जर्मनी पर आर्थिक संकट आ सकता है- जर्मनी के उद्योजक एवं विश्लेषकों का दावा

बर्लिन: जर्मनी की वित्त व्यवस्था में फिलहाल अच्छी वृद्धि हो रही है, पर यह झुकाव अधिक समय पर नहीं टिकेगा। जर्मनी की वित्त व्यवस्था आने वाले समय में गिर सकती है, ऐसा दावा जर्मनी के उद्योजक एवं विश्लेषकों ने किया है। उस समय कुछ उद्योजको ने सन २००८ वर्ष के आर्थिक मंदी की याद दिलाई है। कुछ दिनों पहले जर्मनी के पत्रकारों ने देश की वित्त व्यवस्था में अनिश्चितता होने का दावा किया था।

आर्थिक संकट

जर्मनी की वित्त व्यवस्था में पिछले वर्ष २०१६ मे २ प्रतिशत बढ़त हुई थी। २०११ वर्ष के बाद पहली बार जर्मनी की वित्त व्यवस्था में इतनी बढ़त होने का दावा किया जा रहा है। इस विकास की वजह से जर्मनी में कुशल कर्मचारीयों की मांग बढ़ रही है, ऐसा स्पष्ट कहा जा रहा है। साथ ही अन्य प्लास्टिक, रसायन, निर्माण क्षेत्र, में साहित्य की मांग बढ़ती जा रही है। पर जर्मनी में मांग की तरह उत्पाद बढ़ाना, आसान न होने का दावा विश्लेषक और उद्योजक कर रहे हैं।

जर्मनी की वित्त व्यवस्था में सकारात्मकता अधिक समय पर नहीं टिकेगी, ऐसा दावा उद्योजक राल्फ शेलेस्मनने किया है। सन २००८ वर्ष में ऐसे प्रकार की वित्त व्यवस्था में सकारात्मक दिखाई दी थी, पर आगे चलकर क्या हुआ यह हम सभी जानते हैं, ऐसा कहकर राल्फने वित्त व्यवस्था के भविष्य पर चिंता व्यक्त की है। तथा डेका बैंक के वित्तीय तज्ञ एंड्रेस शुअरले ने भी जर्मन वित्त व्यवस्था में बढ़त आने वाले समय को खतरा हो सकती है, ऐसा कहा है। वित्त व्यवस्था में इस वृद्धि के साथ संकट के बीज बोये हैं, ऐसा इशारा स्टेफन कृथस इस विश्लेषक ने दिया है।

ब्रेक्झिट से जर्मन वित्त व्यवस्था को फायदा होगा, ऐसा दावा जर्मनी के कुछ विश्लेषक कर रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में तंगी का वातावरण होने की वजह से चलन मांग की समस्या बढ़ सकती है। पर उसका बड़ा परिणाम जर्मनी की वित्त व्यवस्था पर न होने की बात कुछ विश्लेषकों ने कही है। पर जर्मनी के कुछ विश्लेषको को छोड़कर पत्रकार, प्रसार माध्यमों का बड़ा वर्ग आर्थिक संकट के दावे कर रहा है। २ हफ्ते पहले जर्मनी के पत्रकारों ने जर्मनी की वित्त व्यवस्था के सामने बड़े आवाहन होने का इशारा दिया था।

जर्मनी में सार्वत्रिक चुनाव के निर्णय के महीने बाद भी जर्मनी की सरकार स्थापित नहीं हुई हैं। तथा चांसलर एंजेला मर्केल और सरकार स्थापना के लिए तैयार होने वाली एएफडी इस पक्ष में एकमत नहीं है। शरणार्थियों के मुद्दे पर दोनों गटो में तीव्र नाराजगी का वृत है। शरणार्थीयों के झुंड जर्मनी की वित्त व्यवस्था पर तनाव बढ़ा रहे हैं, ऐसा आरोप एएफडी कर रहे हैं। पर मर्केल इनको यह दावा मंजूर नहीं। शरणार्थियों के इस नीति पर वह कायम है। इस राजनीतिक विसंवाद का आर्थिक परिस्थिति पर परिणाम हो सकता है, ऐसी चिंता विशेषज्ञों से की जा रही है। फिर भी शरणार्थियों को आश्रय देने जैसे महत्वपूर्ण विषय पर अभी भी जर्मनी में राजनीतिक एकमत नहीं हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.