जर्मनी में सत्तारूढ पक्ष चांसलर एंजेला मर्केल इनकी शरणार्थियों के लिए तय नीति पर पुनर्विचार करेगा

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बर्लिन – जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल इन्होंने तीन महीने पहले शरणार्थियों के विषय में अपनाई विवादित ‘ओपन डोअर पॉलिसी’ पर शुरू चर्चा बंद होने चाहिए यह मांग की थी| लेकिन मर्केल इनकी इस मांग को जर्मनी का सत्तारूढ ‘ख्रिश्‍चन डेमोक्रॅटिक युनियन’ पक्ष ने झटका दिया है| पिछले कई वर्ष मर्केल इनके पकड में रहे इस पक्ष ने शरणार्थियों के विषय में अपनाई नीति और पिछले कुछ वर्षों से इस पर हो रहे अमल की व्यापक स्तर पर समीक्षा करने का ऐलान किया है|

जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल इन्होंने २०१५ में युरोप में घुसपैठ करने वाले शरणार्थियों के लिए अपने देशों के दरवाजे खुले होने का ऐलान किया था| चांसलर मर्केल इनके इस एक तरफा ऐलान के तीव्र परिणाम युरोपीय देशों में उमडे थे| इस ऐलान के बाद युरोपीय देशों में खाडी और अफ्रीकी देशों से अवैध शरणार्थियों की घुसपैठ शुरू हुई थी| २०१५ के इस ऐलान के बाद तीन वर्ष के समय में युरोप में लगभग ३० लाख से अधिक अवैध शरणार्थियों ने घुसपैठ करने की बात स्पष्ट हुई है|

इन अवैध शरणार्थियों की घुसपैठ की वजह से युरोप में आतंकी हमलें और अपराधों का प्रमाण बडी मात्रा में बढा था| युरोपीय देशों के स्थापित नेतृत्व ने इस ओर नजरअंदाजी करने से उसके तीव्र परिणाम चुनाव के दौरान दिखाई दिए थे| जर्मनी के साथ सभी प्रमुख युरोपीय देशों में स्थापित हुकूमत को झटका मिला है और शरणार्थियों को विरोध कर रहे दक्षिणी एवं राष्ट्रवादी गुटों को सफलता प्राप्त होने की शुरूआत हुई है| जर्मनी में भी दक्षिणी और राष्ट्रवादी विचारधारा के गुटों को प्राप्त हुई सफलता से सत्ता पक्ष और स्थापितों को बडी तादात में झटका लगा है|

इस असफलता की वजह से पिछले १५ साल जर्मनी का नेतृत्व कर रही एंजेला मर्केल इन्हें सत्ता पक्ष ‘ख्रिश्‍चन डेमोक्रॅटिक युनियन’ का अध्यक्षपद छोडने पर विवश होना पडा था| यह पद छोडते समय मर्केल इन्होंने अपने सहयोगी ‘ऍन्ग्रेट क्रॅम्प कॅरनबोअर’ इनका पक्ष प्रमुख के तौर पर चुनाव करने की सावधानी बरती थी| ‘एकेके’ इस नाम से पहचाने जा रहे ‘कॅरनबोअर’ मर्केल इनके विश्‍वसनीय है, फिर भी शरणार्थियों के संबंधी नीति पर उन्होंने किया निर्णय मर्केल इन्हें झटका देने वाला साबित हुआ है|

कॅरनबोअर इनके इस निर्णय के पिछे शरणार्थियों की घुसपैठ पर निर्माण हुआ असंतोष कम करना यह प्रमुख उद्देश्य होने की बात मानी जा रही है| जर्मन जनता में बने इस असंतोष की वजह से ‘अल्टरनेटिव्ह फॉर जर्मनी’ इस दक्षिणी विचारधारा के पक्ष को देश भर में काफी सफलता प्राप्त हुई है और इन्हे मिल रहा समर्थन भी बढ रहा है| यह बढता समर्थन सत्तापक्ष के लिए चिंता का विषय साबित हुआ है और पक्ष में भी आक्रामक विचारधारा के नेताओं का समर्थन बढ रहा है| इस वजह से पक्ष और पक्ष को प्राप्त हुई सत्ता बना कर रखने के लिए नई प्रमुख कॅरनबोअर इन्होंने मर्केल इनकी नीति को लेकर पुनर्विचार शुरू किया हुआ दिखाई दे रहा है|

युरोप में मई महीने में संसदीय चुनाव होना है और उसके बाद छह महीनों में जर्मनी के तीन प्रांतों में भी मतदान होगा| इन चुनाव में शरणार्थियों का मुद्दा अहम रहेगा, इस वजह से कॅरनबोअर इन्होंने अपनी ही पक्ष की चांसलर ने अपनाई नीति बदलने की कोशिश शुरू की हुई दिखाई दे रही है|

चांसलर मर्केल लगातार शरणार्थियों की नीति और शरणार्थियों का समर्थन कर रही है, फिर भी वास्तव में जर्मन सरकार ने पिछले कुछ महीनों में शरणार्थियों के विरोध में कार्रवाई अधिक आक्रामक की है| इसी में शरणार्थियों को निकाल बाहर करने की कार्रवाई तेज करना और अरब अपराधी गुटों के विरोध में शुरू की गई कार्रवाई भी शामिल है|

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