कोरोना की दूसरी लहर के डर से सोने के दरों में बढ़ोतरी

लंडन/न्यूयॉर्क – कोरोना संक्रमण को क़ाबू में लाया होने का दावा करनेवाले चीन तथा दक्षिण कोरिया में पुन: नये मरीज़ पाये गए हैं। इन मरीज़ों के कारण कोरोना संक्रमण की ‘सेकंड व्हेव’ यानी दूसरी लहर आने का डर पैदा हुआ होकर, उसकी गूँजें जागतिक अर्थव्यवस्था में उठीं है। गुरुवार को सोने के दरों में पुन: उछाल आया होकर, वे १७२५ डॉलर्स प्रति औंस पर पहुँच चुके हैं। पिछले ही महीने अमरीका की एक बँक ने, सन २०२१ के अन्त तक सोने के दर प्रति औंस तीन हज़ार डॉलर्स तक पहुँचेंगे ऐसा अनुमान ज़ाहिर किया था।

कोरोना महामारी का मूलस्थान होनेवाले चीन ने इस महामारी पर विजय हासिल की होने का दावा किया था। चीन का पड़ोसी देश होनेवाले दक्षिण कोरिया ने भी महामारी को नियंत्रण में लाया होने की घोषणा की थी। लेकिन गत कुछ दिनों में दोनों देशों में कोरोना के नये मरीज़ पाये गए हैं। इस घटना के बाद, कोरोनावायरस की महामारी फिर से उछलेगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

इस डर की गूँजें आंतरराष्ट्रीय मार्केट में सुनायी देने की शुरुआत हुई है। गुरुवार को दुनिया के विभिन्न शेअरबाज़ारों में गिरावट होने की शुरुआत हुई। उसी समय, सोने के दरों में बढ़ोतरी हुई होकर, प्रति औंस १७२५ डॉलर्स से व्यवहार दर्ज़ किये गए। पिछले हफ़्ते हुई गिरावट के बाद यह सर्वोच्च स्तर माना जाता है।

गत वर्ष में सोने के दरों में ३० प्रतिशत से अधिक उछाल देखा गया था। उसके बाद विभिन्न विश्लेषक और कंपनियों ने यह चेतावनी दी थी कि सोने के दर इस साल के अन्त तक दो हज़ार डॉलर्स तक पहुँच जायेंगे। वहीं, इस साल की शुरुआत से सोने के दामों में १२ प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी हुई है। कोरोना की महामारी की वजह से ठंड़ी पड़ गयी अर्थव्यवस्था और डर के माहौल के चलते, निवेशकारों का सोने की तरफ़ होनेवाला रूझान क़ायम रहने के संकेत मिल रहे हैं।

‘बँक ऑफ अमरीका’ ने पिछले महीने जारी की हुई एक रिपोर्ट में, सन २०२१ के अन्त तक सोने के दरों में बढ़ोतरी क़ायम रहने का अनुमान जताया है। कोरोना की महामारी के कारण विभिन्न देशों की मध्यवर्ती बँकों द्वारा बड़े पैमाने पर वित्तसहायता घोषित होने की संभावना है। उससे ब्याजदरों में भारी कटौती होगी और उसके परिणामस्वरूप सोने में निवेश बढ़ेगा, ऐसा रिपोर्ट में बताया गया है।

इसी बीच, कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर, कई देशों का सोने में निवेश बढ़ रहा है, ऐसा भी सामने आया है। रशिया की मध्यवर्ती बँक ने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा १९.५ प्रतिशत तक ले जाने की जानकारी दी है। भारत की ‘रिझर्व्ह बँक’ ने २०१९-२० इस आर्थिक वर्ष में ४० टन से भी अधिक सोने की खरीद की है। उसमें जनवरी से मार्च इस कालावधि में खरीदे हुए ६.८ टन सोने का भी समावेश है।

रशिया और भारत के साथ ही, ‘संयुक्त अरब अमिरात’ (यूएई) ने सात टन; वहीं, कझाकस्तान ने २.८ टन और उझबेकिस्तान ने २.२ टन सोने की खरीद की होने की जानकारी ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ ने दी है।

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