लेना अत्यावश्यक है| अगले महीने तक कम से कम सोला राज्य इस विधेयक को मंजुरी देंगे, ऐसा विश्‍वास जेटली ने जताया है|

‘जीएसटी’ से महँगाई पर किसी प्रकार का विपरित असर नहीं होगा| उलटा, ‘जीएसटी’ लागू होने के बाद महँगाई कम ही होनेवाली है| कुछ वस्तुओं की क़ीमतें अवश्य बढ़ेंगी, लेकिन कुछ वस्तुओं की क़ीमतें कम होनेवाली हैं| टैक्स कम हो जाने से अपने-आप वस्तुओं की क़ीमतें कम होतीं दिखायी देंगी, ऐसा भरोसा जेटली ने जताया| ‘जीसएटी’ तक़रीबन १८ से २० प्रतिशत रहेगा, इससे महँगाई पर कोई भी असर नहीं होगा, ऐसा केंद्रीय अर्थसचिव अशोक लवासा ने स्पष्ट किया| राज्यसभा में मंजूर हुए ‘जीएसटी’ घटनादुरुस्ती विधेयक में जीएसटी की क़ीमतों का ज़िक्र नहीं है| ये क़ीमतें ‘जीएसटी काऊन्सिल’ निश्‍चित करेगी| इस काऊन्सिल में केंद्र एवं राज्य सरकार के दो प्रतिनिधी रहेंगे, ऐसी जानकारी लवासा ने दी|

बुधवार को राज्यसभा में हुए चर्चासत्र के बाद, जीएसटी के लिए वोटिंग करने उपस्थित सभी विधायकों ने अपना वोट दिया था| ‘जीएसटी’ के समर्थन में १९७ वोट पड़े थे|

सन २००३ में पहली बार ‘जीएसटी’ की संकल्पना रखी गई थी| उसके बाद संसद में इसपर कई बार चर्चा भी हुई थी| सन २०११ में ‘जीएसटी’ विधेयक संसद में रखा गया| लेकिन कई मुद्दों पर विरोध रहने से इस विधेयक को मंज़ुरी नहीं मिली थी| सन २०१४ में इस विधेयक को लोकसभा में मंज़ुरी मिली| तभी से यह विधेयक राज्यसभा की मंजुरी के लिए अटका हुआ था| केंद्र सरकार एवं विरोधी पार्टियों में हुई प्रदीर्घ चर्चा के बाद, समझौता होकर ‘जीएसटी’ का मार्ग खुल गया है|

‘वस्तु एवं सेवा कर’ के विषय में


‘जीएसटी’ यानी ‘वस्तु एवं सेवा कर’, अपने इस नाम के समान ही, वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होनेवाला है। करों में ‘प्रत्यक्ष’ और ‘अप्रत्यक्ष’ ऐसे दो कर रहते हैं| ‘प्रत्यक्ष’ कर में, आयकर और सीधे करदाताओं से लिये जानेवाले अन्य करों का समावेश है| वहीं, अप्रत्यक्ष कर ग्राहक की जेब से अप्रत्यक्ष रूप में लिया जाता है| इसमें विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर ग्राहक को कर लगता है| इसमें हॉस्पिटल सेवा के साथ मनोरंजन जैसी सेवाओं का समावेश रहता है| इसके अलावा वस्तुओं पर केंद्रीय उत्पादन शुल्क, अतिरिक्त अबकारी शुल्क, सीमा शुल्क, केंद्रीय अधिभार जैसे उपकर भी ग्राहकों पर लादे जाते हैं|

इसीके साथ, राज्य सरकारें भी ग्राहकों से कई शुल्क वसूल करती हैं| इसमें, राज्यों द्वारा लागू किया जानेवाला मूल्यवर्धित कर (वैट), बिक्री कर, लॉटरी, जुआ और सट्टेबाज़ों पर का टैक्स, विलासी वस्तुओं पर का टैक्स, खरेदी टैक्स का समावेश होता हैं| इसके अलावा स्थानिक स्वराज्य संस्थाएँ जकात, प्रवेश कर, लोकल बॉडी टैक्स (एलबीटी) जैसे टैक्स भी वसूल करती हैं| यह सभी टैक्स ग्राहक के जेब से जानेवाले ‘अप्रत्यक्ष टैक्स’ होते हैं| वस्तु की क़ीमत उसपर आवश्यक टैक्स लगाकर निश्‍चित की जाती है| अंदाज़न् राज्य एवं केंद्र सरकार के टैक्स की रकम उत्पादन एवं वस्तुओं की क़ीमतों के ३० से ५० प्रतिशत होती है|

इसलिए भारतीय ग्राहक और उत्पादकों का हित ध्यान में रखकर ‘जीएसटी’ जैसे टैक्स की आवश्यकता व्यक्त की जा रही है| ‘जीएसटी’ का कर-निर्धारण तक़रीबन १८ प्रतिशत रहने की संभावना है| जिस वस्तु एवं सेवा पर कुल १८ प्रतिशत से अधिक टैक्स लगता है, उनकी क़ीमतें ‘जीएसटी’ लागू होने के बाद निश्‍चित रूप में घटनेवाली हैं| इसके साथ, कम क़ीमतें रहनेवाली वस्तु एवं सेवा पर लगनेवाले टैक्स बढ़ने के आसार हैं|

सिर्फ़ शराब और पैट्रोलियम वस्तूओं को ‘जीएसटी’ की कक्षा से बाहर रखा गया है| लेकिन कुछ समय बाद, सर्वेक्षण करते हुए पैट्रोलियम पदार्थों को भी ‘जीएसटी’ में लिया जा सकता है|

 

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