‘युरोपियन स्प्रिंग’ से जर्मनी-फ्रान्स के गठबंधन का अन्त होगा – इटली के उपप्रधानमंत्री मॅटिओ सॅल्व्हिनी की चेतावनी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तर

वार्सा – युरोप में हमेशा सभी लोग फ्रान्स-जर्मनी के गठबंधन के बारे में बोलते है| लेकिन हम युरोप में नई ऊर्जा और नया संतुलन बनाने की तैयारी कर रहे है| इस नए ‘युरोपियन स्प्रिंग’ के लिए पोलंड और इटली पहल करेगा| यह युरोपियन मुल्यों का सच मे पुनर्जन्म होगा, इन शब्दों में इटली के उपप्रधानंमत्री मॅटिओ सॅल्व्हिनी इन्होंने युरोप के नए क्रांतिकारी बदलावों के संकेत दिए| साथ ही नए बदलाव ‘फ्रान्स-जर्मनी’ के स्थापित गठबंधन का अन्त करेगी, यह कडी चेतावनी भी उन्होंने दी|

युरोप में आनेवाले मई महीने में युरोपीय संसद का चुनाव होगा| यह चुनाव युरोपीय महासंघ में वर्तमान में कार्यरत और स्थापित व्यवस्था एवं पिछले कुछ वर्षों में उभरे दक्षिणी, राष्ट्रवादी गुटों के बीच अंतिम संघर्ष रहेगा, यह माना जा रहा है| पिछले वर्ष हुई अलग अलग घटनाओं से युरोप में दक्षिणी, राष्ट्रवादी विचारधारा जोर पकड रही है और उसे बडी तादात में समर्थन प्राप्त होता स्पष्ट हुआ है| वर्तमान में इटली की सरकार उसकी स्पष्ट मिसाल मानी जाती है|

सिर्फ इटली ही नही, बल्कि जर्मनी, फ्रान्स, हंगेरी, स्पेन, ऑस्ट्रिया जैसे प्रमुख युरोपीय देशों में भी दक्षिणी, राष्ट्रवादी गुटों का सफलता प्राप्त हो रही है और वह एक होने की प्रक्रिया भी शुरू हुई है| इटली के उपप्रधानमंत्री मॅटिओ सॅल्व्हिनी इन्होंने पोलंड को दी भेंट उसी का हिस्सा माना जाता है| पोलंड में वर्तमान की ‘लॉ ऍण्ड जस्टिस पार्टी’ की सरकार का युरोपीय महासंघ के साथ लगातार संघर्ष हो रहा है और पोलंड ने महासंघ की कई नीतिओं पर स्पष्ट तौर पर नाराजगी व्यक्त की है|

पोलंड की राजधानी वार्सा में सॅल्व्हिनी इन्होंने पोलंड के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री जोआकिम ब्रुडझिन्स्की इनसे भेंट की| इस दौरान ब्रुडझिन्स्की इन्होंने इटली ने शरणार्थियों के विरोध में अपनाई नीति की प्रशंसा की| पोलंड भी शरणार्थियों के विरोध में अपनी सीमा अधिक सुरक्षित रखने के लिए जोर दे रहा है, यह गवाही पोलंड के अंतर्गत सुरक्षा मंत्री ने दी| सॅल्व्हिनी इन्होंने पोलंड ने किए समर्थन पर आभार जताकर, आनेवाले जून महीने में एक नया युरोप जन्म लेगा और उसकी गति वर्तमान की युरोप से अलग रहेगी, यह संकेत दिए|

युरोपीय महासंघ में २७ देश शामिल है, फिर भी महासंघ के निर्णय और नीति निर्धारित करने में जर्मनी और फ्रान्स इन दो देशों का वर्चस्व दिखाई देता है| जर्मन चान्सेलर अँजेला मर्केल इन्होंने शरणार्थियों के संबंधी किया निर्णय, ‘बेलआऊट’ की नीति, युरोपियन आर्मी का प्रस्ताव इन जैसी घटना उसका समर्थन करने वाली साबित हुई है| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन यह मर्केल के समर्थक है और महासंघ को ‘सुपरस्टेट’ करने के लिए दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया है, यह माना जाता है|

युरोप के स्थापित नेतृत्व का चेहरा बने मर्केल-मॅक्रॉन के साथ उनकी नीति को महासंघ से प्राप्त हो रही चुनौतियां बढ रही है| एक समय पर महासंघ के शीर्ष देशों में शामिल रहे इटली, ऑस्ट्रिया, पोलंड इन जैसे देशों में हो रहे राजनीतिक बदलाव इसी के स्पष्ट संकेत देनेवाले है| इस पृष्ठभुमि पर सॅल्व्हिनी इन्होंने ‘युरोपियन स्प्रिंग’ के संबंधी दिया इशारा ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित होता है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.